देखो ऐसा काम मत करों: मुख्यमंत्री का नाम बदनाम न करों... !
उज्जैन। जिले के हर निवासी को गर्व है। प्रदेश के मुख्यमंत्री इस जिले से है। मगर इन दिनों दक्षिण विधानसभा के रहवासी परेशान है। परेशानी की वजह मुख्यमंत्री नहीं है। उनकी तो यही इच्छा है। उनके जिले के हर निवासी को मान-सम्मान और हर योजना के साथ सुविधा का लाभ मिले। लेकिन फिलहाल मुसीबत उस विभाग से है। जिसकी कटौती से हर इंसान पसीना-पसीना हो जाता है। इस विभाग को पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी के नाम से जाना जाता है। बोलचाल की भाषा में बिजली विभाग बोला जाता है। इस विभाग की लापरवाही के कारण जनमानस में आम चर्चा है। देखो ऐसा काम मत करों: मुख्यमंत्री का नाम बदनाम न करों... !
डॉ. मोहन यादव ने जिस दिन मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उस दिन से जिले के हर नागरिक का सीना गर्व से चौडा है। आखिरकार होना भी चाहिए। क्योंकि मुख्यमंत्री होने के नाते जिले को कई विशेष सुविधाएं मिलती है। जिनमें से एक सुविधा यह भी है। उनकी विधानसभा क्षेत्र तो ठीक जिले में 24 घंटे बिजली मिलती रहे। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। बल्कि कंपनी के अधिकारी भूल गये है। यह मुख्यमंत्री का गृहनगर है। तभी तो जब मन होता है। बिजली गायब हो जाता है। दिन हो या रात। कोई ठिकाना नहीं। जिसके चलते आम इंसान यह सोचने पर मजबूर है। जब मुख्यमंत्री के गृहनगर में यह हालात है। तो बाकी जिलों में क्या होंगे?
मच्छर....
एक मच्छर जब काटता है। तो इंसान को नींद से उठा देता है। बेचारा आम आदमी जब सोता है। तब तो लाइट रहती है। मगर फिर कब और किस वक्त चली जाती है। इसका पता उसको तब चलता है। जब मच्छर काटकर उसको नींद से जगा देता है। इन दिनों यही हो रहा है। मुख्यमंत्री की विधानसभा में। सेठीनगर व उसके आसपास की कालोनियों में यही हाल है। कभी भी लाइट गायब हो जाती है। पिछले सप्ताह रात 12 बजे बाद 3 बार लाइट गई। फिर 30 से 45 मिनिट बाद वापस आई। अभी मंगलवार की रात साढ़े 10 पर लाइट गई। जो कि 11 बजे बाद आई। उसके बाद फिर रात में लाइट अचानक गर्ई। इस दौरान आम इंसान कच्ची नींद से जागकर सरकार और बिजली विभाग को कोसता रहा। यह अनुभव लगभग हर सप्ताह के दूसरे या तीसरे दिन आम इंसान महसूस कर रहा है।
गुहार ...
दक्षिण विधानसभा की आमजनता अपने प्रिय और लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से यही गुहार लगा रही है। वह बिजली विभाग के अफसरों को टाइट करे। क्योंकि अधिकारियों को रत्ती भर भी डर नहीं है। अधिकारी अपनी जेब गर्म करने में लगे है। जबकि नाम बदनाम मुख्यमंत्री का हो रहा है। अभी बुधवार की ही घटना है। एक लाइनमैन ने बिजली कब आयेंगी के सवाल पर उपभोक्ता को पलटकर कह दिया। मुख्यमंत्री से शिकायत कर दो। जिसके बाद लाइनमैन को निलंबित कर दिया गया है। मगर लाखटके का सवाल यह है। ऊपर बैठे अधिकारी आखिर मुख्यमंत्री के गृहनगर की अनदेखी क्यों कर रहे है। क्या उनको मुख्यमंत्री डर नहीं है। दक्षिण की जनता मुख्यमत्री से गुहार लगा रही है कि ... ऐसे आलाधिकारियों को जल्दी से जल्दी रवानगी दे और आमजनता को बिजली संकट से मुक्ति दिलाये।