एक तरफ मंत्री - दूसरी तरफ सांसद और महापौर ...!
उज्जैन। कालिदास संस्कृत अकादमी और विक्रम कीर्ति मंदिर का संचालन कौन करेगा। इसका फैसला संभवत: आज हो सकता है। लेकिन दोनों संस्थाओं के संचालन को लेकर मामला तूल पकड गया है। तभी तो भाजपा में दबी जुबान से यह बोला जा रहा है। एक तरफ मंत्री - दूसरी तरफ सांसद -महापौर -प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व निगम अध्यक्ष ...!
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के खिलाफ 4 भाजपा नेताओं ने मोर्चा खोला है। ऐसा पहली दफा हुआ है। जब 4 भाजपा नेताओं ने पत्र लिखकर खुलकर विरोध किया है। पत्र प्रदेश की आध्यात्म एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर को लिखा गया था। जिसमें स्पष्ट लिखा है कि ... कालिदास संस्कृत अकादमी और विक्रम कीर्ति मंदिर का संचालन, विक्रमादित्य शोधपीठ संस्थान को नहीं दिया जाये। उक्त पत्र 24 जुलाई 2023 को लिखा गया था।
इनके हस्ताक्षर ...
जनमांग का जिक्र करते हुए यह पत्र सांसद अनिल फिरोजिया के लेटरहेड पर लिखा गया है। जिसकी प्रति चुप रहेंगे डॉट-कॉम के पास मौजूद है। पत्र पर सांसद सहित महापौर मुकेश टटवाल, प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिसौदिया व पूर्व निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत के हस्ताक्षर है। पत्र में यह मांग की गई है कि ... दोनों संस्थाओं का संचालन पूर्ववत पृथक-पृथक किया जाये।
जनक ...
सर्वविदित है कि विक्रमादित्य शोधपीठ संस्थान के जनक डॉ. मोहन यादव है। उन्होंने इस संस्था का गठन उस वक्त किया था, जब वह उविप्रा अध्यक्ष थे। वर्तमान में डॉ. यादव प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री है। विक्रमादित्य शोधपीठ संस्थान के बैनर तले ही भव्य विक्रम उत्सव का आयोजन होता है। सूत्रों का कहना है कि दोनों संस्थाओं को शोधपीठ के हवाले करने की हरी झंडी मप्र शासन से मिल चुकी है। लेकिन अंतिम निर्णय शिप्राजंलि न्यास की बैठक में होगा। जिसके अध्यक्ष संभागायुक्त व सचिव कलेक्टर है। यह बैठक आज 17 अगस्त को संभागायुक्त द्वारा बुलाई गई है। बैठक में शोधपीठ संस्थान के मुखिया श्रीराम तिवारी के शामिल होने की संभावना कम नजर आ रही है।