03 मार्च 2025 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का |

03 मार्च  2025 (हम चुप रहेंगे)

गर्व है ...

आमतौर पर ऐसा होता नहीं है। अतिविशिष्ट अतिथि को एयरपोर्ट छोडने जाना परपंरा में आता है। मगर जीआईएस सम्मिट में ऐसा हुआ। मंच के पीछे। जब देश के प्रथमसेवक अपने नमो जी भाषण देकर वापस रवाना हो रहे थे। सम्मिट जोरदार रही। प्रोटोकॉल के अनुसार अपने विकासपुरूष तैयार थे तभी नमो जी ने पहले तो विकासपुरूष की पीठ थपथपाई। सम्मिट की बधाई दी। जिसके बाद अचानक बोला। आप यही रूको। यहां पर आपकी ज्यादा जरूरत है। मैं चला जाऊंगा। यह सुनकर अपने विकासपुरूष मुस्कुरा दिये। अपने नमो जी के उदगार वहां मौजूद बाकी लोगों ने भी सुने। जिसे सुनकर सभी विकासपुरूष पर गर्व करने लगे। ऐसा यह नजारा देखने वालो का कहना है। तो हम भी अपने विकासपुरूष पर गर्व करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  

छबि खराब होती है ...

घटना शिवरात्रि पर्व की है। इस दिन एक महिला मंत्री भी दर्शन करने आई थी। ई-रिक्शा के इंतजार में खड़ी हुई थी। कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। इसी दौरान अपने पिस्तौलकांड नायक भी पहुंच गये। उन्होंने मंत्री जी को नमस्कार किया। पूछताछ करी। फिर अपने स्टाफ को बोला। इनकी व्यवस्था कराओं। मगर इंतजार फिर भी करना पड़ा। नतीजा पिस्तौलकांड नायक का सब्र छलक गया। उन्होंने मंदिर के मुखिया को तलब किया। फिर अपनी देशी स्टाइल में समझा दिया। उन्होंने जिस तरीके से समझाया। उसे लिखने के लिए हमारे पास शब्द नहीं है। आखिरी में यह भी बोला कि इससे सरकार की छबि खराब होती है। जिसके बाद ई-रिक्शा आया। मगर पिस्तौलकांड नायक के लिए। मंत्री जी फिर भी खड़ी हुई थी। तब पिस्तौलकांड नायक उन्हें अपने साथ दर्शन कराने ले गये। ऐसा यह नजारा देखने वालो का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

ऐसा नहीं चलेगा ....

अपने दाल वाले नेताजी साफगोई के लिए मशहूर है। मौका मिले तो चूकते नहीं है। जैसे पिछले दिनों मिल गया। कमलप्रेमी मुखिया को फोन आया। एक आमंत्रण के लिए। अपने प्रथमसेवक ने फोन किया था। फोन पर दुआ-सलाम हुई। जिसके बाद दाल वाले नेताजी को मौका मिल गया। उन्होंने प्रथमसेवक को आडे हाथों ले लिया। धरने पर बैठने वाले विषय पर। पूछ लिया। किसकी इजाजत से बैठे थे। प्रथमसेवक ने सफाई दी। मगर दाल वाले नेताजी ने दलील दी। तुम्हारे इस कदम से सरकार की बदनामी होती है। पंजाप्रेमी नेता सोशल मीडिया पर टिवट् करते है। प्रथमसेवक ने मनाने की कोशिश करते हुए, दाल-बाटी खाने का निमंत्रण दिया। जिसे कमलप्रेमी मुखिया ने नकार दिया और साफ कहा। अब ऐसा नहीं चलेगा। वरना ऊपर शिकायत करूंगा। इतना कहकर फोन रख दिया। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने कमलप्रेमी दबी जुबान से बोल रहे है। इधर इस घटना के बाद प्रथमसेवक चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

इंतजार ...

कमलप्रेमियों को इंतजार है। आखिर कब नई टीम चुनी जायेंगी। अपने दाल वाले नेताजी द्वारा। जिन्होंने दीनदयाल नानाखेड़ा कार्यक्रम में खुलकर बोल दिया था। वह भी मंच से। जब वह मंचासीन कमलप्रेमी अतिथियों के नाम ले रहे थे। मंच पर 2 महामंत्री भी मौजूद थे। जिनका नाम लेकर दाल वाले नेताजी ने साफ कहा था। अच्छा ... कुछ दिनों के महामंत्री जिसके बाद पूरा महीना गुजर गया है। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ है। इसीलिए कमलप्रेमी इंतजार कर रहे है। देखना यह है कि कमलप्रेमियों का इंतजार आखिर कब खत्म होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

विवाद ...

मंदिर के मुखिया का विवाद हो गया है। शिवरात्रि के 2 दिन पहले। उस परिवार से, जिसके मकान का विवाद लंबे समय से लंबित है। दोनों के बीच काफी गर्मागर्म बहस हो गई। कारण ... मंदिर के मुखिया ने यह कह दिया था। वयोवृद्ध ज्योर्तिषाचार्य से। ऑफिस में आकर बात करना। बस इसके बाद मामला तूल पकड गया। ज्योतिशास्त्री ने खूब खरी-खरी सुना दी। ऐसी मंदिर के गलियारों में चर्चा है। जिसमें हम क्या कर सकते है। हम किसी की जुबान तो पकड़ नहीं सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

प्रयागराज ...

बेचारे कमंडल मुखियाओं ने सोचा भी नहीं था। उनके साथ ऐसा होगा। पहले प्रयागराज की यात्रा का निमंत्रण दिया जायेगा। खर्च भी बताया गया। 8 हजारी। कमंडल मुखिया राजी हो गये। फिर अचानक न जाने क्या हुआ। कमंडल के मुखियागण इंतजार करते ही रह गये और अपने हाइनेस चुपचाप निकल गये। पता तब चला, जब प्रयागराज में डूबकी लगाते हुए हाइनेस की तस्वीर सामने आई। ऐसा चर्चा कमंडल मुखियाओं के बीच सुनाई दे रही है। बात सच है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

रिकार्ड ...

अपने दूसरे माले के मुखिया ने रिकार्ड बना दिया। यह रिकार्ड आज तक जिले में पदस्थ रहे कोई मुखिया नहीं बना पाया। 25 साल में पहली दफा ऐसा नजारा देखा। लगातार एक के बाद एक मीटिंग करने का। वह भी 2 दिन। 19 व 20 को। सुबह 8 बजे से मीटिंग शुरू हुई जो रात 9:45 तक चली। पहले दिन 21 विभागों की खिचाई हुई। दूसरे दिन 9:45 से 2:30 तक। जिसमें 12 विभागों की लू उतारी। कोठी से लेकर संकुल के इतिहास में आजतक ऐसा कोई मुखिया नहीं आया। जिसने ऐसा रिकार्ड बनाया हो। ऐसी चर्चा प्रशासनिक गलियारों में सुनाई दे रही है। बात सच भी है। आज तक किसी ने इतनी लंबी बैठक लगातार एक के बाद एक नहीं ली है। तभी तो इसे रिकार्ड माना जा रहा है। तो हम भी इस रिकार्ड के लिए बधाई देते हुए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

ठहाका ...

शनिवार की शाम को अपने विकासपुरूष का उडनखटोला उतरा। हेलीपेड पर। उनका स्वागत करने तीसरे माले के मुखिया, कप्तान जी सहित माननीय योर ऑनर भी पहुंचे थे। जिसकी तस्वीर सरकारी भोंपू ने जारी की। इस तस्वीर में सभी जोरदार ठहाका लगाते हुए नजर आ रहे है। मगर किसलिये। इसको लेकर जब खोजबीन की गई। तो पता चला कि अपने विकासपुरूष ने माननीय योर ऑनर को कहा  आप चलकर वाहन में बैठे... मैं जरा नेतागिरी करके आता हूं। मतलब .. आमजनता से मिलकर आता हूं। विकासपुरूष के यह कहते ही वहां मौजूद हर अधिकारी ने जोरदार ठहाका लगाया। जो कि वाजिब भी था। इसलिए हम भी विकासपुरूष की हाजिर जवाबी पर ठहाका लगाते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मुलाकात ... 

अपने बिरयानी नेताजी पिछले दिनों राजधानी गये थे। वाया अमेठी के माध्यम से। जहां उनकी पंजाप्रेमी राजकुमार से मुलाकात हुई। इस मुलाकात को कराने वाले गांधी परिवार के खास व्यक्ति थे। बिरयानी नेताजी की इस मुलाकात के बाद शहर के पंजाप्रेमी बोल रहे है। अपने बिरयानी नेताजी बांस में बांस फंसाने की कला में पारांगत है। उन्होंने वहां भी कुछ ना कुछ जरूर बांस फसाया होगा। जिसके चलते विरोधी खेमे में हडकंप मचा हुआ है। जनपद चुनाव को लेकर बांस में बांस फसाने का उदाहरण पंजाप्रेमी दे रहे है। अब देखना यह है कि इस मुलाकात का आगामी दिनों क्या रिजल्ट सामने आता है। किस-किस पर गाज गिरती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

पंजाप्रेमी से करवा लेना ...

कमलप्रेमियों में इन दिनों एक घटना की चर्चा है। विषय भस्मार्ती है। एक कमंडल मुखिया ने अपने हाइनेस से निवेदन किया। मैसेज भी किया। फोन भी लगा दिया। भस्मार्ती करवा देना। भरोसा मिल गया। मगर रात 10 बजे तक अनुमति नहीं आईतो कमंडल मुखिया ने किसी पंजाप्रेमी नेताजी का सहारा लिया। 15 मिनिट में अनुमति आ गई। जिसके बाद कमंडल मुखिया ने हाइनेस को फोन लगा दिया। इसके अगले दिन आजीवन निधि की बैठक थी। जिसमें कमंडल मुखिया ने भस्मार्ती का सवाल उठाया। जवाब मिला कि उन्होंने ही करवाई है। इस पर कमंडल प्रेमी ने सबूत मांग लिया। बस फिर क्या था। हाइनेस ने फटकार लगा दी और कह दिया। अब पंजाप्रेमियों से ही करवा लिया करों। घटना के बाद कमंडल प्रेमी अपना दुखडा सब दूर सुना रहे है। सब सुनते है और चुप रह जाते है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

वीडियों ...

अपने प्रथमसेवक ने एक वीडियों सोशल मीडिया पर रविवार को अपलोड किया। वार्ड भ्रमण कार्यक्रम का। ऐसा वह लगातार कर रहे है। लेकिन इस दफा वह तारीख को लेकर कन्फ्यूज हो गये। तभी तो कह रहे है। आगामी 4 फरवरी को वह वार्ड 30-31 की जनता से मिलने आ रहे है। जबकि महीना मार्च शुरू हो चुका है। नतीजा वीडियों देखकर कमलप्रेमी चर्चा कर रहे हैशायद महाशिवरात्रि की बूटी का असर है। जिसकी खुमारी अभी तक छाई है। कमलप्रेमियों की जुबान तो हम पकड नहीं सकते हैं। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चिंता ...

कल्पना कीजिए। जब खुद अपने विकासपुरूष के यह उदगार हो। मेरे को चिंता होती है। तब प्रशासन को क्या करना चाहिये। यह सवाल इन दिनों दबी जुबान से सुनाई दे रहा है। इशारा हरियाखेड़ी व सिलारखेड़ी प्लांट की तरफ है। पिछले दिनों विकासपुरूष ने शोधपीठ संस्थान में बैठक ली थी। सबको बाहर निकाल दिया। बैठक में मेट्रो गली वाले नेताजी, महंत बाबा, माननीयगण, स्मार्ट पंडित, इंदौरीलाल, तीसरे माले के मुखिया, जय-वीरू की जोड़ी के अलावा अपने हिटलर जी मौजूद थे। जहां पर इन दोनों प्लांटों को लेकर चर्चा हुई। हरियाखेड़ी प्लांट को स्मार्ट पंडित देख रहे है। विकासपुरूष की मंजूरी भी है। इसके बाद भी प्रशासन रातडिय़ा की रट लगाये है। तभी तो विकासपुरूष कहने पर मजबूर हो गये। मेरे को चिंता होती है। जिसके बाद राजधानी फोन लगाये गये। नतीजा अगले दिन प्रमुख सचिव, उसके अगले दिन एसीएस का आगमन हो गया। बैठक में निराकरण भी हुआ। इसी कडी में आज फिर एक एसीएस आ रहे है। देखना यह है कि इतना सबकुछ होने के बाद विकासपुरूष की चिंता कब दूर होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।