10 मार्च 2025 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का |

10  मार्च 2025 (हम चुप रहेंगे)

दूसरी दफा ...  

ज्यादा दिन नहीं हुए। जब दालवाले नेताजी ने फटकार लगाई थी। अपने प्रथमसेवक को। दूरभाष पर। पिछले सप्ताह दूसरी दफा प्रथमसेवक निशाने पर आ गये। अपने हाइनेस के। हालांकि सीधे तौर पर फटकार नहीं लगाई। घटना वार्ड 32 की है। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। भूमिपूजन का कार्यक्रम था। हाइनेस,बहन जी आदि समय पर पहुंच गये। प्रथमसेवक वार्ड भ्रमण पर थे। जब अतिथिगण पहुंचे। तो मंच लग रहा था। कुर्सिया जम रही थी। यह देखकर हाइनेस का पारा चढ गया। उन्होंने प्रथमसेवक के दाएं-बाएं को निशाने पर ले लिया। मूलत: निशाने पर प्रथमसेवक थे। उनके साथ उनके पंच-प्यारे भी थे। हाइनेस ने जमकर क्लास ली। नतीजा ... प्रथमसेवक के दाएं-बाएं तो वही रूक गये और प्रथमसेवक चुपचाप निकल गये। ऐसा नजारा देखने वाले कमलप्रेमियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

सीधी बात ...

अपने दालवाले नेताजी की एक आदत बहुत अच्छी है। सीधी बात- नो बकवास ... का स्लोगन उनको बहुत पसंद है। जिसे वह अपने जीवन में उतार चुके है। तभी तो एक कमंडल मुखिया को उन्होंने सीधी बात बोलकर हडका दिया। घटना कमलप्रेमी मुख्यालय की है। जहां कमंडल मुखिया किसी काम को लेकर गये थे। दालवाले नेताजी ने साफ लफ्जों में कह दिया। मेरे अध्यक्ष बनने में सपोर्ट नहीं किया था। इसलिए तेरा ध्यान अब वही रखेंगा। जिसने तुझे कमंडल मुखिया बनाया है। ऐसी चर्चा माधव क्षेत्र के कमलप्रेमी कर रहे है। इसमें कितना सच है... कितना झूठ। हमको नहीं पता। मगर घटना के बाद कमंडल मुखिया चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

रिकार्ड ...

अपने वजनदार जी दूसरे इंसान है। जिन्होंने रिकार्ड बनाया। लगातार 480 मिनिट तक बैठक लेने का। इसके पहले लगातार बैठक लेने का रिकार्ड दूसरे माले के मुखिया ने बनाया था। खैर ... इस बैठक का परिणाम क्या निकला? तो अधिकारी दबी जुबान से बोल रहे है। दिशाहीन हो गई थी बैठक। उदाहरण दिया जा रहा है। बैठक में एक तरफ जहां दूसरे माले के मुखिया अपनी जरूरी फाइले बैठकर निपटाते रहे लगातार। वहीं वजनदार जी बैठक संचालित करते रहे। कई अधिकारी तो सुबह से रात तक बैठे रहे। मगर एक शब्द बोलने का मौका नहीं मिला। नतीजा मोबाइल के सहारे टाईम पास करते रहे। ऐसी चर्चा बैठक के बाद सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बोलने की आजादी सबको है और हमको केवल चुप रहने की। इसलिए आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

महिला दिवस ....

8 मार्च को महिला दिवस था। सभी मातृशक्ति के हमारी तरफ से 2 दिन बाद ही सही, अभिवादन-वंदन। इसी दिन बैठक हुई। जो 8 घंटे तक चली। इस बैठक में महिला अधिकारीगण भी शामिल थी। जो कि शाम 6 बजे तक चुपचाप बैठी रही। आखिरकार किसी ने याद दिलाया। आज महिला दिवस है। इनको तो जाने दिया जाये। तब जाकर महिला अधिकारियों को 120 मिनिट पहले छुट्टी मिली।  वह भी यह अहसान जताकर। महिला दिवस है। इसलिए आप जा सकती है। ऐसी चर्चा उन महिला अधिकारियों के बीच है। जो इसमें शामिल थी। बेचारी ... महिला अधिकारी बैठक के बाद निकलते वक्त यही बोली। पूरा दिन बिगाड दिया और शाम को अहसान जता दिया। महिला अधिकारियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

गैंग ....

मंदिर के गलियारों में चर्चा है। गैंग फिर सक्रिय है। यह वह गैंग है। जो कि मोटी रकम लेकर दर्शन और भस्मार्ती करवाती है। पिछले साल जब रैकेट पकडाया था। तब यह गैंग पकड में आने से बच गई थी। कैसे और क्योंइसका किसी को पता नहीं है। लेकिन मामला शांत होते ही फिर सक्रिय हो गई है गैंग। हर मामले में रेट दुगने हो गये है। भक्तगण की मजबूरी है। चुपचाप अपना काम करवाकर निकल जाते है। कभी-कभार कोई मामला उजागर हो जाता है। जैसे पूणे वाला हो गया। वरना, ऊपर से लेकर नीचे तक धंधा आज भी चालू है। यह बात जिम्मेदारों को भी पता है। मगर सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

स्मार्ट ..

अपने स्मार्ट पंडित जैसा स्मार्ट बंदा, चिराग रगडने पर भी नहीं मिलेगा। मजाल है, कि किसी के हत्थे चढ जाये। कितनी दफा घेराबंदी हो चुकी है। राजधानी से लेकर संकुल तक । हर दफा हाथ आकर फिसल जाने का हुनर उनको आता है। जब-जब उनको घेरने की कोशिश होती है। वह कोई ना कोई रास्ता निकालकर बच निकलते हैं। तभी तो शिवाजी भवन वाले स्मार्ट पंडित के हुनर की तारीफ में कसीदे पडते रहते है। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।

रवानगी ...

आखिरकार रवानगी हो गई। कंबल ओढकर घी पीने वाले अधिकारी की। संकुल के गलियारों में तो यही चर्चा है। अचानक ही आदेश आया और टाटा-बाय-बाय हो गये। इनकी रवानगी का मामला भूमि से जुड़ा है। चर्चा है कि जिस जमीन के लिए ऊपर से निर्देश थे। इसको नहीं करना है। वही काम हरे रंग की चमक से प्रभावित होकर अधिकारी ने कर दिया। नतीजा रवानगी हो गई। संकुल के गलियारों में बैठने वाले अधिकारियों के बीच तो यही चर्चा है। अब इसमें कितना सच है... कितना झूठ? यह हमको पता नहीं है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ज्ञापन ...

अपने चुगलखोर जी जहां भी पदस्थ रहते है। अपनी कार्यशैली से सुर्खियों में आ ही जाते है। वजह उनका हरे रंग से अत्यधिक प्रेम होना है। रेट फिक्स कर देते है। हर काम के। फिलहाल बडबोले नेताजी के इलाके में पदस्थ है। जहां उन्होंने अपनी दुकान खोल ली। चर्चा है कि इस दुकान के खिलाफ काले कोट वालो ने मोर्चा खोल दिया। ज्ञापन दिया है। मगर चुगलखोर जी को इससे कोई फर्क नहीं पडता है। उनका स्लोगन है। जब तक पदस्थ रहो ... खूब कमाई करो। अब देखना यह है कि चुगलखोर जी का कुछ बिगडता है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नींद ...

किसी शायर ने खूब कहा है। नींद तो दर्द के बिस्तर पर भी आ सकती है/ उसकी आगोश में सिर हो ये जरूरी तो नहीं ... ! यह अशआर इन दिनों दाल-बिस्किट वाली तहसील में सुनाई दे रहा है। इशारा तहसील के प्रशासनिक मुखिया की तरफ है। जो कि लंबे समय से रेस्ट हाऊस में राते गुजार रहे है। कारण ... पुरानी मैडम ने अभी तक बंगला खाली नहीं किया है। इस चक्कर में रेस्ट हाऊस को घर बना रखा है। मगर पिछले दिनों उनको अपने वाहन में रात गुजारनी पडी। क्योंकि रेस्ट हाऊस पर वीवीआईपी आगमन से पहले कब्जा हो गया था। इधर शादियों का सीजन चल रहा था। होटल बुक थे। नतीजा ... वाहन में ही सोना पड़ा। जिसके बाद नींद-दर्द-बिस्तर- आगोश की चर्चा शासकीय कर्मचारी कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

अटैच ...

वर्दी को बधाई। जिसने अटैचमेंट के नाम पर वाहन गिरवी रखने वाले मास्टर माइंड को पकडा और खुलासा किया। इस मामले को लेकर गाडी मालिकों में चर्चा है। जिनकी गाडिया गिरवी रख दी गई थी। दबी जुबान से गाडी मालिक बोल रहे है। हमारी तो 1-2 गाडिया थी। मगर किसी अधिकारी की 10 गाडिया थी। जो गिरवी रख दी गई थी। मगर यह अधिकारी कौन है। इसको लेकर वाहन मालिकों ने चुप्पी साध रखी है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चर्चा ...

शिवरात्रि पर्व के पंडे-पुजारियों के अलावा कौन-कौन गर्भगृह में गया था? अलसुबह किस अधिकारी ने अपने पद का प्रभाव दिखाकर गर्भगृह में जाकर दर्शन किये थे। इसको लेकर मंदिर के गलियारों में चर्चा है। संभाग के एक अधिकारी की तरफ ऊंगलिया उठ रही हैं। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।