14 महीने की सरकार में ही हुआ था 'भुगतान ' ...!

14 महीने की सरकार में ही हुआ था 'भुगतान ' ...!

उज्जैन। प्राकृतिक आपदा और लापरवाही से टूटी सप्तऋषि मूर्ति कांड में यह जानकारी सामने आई है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर आक्रामक शैली में है। भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है। लेकिन शायद कांग्रेस को खुद पता नहीं है। जो मूर्तियां तेज तूफान के चलते टूटी है। उन मूर्तियों का भुगतान तब हुआ था। जब प्रदेश में कांग्रेस की मात्र 14 महीने वाली सरकार थी। उसी दौरान ठेकेदार को भुगतान किया गया था।

राजधानी के भरोसेमंद सूत्रों से जानकारी मिली है। जिन मूर्तियों के टूटने पर कांग्रेस भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार का राग अलाप रही है। उन मूर्तियों का निर्माण व स्थापना उसके ही कार्यकाल में हुआ था। ठेकेदार को सन् 2020 में भुगतान किया गया था। तब प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ थे। जिले के प्रभारी मंत्री सज्जन वर्मा थे। स्मार्ट सिटी सीईओ के पद पर प्रदीप जैन और ईडी ऋषि गर्ग थे।

14 दुनी 28 ...

भोपाल के सूत्रों से जानकारी मिली है। जिन सप्तऋषि मूर्तियों के टूटने पर बवाल मचा हुआ है। उसका पहला भुगतान जनवरी 2020 में हुआ था। 14 लाख का भुगतान ठेकेदार को किया था। 13 जनवरी 2020 को। जबकि दूसरा भुगतान, जो कि 28 लाख का था। वह भुगतान फरवरी माह के अंतिम दिन अर्थात 28 फरवरी 20 को किया गया था। यह दोनों भुगतान तत्कालीन स्मार्ट सिटी सीईओ प्रदीप जैन द्वारा किये गये थे।

सवाल ...

इधर मूर्ति कांड को लेकर विधायक महेश परमार ने सवाल उठाये है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पत्र लिखा है। जिसमें फाईबर की मूर्तियां धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ का सवाल उठाया है। उन्होंने एफआरपी मूर्तियों की कीमत के अलावा महाकाल लोक में धातु और पाषाण (पत्थर) की मूर्ति लगाने का सवाल उठाया है। ताज्जुब की बात यह है कि ... निविदा में एफआरपी का ही उल्लेख है। (देखे नीचे मंगलवार को प्रकाशित खबर की छायाप्रति)। जो कि कांग्रेस शासनकाल में ही निकली थी। 100 मूर्तियां एफआरपी की लगनी थी। जिनकी कुल लागत 7 करोड़ 50 लाख थी। निविदा में कहीं पर भी धातु या पाषाण मूर्ति का उल्लेख नहीं था। इसके अलावा विधायक ने अपने पत्र में प्रत्येक मूर्ति की कीमत 30-35 लाख बताई है। जबकि जो मूर्तियां प्राकृतिक आपदा में टूटी है। उनकी कुल कीमत ही 59.50 लाख है। विदित रहे कि इन मूर्तियों को लेकर तीसरा भुगतान सन् 2021 में किया गया था। जो कि साढ़े 17 लाख का था। उस दौरान स्मार्ट सिटी सीईओ जितेन्द्रसिंह थे और प्रदेश में भाजपा की सरकार थी