दबंग अंदाज में सीनाजोरी, फिर कलेक्टर के नाम से सूचना निकाल दी !

दबंग अंदाज में सीनाजोरी, फिर कलेक्टर के नाम से सूचना निकाल दी !

उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में बीती 18 दिसंबर को एक बड़ा खुलासा हुआ था। खबर छपी, दिनभर हल्ला हुआ, रात में मंदिर प्रशासन ने दबंग अंदाज में सारी खबर को भ्रामक बताते हुए मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कलेक्टर की ओर से एक खंडन भी जारी कर दिया। मगर एक गलती को दबाने में मंदिर प्रशासन दूसरी गलती कर बैठा। बिना कलेक्टर को बताए, उनके नाम से ये खंडन सोशल मीडिया पर जारी कर दिया गया। जब गलती समझ आई तो इसे डिलिट किया फिर कलेक्टर का नाम हटाकर दोबारा खंडन जारी किया गया। (देखे ऊपर लगा फोटो)

बिना टेंडर और नियमों के तीन कमरे बनाकर उन्हें तोड़ भी दिया गया। कलेक्टर ने जब मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ को इस बारे में नोटिस दिया तब ये मामला उजागर हुआ। सबसे पहले humchuprahenge.com ने इसका खुलासा किया। खुलासा हुआ तो मंदिर प्रशासन ने रात 10 बजे इसका खंडन जारी किया, खंडन करना अपनी जगह था लेकिन बिना कलेक्टर की जानकारी के उनकी तरफ से ये खंडन जारी कर दिया गया। व्हाट्सएप ग्रुप पर रात 10 बजे कलेक्टर के नाम से सूचना डाली गई, जब जिम्मेदारों को इस गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने 2 ही मिनट में सूचना को डिलिट किया। फिर कलेक्टर का नाम हटाकर दोबारा सूचना डाली गई। 

कलेक्टर का नाम हटाने के पीछे दो कारण थे, पहला तो उनको बताया ही नहीं गया और खंडन जारी कर दिया गया। दूसरा, इस मामले पर खुद कलेक्टर ने ही मंदिर प्रशासक को नोटिस थमाया था। अब मजेदार बात ये है कि जिस अधिकारी ने मामले को लेकर नोटिस जारी किया, वो खुद कैसे खंडन जारी कर सकता है। 

क्या था मामला
मामला मंदिर में निर्माण कार्य कराने से जुड़ा है। प्रशासक गणेश धाकड़ ने नियम विरुद्ध 3 कमरों का निर्माण करवा दिया था। जिसमें निर्माण नियमों की अनदेखी की गई। दानदाताओं के दान का दुरुपयोग किया गया क्योंकि बाद में इन कमरों को तुड़वा दिया। ऐसा सूत्रों का कहना है। यह कदम तब उठाया, जब मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज सिंह ने उनको कारण बताओ नोटिस जारी किया। इस पूरे मामले में दानदाता के पैसे का दुरूपयोग किया गया है। मंदिर प्रशासक का कहना था कि ये निर्माण दानदाता राहुल अरोड़ा के कहने पर किया गया था लेकिन डिजाइन गलत थे तो उन्हें तुड़वा दिया गया।