महाकाल में महाघोटालाः सुलभ दर्शन के नाम पर बाबा महाकाल को रोज 10 लाख की चपत

भ्रष्टाचार के मामले में एक और सनसनीखेज खुलासा

महाकाल में महाघोटालाः सुलभ दर्शन के नाम पर बाबा महाकाल को रोज 10 लाख की चपत

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में हाल ही में उजागर हुए भ्रष्टाचार के मामले में एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सुगम दर्शन कराने के नाम पर कर्मचारियों ने महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को रोजाना लगभग 10 लाख रुपए की चपत लगाई है। मंदिर में श्रद्धालुओं से पैसे लेकर दर्शन कराने के नाम पर जो खेल हो रहा था, उससे हुए नुकसान के आंकड़े का अनुमान लगाकर ही अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं। सूत्रों की मानें तो कर्मचारियों ने रोज करीब 4000 श्रद्धालुओं को पैसे लेकर दर्शन कराए हैं। पकड़े गए कर्मचारियों के मोबाइल खंगाले जा रहे हैं, अकाउंट में हुए ट्रांजेक्शन भी निकाले जा रहे हैं। अनुमान है कि दर्शन के नाम पर श्रद्धालुओं से वसूली गई रकम का आंकड़ा करोड़ों में पहुंचेगा। 

सूत्रों के मुताबिक जिला प्रशासन ने सुगम दर्शन के नाम पर हो रहे इस खेल को पकड़ने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। करीब 20 दिन के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। रोज वीआईपी श्रद्धालुओं और आम लोगों की संख्या को गिना जा रहा है। शुरुआती आंकड़े बता रहे हैं कि महाकाल मंदिर के कर्मचारियों ने रोजाना करीब 4000 से 5000 श्रद्धालुओं से पैसे लेकर उन्हें नंदीहाल या गर्भगृह ही दहलीज से दर्शन कराए हैं। अगर ये 4000 लोग 250 रु. का टिकट लेकर दर्शन करते तो मंदिर को 10 लाख रुपए की आय होती। सूत्रों का कहना है कि ये खेल अगस्त 2024 से लगातार चल रहा था। अनुमान है कि एक महीने में करीब 3 करोड़ रुपए की चपत महाकाल मंदिर को लगी है। 

कई जगहों से जुड़ेंगे तार 
मंदिर में सुगम दर्शन की इस हेराफेरी में कई बाहरी लोगों से भी तार जुड़ने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि इन पकड़े गए कर्मचारियों के खातों से कई लोगों को पैसे ट्रांसफर किए गए हैं। कई लोगों ने उन्हें भी पैसे भेजे हैं। ये सारे पैसे महाकाल दर्शन के नाम पर लिए गए हैं। 

1100 से 5100 तक है रेटकार्ड
महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए रेटकार्ड भी फिक्स किए गए थे। 1100 से 5100 तक, जैसी भी श्रद्धालु की शक्ति हो, उससे उतने पैसे वसूले जाते थे। ज्यादातर लोग UPI से पैमेंट करते थे। इसमें नंदी हॉल, गर्भगृह के सामने, नंदी के पास खड़े होकर दर्शन करने से लेकर महाकाल को जल अर्पित करने तक के अलग-अलग चार्ज लिए जा रहे थे। अभी उस पैसे का हिसाब निकालना तो बाकी ही है, जो केश दिया गया होगा।

आज कलेक्टर दे सकते हैं पहली जांच रिपोर्ट
प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि इस मामले पर कलेक्टर अपनी पहली रिपोर्ट आज पेश कर सकते हैं। इसमें बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं से पैसे वसूलने की बात है। महाकाल मंदिर की आय में इससे बड़ी कमी आई है। श्रद्धालुओं में भी मंदिर समिति और इससे जुड़े लोगों की छवि खराब हुई है। 

ये सब कैसे रुकेगा, किसी के पास हल नहीं 
मजेदार ये है कि पिछले एक साल में लगभग हर महीने कोई ना कोई बाहरी या मंदिर से जुड़ा व्यक्ति शीघ्र दर्शन के नाम पर पैसे लेते हुए पकड़ाया है लेकिन मंदिर समिति, प्रशासन और शासन कोई भी ये हल नहीं निकाल पाया है कि आखिर ये सब रुकेगा कैसे? महाकाल महालोक बनने के बाद मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में दो से तीन गुना तक बढ़ोतरी हुई है। लोग जल्दी और बेहतर दर्शन के विकल्प खोजते हैं और इन लोगों से ठगे जाते हैं। अभी तक कोई ऐसी व्यवस्था बनाने में मंदिर समिति, प्रशासन और शासन नाकाम रहे हैं जिससे श्रद्धालुओं को इस तरह कि ठगी से बच सकें।