रोटेशन किया या मूर्ख बनाया: बड़ा मजा आया ... !

मंदिर के गलियारों में चर्चा

रोटेशन किया या मूर्ख बनाया: बड़ा मजा आया ... !

उज्जैन। महाकाल मंदिर प्रबंधन ने रोटेशन प्रक्रिया अपनाई है। लेकिन रोटेशन का आदेश, बचपन में खेले जाने वाले एक खेल की याद दिला रहा है। बुद्धू बनाया... बड़ा मजा आया... 7 जनों को खड़े-खड़े छुओं... ! तभी तो मंदिर के गलियारों में यह चर्चा आम है।  रोटेशन किया या मूर्ख बनाया: बड़ा मजा आया ...!

विदित रहे कि गत 19 मई को चुप रहेंगे डॉट-कॉम ने व्यवस्था पर सवाल उठाया था। वर्षो से एक ही जगह पदस्थ कर्मचारियों को लेकर। रोटेशन जरूरी... तभी सुधरेगी व्यवस्था... शीर्षक से। जिसमें 24 ऐसे कर्मचारियों की सूची प्रकाशित की थी। जो कि एक ही जगह पर सालों से पदस्थ है। इनको हटाने की हिम्मत किसी ने नहीं की है। (देखे 19 मई की खबर) जिसके बाद 20 मई को मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने एक आदेश जारी किया। यह आदेश आज सामने आया है। जिसे देखकर मंदिर के गलियारों में यही चर्चा है कि ... बड़ा मजा आया।

सुबह-शाम ...

मंदिर प्रशासक द्वारा जारी आदेश में मूलचंद जूनवाल को प्रभारी अधिकारी सत्कार शाखा नियुक्त किया गया है। इसके अलावा 8 अन्य कर्मचारियों के नाम शामिल है। जिसमें राजेन्द्रसिंह सिसौदिया (2011 से प्रोटोकॉल) व भीमराज खांडेकर (2013 से प्रोटोकॉल) का नाम भी शामिल है। इनको रोटेशन के नाम पर केवल यह किया गया हैअब राजेन्द्र सिसौदिया दोपहर ढाई बजे से ड्यूटी करेंगे, जबकि भीमराज खांडेकर सुबह 6 से ढाई बजे तक ड्यूटी करेंगे। सीधी भाषा में केवल ... समय की अदला-बदली की गई है। जबकि रोटेशन का सही अर्थ यह होता है कि ... एक विभाग से दूसरे विभाग में भेजा जाता। मगर समय बदलकर रोटेशन के कार्य पर मोहर लगा दी गई।

पहली बार नहीं ...

रोटेशन के नाम पर समय की अदला-बदली कोई पहली दफा नहीं हुई है। ऐसी मंदिर के गलियारों में चर्चा है। इसके पहले भी इन दोनों कर्मचारियों को इसी तरह सुबह-शाम किया गया था। लेकिन मात्र 1 या 2 महीने में दोनों कर्मचारी वापस ... अपने पुराने समय पर ड्यूटी करने लग गये थे। एक बार फिर उसी पुराने आदेश की कॉपी करके रोटेशन की प्रक्रिया अपनाई गई है। जो कि इस बात की तरफ इशारा है कि ... मंदिर के 24 कर्मचारी प्रभावशाली है और इनको रोटेशन के नाम पर भी हटाना संभव नहीं है।

यह सभी प्रभावशाली ...

मंदिर के भरोसेमंद सूत्रों ने जो 24 नामों की सूची जारी करी है। उसमें राजकुमारसिंह (2010 आईटी) अनुराग चौबे  (2015 निरीक्षक) मनीष पांचाल (2009 से कोठार) राकेश श्रीवास्तव  (2010 से गर्भगृह के आसपास)  वीरेन्द्र शर्मा  (2015 से अकाउंट ) मोहित ठाकुर  (2018 से स्थापना)  अभिषेक उपाध्याय (2015 से मंदिर की खरीदी-बिक्री) कमलेश सिसौदिया  (2014 से लड्डू निर्माण) रवि देवधर  (2004 से हरसिद्धि धर्मशाला ) विपिन ऐरन  (2012 से अकाउंट ) राजेन्द्र सिसौदिया  (2011 से प्रोटोकॉल ) भीमराज खांडेकर  (2013 से प्रोटोकॉल) रितेश शर्मा  (2011 से गर्भगृह के आसपास) जगदीश गौड़ (2010 से गर्भगृह के पास भस्मार्ती) पूजा तिवारी (2014 से अकाउंट) दीपेश प्रजापति (2015 से अकाउंट) मंगल बिजवा (2014 से स्टोर) महेन्द्र काकड़े (2014 से कोठार) गणपत रेकवार (2013 से आईटी) राजेन्द्र ढानरिया (2013 से अकाउंट) संजीव श्रीवास्तव (2014 से प्रोटोकॉल) राहुल पांचाल (2012 से अकाउंट) योगेश नामदेव (2014 से भस्मार्ती) और राजेन्द्र तिवारी (2013 से इंट्री गेट पर) पदस्थ है। इनको आज तक किसी भी अध्यक्ष व प्रशासक ने इधर से उधर नहीं किया है।