अफवाह की शिकार हुई लाड़ली बहनाएं...!
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उज्जैन। विक्रमादित्य प्रशासनिक संकुल का दूसरा माला। जहां पर कलेक्टर- एडीएम आदि अधिकारी बैठते है। वहां पर आज महिलाओं का हुजूम उमड पडा है। यह सभी अफवाह का शिकार हुई लाड़ली बहनाएं हैं। जो आवेदन जमा करने आई है। जबकि शासन की तरफ से कोई निर्देश नहीं है कि लाड़ली बहना योजना में आवेदन लेना है।
संकुल के दूसरे तल पर दोपहर 2 बजे करीब का नजारा देखकर हर कोई हतप्रभ था। कम से कम 1500 से ज्यादा महिलाओं की लंबी लाइन नजर आई। यह सभी लाड़ली बहना के आवेदन हाथ में लिए थी। जिसके लिए उन्होंने अपनी जेब से 250 से 500 रूपये तक खर्च कर डाले। अधीक्षक कार्यालय में आवेदन लिए जा रहे है। प्राप्ति भी दी जा रही है। आवेदन लेने के लिए 2 कर्मचारी नियुक्त किये गये है।
सच क्या है ...
हालांकि पिछले 3-4 दिनों से महिलाएं आवेदन लेकर आ रही थी। किन्तु आज जितनी भीड कभी नजर नहीं आई। आज तो हुजूम टूट पडा है। हर वक्त 1500 से ज्यादा लाड़ली बहनाएं प्रशासनिक संकुल में मौजूद है। कोई दूध पीते बच्चे के साथ .... तो कोई अपने बच्चे को गोद में लेकर। इनको कुछ भी पता नहीं है। उनके आवेदन का क्या होगा? बस ... जेब से खर्च करके आवेदन जमा करवाने आई हैं। जबकि सच यह है। शासन की तरफ से कोई निर्देश नहीं है। लाड़ली बहना योजना में आवेदन जमा करवाने का। योजना से जुड़े अधिकारी भी इसका पुष्टि कर रहे हैं। इसके बाद भी लाड़ली बहनाओं की भीड लगातार आवेदन जमा करवाने के लिए बढ़ती जा रही है। नतीजा ... आवेदन टाईप करने वालों की चांदी हो गई है। भीड देखकर मुंहमांगी कीमत वसूली जा रही है।
कोई निर्देश नहीं ...
कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने चुप रहेंगे डाटकॉम के सवाल पर साफ लफ्जों में यह लिखा है। शासन की तरफ से लाड़ली बहना योजना को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले है। मगर लोग आ रहे है। आवेदन लेकर। उनको बताया जा रहा है। कोई निर्देश नहीं मिले है कि आवेदन लिए जाये। उन्होंने लिखा कि ..डीपीओ को बताया है कि वह जनता (लाड़ली बहनाओं) को स्पष्ट करे। लाड़ली बहना में कोई आवेदन स्वीकार नहीं किये जा रहे है।