ऐसा भी होता है ...

प्राक्सी वोट के चक्कर में: भाजपा की इज्जत उतरी ...!

ऐसा भी होता है ...

उज्जैन। प्राक्सी वोट डलवाने की रणनीति ने भाजपा की इज्जत उतार दी। जीती हुई उज्जैन जनपद पर विरोधी कांग्रेस का कब्जा हो गया। अध्यक्ष पद में हार के बाद उपाध्यक्ष के लिए भाजपा ने अपना प्रत्याशी ही नहीं खड़ा किया। उल्टे उच्च शिक्षा मंत्री आकर धरने पर बैठ गये। जमकर नारेबाजी हुई। जिसे देखकर हर कोई हतप्रभ था। मंत्री के सामने ही जबरन घुसने का प्रयास किया गया। इसके बाद भी प्रशासन व पुलिस ने अपना आपा नहीं खोया। धैर्य बनाये रखा जो कि काबिले तारीफ है।

जनपद उज्जैन में अध्यक्ष- उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा की इतनी दुर्गति होगी। ऐसी कल्पना किसी को नहीं थी। जनपद पर कब्जा करने की जिम्मेदारी उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव की थी। उन्ही की रणनीति पर काम किया गया। जिसे अंत तक गोपनीय रखा गया। भाजपा सहित किसी भी जनपद सदस्य को पता नहीं था। कौन अध्यक्ष- उपाध्यक्ष का दावेदार होगा। जीत सुनिश्चित करने के लिए प्राक्सी (सदस्य के बदले प्रतिनिधि वोट डाले) की रणनीति पर अमल किया गया। जिसका नतीजा सामने है। 4 प्राक्सी वोटर अंदर ही नहीं घुस पाये, वोट डालना तो दूर की बात है।

कोविड- अनपढ़- अंधत्व ...

भाजपा सूत्रों के अनुसार प्राक्सी वोट के लिए कोविड- अनपढ़- अंधत्व का सहारा लिया गया। जिनके प्राक्सी वोट डाले जाने थे। उनके नाम राजेश पटेल, अनिता पंड्या, शर्मिला जगदीश और संजय बताये जा रहे है। इनकी जगह किसी और को अधिकृत किया गया था। भाजपा के पास 13 वोट थे, जबकि कुल 25 वोट डाले जाने थे। कांग्रेस के पास 12 वोट थे। भाजपा ने जब प्राक्सी वोट का गेम खेला। तो कांग्रेस ने आपत्ति लगा दी। उनकी आपत्ति काम आ गई। नतीजा यह हुआ कि प्राक्सी वोटरों को अंदर आने का मौका ही नहीं मिला। तब तक समय खत्म हो गया। इसके बाद तो कांग्रेस विधायक महेश परमार, रामलाल मालवीय और इस जीत के सूत्रधार राजेन्द्र वशिष्ठ, करण कुमारिया आदि ने हंगामा खड़ा कर दिया। नतीजा कलेक्टर आशीषसिंह और एसपी सत्येन्द्र शुक्ल को आना पड़ा। इसके पहले एडीएम संतोष टेगोर को भेजा गया था।

वोट नहीं डाले ...

भाजपा के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि प्राक्सी वोट की रणनीति फेल होते ही संदेश भिजवाया गया। उन 9 भाजपा सदस्यों को, जो कि ऊपर मतदान करने वाले थे। संदेश साफ और सीधा था। किसी को भी वोट नहीं डालना है। नतीजा अध्यक्ष पद के लिए भाजपा की तरफ से प्रत्याशी भंवर बाई चौधरी सहित बाकी 8 सदस्यों ने वोट ही नहीं डाला। जिसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी बिंदिया सिंह सीधे-सीधे 12 वोटो से जीत गई। इसी तरह उपाध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस ने नासिर पटेल को खड़ा किया था। लेकिन भाजपा ने किसी को भी प्रत्याशी नहीं बनाया। यहां पर भी नासिर पटेल सीधे 12 वोटो से जीत गये।

लू उतारी ...

मतदान के बाद जब रिजल्ट आने में देर लग रही थी। तो कांग्रेसियों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच कलेक्टर व एसपी आ गये। कलेक्टर ने कांग्रेसियों की बात सुनी। मतदान केन्द्र पर गये। इधर पीछे से विधायक महेश परमार ने कलेक्टर को भाजपा का एजेंट बोल दिया। सीढिया चढते हुए इसे कलेक्टर ने सुन लिया। वापस आकर कलेक्टर ने रौद्र रूप दिखाया। विधायक को सीधे बोला... फालतू की बात करने का शौक है। तो घर जाकर किया करो। हमेशा कुछ ना कुछ बोलते रहते हो। बेकार की बात मत किया करो। जिसे सुनकर विधायक चुप हो गये और भोपाल फोन लगाकर रिपोर्ट देने लगे।

नारेबाजी ...

अभी तक यही देखने में आता था। सत्ता पक्ष की मनमर्जी के खिलाफ विरोधी दल नारे लगाता था। मगर पहली दफा उल्टा नजारा था। कांग्रेसी प्राक्सी वोट रोकने के बाद आराम से बैठे थे। इधर अध्यक्ष पद हारने पर भाजपाई नारेबाजी कर रहे थे। वह भी शासन के खिलाफ। हार की घोषणा के बाद उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव भी जनपद कार्यालय आ गये। उन्हें देखकर भाजपाई फिर जोश में आ गये। खूब नारेबाजी हुई। पुलिस से भी भिडंत हुई। वर्दी ने धैर्य दिखाया। आखिरकार मंत्री सहित राजेन्द्र भारती, जयसिंह दरबार, अशोक कटारिया, विशाल राजोरिया आदि ने पहले तो कार्यालय के अंदर धरना दिया। उसके बाद बाहर आकर धरने पर बैठ गये। अंदर तोडफ़ोड हो गई थी। नतीजा पुलिस ने सभी गेटों पर ताले लगवा दिये। ताले लगाने से पहले एक प्राक्सी वोटर दौड लगाकर अंदर घुस आया। जिसे फिर बाहर जाने के लिए 2 घंटे इंतजार करना पड़।