17 फ़रवरी 2025 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का |

वीरगाथा काल ...
एक आईएएस मित्र से पिछले दिनों मुलाकात हुई। बातों-बातों में हमने राजधानी में विराजमान बड़े साहब का जिक्र छेड दिया। मानों दुखती रग पर हाथ रख दिया। आईएएस मित्र ने बड़े साहब और उनके किस्सों को वीरगाथा काल की उपाधि दे डाली। यह शब्द सुनकर हमको पुराने मुख्य सचिव की याद आ गई। नाम बसंत प्रतापसिंह है। जिनका अपनी हर बैठक में आईएएस को पहला संदेश यही रहता था। अपने वीरगाथा काल के किस्से मत सुनाना। मैने यह किया था- मैने ऐसा किया था- मैने वैसा किया था। सीधे मुद्दे की बात करो। तभी तो उनकी हर बैठक अधिकतम 45 मिनिट में खत्म हो जाती थी। किन्तु वर्तमान में किस्सा ठीक उलट है। खुद बड़े साहब के श्रीमुख से वीरगाथा कालखंड सुनना पडता है। मूल बात तो एक तरफ रह जाती है। जिसके चलते आईएएस लाबी में भय का माहौल है। मजबूरी में किस्से सुनकर चुप रहते है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
लड्डू ...
बाबा के दरबार का प्रसाद लड्डू विश्वप्रसिद्ध है। जिसकी गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाता है। ऐसा दावा अकसर किया जाता है। हालांकि खुद एक दफा विकासपुरूष ने यह प्रसाद ग्रहण किया था। पिछले साल की घटना है। तब गब्बर जी मुखिया थे। विकासपुरूष ने तब कहा था। लड्डू में मेवा- मिष्ठान की कमी है। उसके बाद कितना सुधार हुआ या नहीं। पता नहीं। मगर इन दिनों मंदिर के गलियारों में चर्चा है। विश्वप्रसिद्ध लड्डू की सिकाई को लेकर। जो अधकच्ची हो रही है। जिसकी जानकारी प्रबंधन को भी दी गई है। मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नतीजा ... लड्डू के स्वाद में अंतर आ रहा है। ऐसा मंदिर के भरोसेमंद सूत्रों का दावा है। देखना यह है कि दूसरे माले के मुखिया इस पर कब और कितना ध्यान देते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मुसीबत ...
पिछले सप्ताह एक गायक आये थे। जटाधारी गायक। कार्यक्रम अकादमी में था। जिसके लिए काफी प्रचार-प्रसार हुआ। लेकिन जनता को पता नहीं था। उनका प्रवेश निषेध है। बेचारी जनता गायक को सुनने पहुंच गई। जहां पर उनको रोक दिया गया। जिसके चलते यातायात प्रभावित हो गया। बात संकुल और वर्दी तक पहुंची। वर्दी अलर्ट हुई। इतनी अलर्ट की व्यवस्था के चक्कर में पास व ई-पास तक मोबाइल पर चेक करती नजर आई। आमजनता गायक को कोसती नजर आई। ताज्जुब की बात यह है कि ई-पास की जुगाड भी अपने दूसरे माले के मुखिया ने करवाई थी। इसके बाद भी अव्यवस्था थी। कोढ में खाज वाली बात यह हुई। मंच से ही जटाधारी गायक उज्जैनवासियों को बुरा बोल गये। उनका कहना था कि कितनी भी सड़के चौडी करवा लो, उज्जैन वालो को चलने का सलीका नहीं आता है। यह सुनकर कुछ को गुस्सा आया तो कुछ लोगों ने ताली बजाई। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
कोडवर्ड ...
शनिवार को विकासपुरूष आये थे। ओवरब्रिज का लोकार्पण किया। जिसके लिए अपने स्मार्ट पंडित और उनके सीईओ ने एक योजना बनाई। योजना पर अमल कब करना है। इसके लिए एक कोडवर्ड रखा गया। जिसका नाम जय महाकाल था। यह उद्घोष अपने विकासपुरूष को मंच से करना था। जैसे ही वह जय महाकाल का उद्घोष करते। उसके तत्काल बाद महाकाल लोक से आतिशबाजी शुरू हो जाती। प्लानिंग अच्छी थी। मगर समन्वय के अभाव में फेल हो गई। विकासपुरूष जब ब्रिज के मध्य में पहुंचे। तभी अचानक आतिशबाजी शुरू हो गई। यह देखकर स्मार्ट पंडित और सीईओ हतप्रभ रह गये। समझ ही नहीं आया। कैसे यह सब हो गया। फोन लगाकर आतिशबाजी रोकने के निर्देश भी दिये। किन्तु देर हो चुकी थी। ऐसा यह नजारा देखने वालो का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
हौंसला ...
ऊर्जा वालो के अंदर गजब का हौंसला है। यह किसी और विभाग के पास नहीं है। तभी तो ऊर्जा वाले अपनी मर्जी से काम करते है। संकुल की बैठक में यह मामला 15 दिन पहले उठा था। उठाने वाले अपने हाइनेस थे। इसी कड़ी में आज विकासपुरूष की मौजूदगी में ऊर्जा वालो ने अपना हौंसला फिर दिखा दिया। विकासपुरूष सवा साल बाद पूजा करने पहुंचे थे। अंगारेश्वर पर। पूजा चल रही थी। तभी अचानक लाईट चली गई। जो पूजा खत्म होने तक नहीं आई। इस दौरान पूरा प्रशासनिक अमला मौजूद था। किसी को भी पता नहीं चला। ऊर्जा वालो ने कब अपना हौंसला दिखा दिया। ऐसा हम नहीं, बल्कि मंदिर में मौजूद रहे भक्तगणों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
सन्नाटा ...
इन दिनों कमलप्रेमी मुख्यालय पर सन्नाटा छाया हुआ है। खतरनाक सन्नाटा। जिसके लिए कमलप्रेमी ही सवाल उठा रहे है। इसके पहले मुख्यालय पर इतना सन्नाटा नहीं रहता था। अपने ढीला-मानुष और लेटरबाज जी रोज नजर आते थे। तो कमलप्रेमी भी दिख जाते थे। किन्तु नये मुखिया दाल वाले नेताजी ने अपना टाइम-टेबल फिक्स कर दिया है। सुबह 10 से 12 और शाम 4 से 5। जबकि बदबू वाले शहर के नेताजी का कोई टाइम-टेबल नहीं है। जब उनका मन होता है। एक दिन पहले सोशल मीडिया पर मैसेज डाला जाता है। इतने समय तक मुख्यालय पर मौजूद रहूंगा। तब कहीं जाकर कमलप्रेमी नजर आते है। कमलप्रेमी इस सन्नाटे से दु:खी है। मगर चुप है। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
होड ...
अपने पिपली राजकुमार के निवास पर रविवार को विकासपुरूष गये थे। नवदंपत्ति को आशीर्वाद देने। यह बात चंद कदम दूर रहने वाले नगरसेवक को पता चली। तो उन्होंने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। इधर-उधर फोन लगाये। जिसके बाद विकासपुरूष तक सूचना गई। विकासपुरूष ने भी बड़ा दिल दिखाया और नगरसेवक के घर भी चले गये। आशीर्वाद देने। ऐसा यह नजारा देखने वाले कमलप्रेमियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
दोस्ती ...
अपने जय-वीरू की दोस्ती कमाल की है। दोनों में इस कदर समन्वय है। जिसकी हर कोई मिसाल देता है। ऐसी दोस्ती प्रशासनिक अमले में बहुत कम देखने को मिलती है। शनिवार की शाम एक शादी में दोनों मौजूद थे। दोस्ती पक्की है। इसलिए एक प्लेट से ही दोनों ने काम चलाया। दोनों ने एक प्लेट में भोजन किया। ऐसा देखने वालो का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
सख्ती ...
मंदिर के नये मुखिया ने आखिरकार सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। जिसके शिकार एक रसूखदार कर्मचारी हो गये है। पहले इनका जलवा था। किन्तु नये मुखिया ने लगाम कस दी। तवज्जों देनी बंद कर दी। बस ... मिल जाने पर हाल-चाल पूछ लेते है। यह बात रसूखदार कर्मचारी को हजम नहीं हुई। वह अपनी गुहार लगाने बड़े दरबार पहुंच गये। अपनी पीडा बताई। जहां से उनको नसीहत मिली। इस मामले में हम कुछ नहीं कर सकते है। जिसके बाद रसूखदार कर्मचारी चुप है। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नमन ...
पूज्यनीय बाबूजी की 13 वीं पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन ...