नियम ना कायदा, बस 'अपना' देखों फायदा ...!
नगर निगम में चर्चा ...
उज्जैन। मुख्यमंत्री का यह फरमान है। प्रदेश के सभी अधिकारी नियम कायदे से काम करे। वरना... उल्टा टांग दूंगा। लेकिन नगर पालिका निगम उज्जैन के अधिकारी इस फरमान को नहीं मानते है। उनको केवल अपना फायदा दिखाई देता है। तभी तो नगर निगम के गलियारों में यह चर्चा आम है। नियम ना कायदा... बस ' अपना ' देखों फायदा ...! यही वजह है कि एक ऐसी संस्था पर निगम अधिकारीगण मेहरबान है। जिसने ना केवल निगम के खिलाफ माननीय न्यायालय में केस लगाया, बल्कि लोकायुक्त में भी शिकायत दर्ज करवा रखी है।
यह मामला स्वच्छ भारत मिशन से जुड़ा है। जिस संस्था पर आयुक्त- अपर आयुक्त- उपायुक्त व सहायक आयुक्त मेहरबान है। उस संस्था का नाम है। ओम सांई विजन। जिसको नियमानुसार स्वच्छ भारत मिशन में काम करने की पात्रता वर्तमान में नहीं है। क्योंकि निविदा के बाद नई संस्था को काम मिल चुका है। इसके बाद भी पुरानी संस्था से ही काम करवाया जा रहा है। हर महीने ओम सांई विजन को किसी ना किसी बहाने से काम करने दिया जा रहा है। जबकि ताज्जुब की बात यह है कि ... उक्त संस्था ने माननीय उच्च न्यायालय इंदौर में केस लगाया था। जिस पर न्यायालय ने संस्था के खिलाफ ही ना केवल आदेश दिया, बल्कि संस्था पर 10 हजार का जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद भी ओम सांई विजन से ही काम करवाया जा रहा है। जिसकी वजह केवल संस्था द्वारा लोकायुक्त में की गई एक शिकायत है। तभी तो नगर निगम के अधिकारीगण, मुख्यमंत्री के निर्देश की धज्जियां उड़ा रहे है।
डर ...
नगर निगम के गलियारों में मातहतों के बीच दबी जुबान से यह चर्चा है। संस्था ओम सांई विजन द्वारा लोकायुक्त में की गई शिकायत से भय का माहौल है। जिसके चलते निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह, अपर आयुक्त आशीष पाठक, उपायुक्त संजेश गुप्ता व सहायक आयुक्त श्रीमती कीर्ति चौहान में बैठ गया है। शिवाजी भवन के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि ... ओम सांई विजन ने माननीय न्यायालय से फटकार खाने के बाद, लोकायुक्त का सहारा लिया। उल्टी- सीधी शिकायत कर दी। इसी शिकायत के डर से नई संस्था एचएमएस को कार्यादेश नहीं दिया जा रहा है। ताज्जुब की बात यह है कि जिस संस्था पर नगर निगम मेहरबान है, उसने नवम्बर- 2022 में माननीय उच्च न्यायालय में, नगरीय प्रशासन आयुक्त, कलेक्टर उज्जैन व निगम आयुक्त को भी पार्टी बना लिया था। इसके बाद भी नगर निगम के अधिकारीगण मेहरबान है।
फैसला नहीं देते ...
बहरहाल, निगम के गलियारों में आयुक्त रोशन कुमार सिंह की इस कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे है। उनके मातहत ही कार्यप्रणाली को लेकर डॉ. नवाज देवबंदी का अशआर सुना रहे है। आजकल ना जाने किस कश्मकश में है मुंसिफ/ बहस रोज सुनते है फैसला नहीं देते। यहां यह लिखना जरूरी है कि जिस नई संस्था को निविदा के बाद काम मिला है। उसने 4 दिन पहले ही एक आवेदन फिर आयुक्त नगर निगम के नाम पर दिया है। जिसमें कार्यादेश देने की गुहार लगाई है। इधर अंदरखाने की खबर है कि ... कार्यादेश की प्रतीक्षा कर रही संस्था ने भी अब लोकायुक्त और माननीय न्यायालय के समक्ष आवेदन लगाने की तैयारी कर ली है। अब देखना यह है कि ... ओम सांई विजन पर मेहरबान अधिकारी इस मामले से कैसे निपटते है।