19 जून 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
अभिलाषा ...
चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूथा जाऊं ...! अमर कवि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की यह कविता हमारे पाठकों ने कभी ना कभी तो पढ़ी होगी। मगर आजकल के नेताओं ने इसे कभी नहीं पढ़ा है। यह बात हम दम ठोककर कहते है। तभी तो कोई भी नेता, भले वह दर्जा प्राप्त हो। आज के युग में फूलमाला और फालोगार्ड की अभिलाषा रखता है। जैसे अभी-अभी एक नेताजी आये थे। दर्जा प्राप्त। सफाई विभाग वाले नेताजी। बैठक में आने से पहले उनकी अभिलाषा थी। उनको फालोगार्ड की सुविधा मिले। जिसके लिए उन्होंने खूब जतन किये। मगर उनकी यह अभिलाषा पूरी नहीं हो पाई। तो बैठक में वर्दी को देखकर उखड़ गये। ऐसा बैठक में शामिल अधिकारी बोल रहे है। नेताजी की इस अभिलाषा पर हम तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहेंगे।
चिट्ठी ...
लगभग 2-3 दशक पहले एक फिल्म आई थी। नाम। जिसका एक गीत पंकज उदास की आवाज में था। चिट्ठी आई है- चिट्ठी आई है। इस गीत को सुनने वालो की आंखे नम हो जाती थी। लेकिन यहां हम जिस चिट्ठी की बात कर रहे है। उससे आंखे नम नहीं हो रही है, बल्कि आश्चर्यचकित हो रही है। क्योंकि चिट्ठी में एक आईएएस अफसर की जानकारी मांगी गई है। इस अफसर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे है। जिसके चलते संकुल के गलियारों में चिट्ठी को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। राजधानी ने रिपोर्ट मांगी है। आखिर सच क्या है। मामला दाल-बिस्किट वाली तहसील में पदस्थ आईएएस अफसर का है। अब देखना यह है कि रिपोर्ट में सच उजागर होता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
3 बनाम 30 ...
हमारे पाठकगण 3 बनाम 30 का अर्थ समझे। इसके पहले हम यह साफ कर दे। 3 बनाम 30 की चर्चा दाल-बिस्किट वाली तहसील में जोरो पर है। निशाने पर वही आईएएस अफसर है। जिनकी जांच के लिए राजधानी से चिट्ठी आई है। भ्रष्टाचार के आरोप है। उनके द्वारा एक फ्लैट/ बंगला खरीदा गया है? जो कि हरियाणा प्रदेश में बताया जा रहा है। कोई 3 तो कोई 30 खोखा कीमत बता रहा है। शहर का नाम गुडगांव बताया जा रहा है। बहरहाल ... यह खोज का विषय है। क्या वाकई आईएएस अफसर ने, अपनी पुरानी पदस्थापना की कमाई फ्लैट/ बंगले में इनवेस्ट की है। जिसको लेकर विरोधी खोजबीन कर रहे है। देखना यह है कि सफलता मिलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरे अंगने में ...
फिल्म लावारिस का बहुचर्चित गीत हमारे पाठकों को याद होगा। मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है... ! यह गीत स्मार्ट भवन के गलियारों में इन दिनों सुनाई दे रहा है। जिसमें इशारा अपने नगर के प्रथम सेवक की तरफ है। जो कि साम-दाम-दंड-भेद-नीति अपनाकर स्मार्ट भवन में घुसपैठ कर रहे है। परामर्शदात्री समिति के अध्यक्ष बनने के लिए। जबकि इस समिति के अध्यक्ष अपने वजनदार जी है। उनको हटाकर खुद मुखिया बनना चाहते है। जिसके लिए चिट्ठी भी लिख चुके है। अपने उत्तम जी को भी पत्र लिखा है। जबकि नियमानुसार उनका कोई हक ही नहीं बनता है। फिर भी अपने प्रथम सेवक की मांग है। मुझे अध्यक्ष बनाओं। तभी तो मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है... गीत सुनाई दे रहा है। देखना यह है कि अपने वजनदार जी, अपने अंगने में प्रथम सेवक को इंट्री देते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
अनुमति ...
अपने प्रथम सेवक ईमानदारी का राग अलापते है। भ्रष्टाचारी अधिकारी को पनाह नहीं देने का दावा करते है। लेकिन जब अमल करने का मौका आता है। तो प्रस्ताव दबाकर बैठ जाते है। मामला देवास रोड की बिल्डिंग का है। जिसमें नियमों का उल्लंघन हुआ है। आवासीय को व्यवसायिक कर दिया है। इस मामले में सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री पर कार्रवाई होना है। मामला लोकायुक्त से जुड़ा है। शिवाजी भवन के मुखिया 2 बार प्रस्ताव भेज चुके है। लेकिन अपने प्रथम सेवक उसे दबाकर बैठे है। कारण ... या तो जेब गर्म हुई है, या फिर दबाव है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि ईमानदारी का राग अलापने वाले अपने प्रथम सेवक का जमीर आखिर कब जागता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चूक या ..
वर्दी को लेकर यह बात अकसर कही जाती है। वर्दी, जैसा अपराध होता है, वैसी धाराएं ठोकती है। लेकिन दबाव या जेब गर्म हो जाये। तो धाराएं बदल जाती है। नकली मावा कांड इसका प्रमाण है। जिसमें आरोपी को बचाने के लिए धाराओं में खेल किया गया है। अगर,वर्दी ईमानदारी से काम करती। तो 467-468-471 आईपीसी जरूर लगती। लेकिन आरोपी को बचाने के लिए इन धाराओं को इग्नोर किया गया। जिसके पीछे कारण दबाव से ज्यादा जेब गर्म होना बताया जा रहा है। अब इसे चूक कहना तो पूरी तरह ही गलत होगा। क्योंकि वर्दी तो खत का मजमून भाप लेती है, लिफाफा देखकर। फिर इस मामले में यह चूक कैसे हो गई। बहरहाल ... अंदरखाने की चर्चा पर यकीन करे तो मामला ... नजराना- शुकराना से जुड़ा है। इसीलिए चूक हुई है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
परेशान ...
संघ के एक पदाधिकारी है। सहज-सरल- मिलनसार- ईमानदार। पद पर है, लेकिन कभी भी उसका घमंड नहीं दिखाते हैं। यह पदाधिकारी इन दिनों परेशान है। उनकी परेशानी का कारण ... नगर तहसील की ईमानदार मैडम है। जो कि उनका नियमानुसार होने वाला मामूली काम अटका कर बैठी हैं। मामला जमीन का है। जिसकी खरीद-फरोख्त लीगल है। इसे कम्प्यूटर पर दर्ज करना है। लेकिन सही काम करने से भी बचने वाली अपनी ईमानदार मैडम, इस काम को टाल रही है। पिछले सप्ताह तक तो यही खबर थी। अब अगर कर दिया हो तो पता नहीं है। किन्तु यह पक्का है कि ... पिछले कुछ महीनों से संघ के यह पदाधिकारी इस काम को लेकर परेशान थे। उनकी परेशानी दूर हुई या नहीं। इसका खुलासा इस सप्ताह हो जायेगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
निगाह ...
अपने इंदौरीलाल जी की कुर्सी पर निगाह है। एक अपर कलेक्टर मैडम की। उनका अभी-अभी प्रमोशन हुआ है। शहर छोड़कर जाने की इच्छा नहीं है। इसलिए राजधानी में जुगाड लगाकर आई है। राजधानी में वादा भी कर आई है। मगर वादा क्या किया है। इसका खुलासा नहीं हो पाया है। अगर नियुक्ति हो गई। तो वादा पूरा करना होगा। यहां यह बात हम क्लियर कर दें कि ... मैडम की निगाह विकास वाले विभाग की कुर्सी पर है, मंदिर वाली कुर्सी पर नहीं। सूची जल्दी ही इस महीने के अंत तक जारी होने वाली है। तब ही फैसला होगा। सफलता मिलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पीछे कौन ...
पंजाप्रेमी नेता सूरज अस्त- हम मस्त... का आडियों वायरल हो गया है। जिसमें वह अपनी बुआ जी और बिरयानी नेताजी को अनाप-शनाप बोल रहे है। जाहिर है कि होश-हवास में तो वह ऐसा बोल नहीं सकते है। इसलिए यह तय है कि आडियों रिकार्डिंग रात की है। लेकिन सवाल यह है। आखिर किसके इशारे पर रिकार्डिंग की गई। क्योंकि ... सूरज अस्त-हम मस्त नेता जिससे बात कर रहे है। वह अपने बिरयानी नेताजी के पट्ठे है। अंदरखाने की खबर है कि 3 दिन पहले यह रिकार्डिंग की गई थी। फिर इस रिकार्डिंग को सबसे पहले अपने बिरयानी नेताजी ने सुना। जो कि बांस पर बांस चढ़ाने में माहिर है। बिरयानी नेताजी ने 2 दिन इंतजार किया। जिसके बाद आडियों वायरल करने की हरी झंडी दे दी। नतीजा... सूरज अस्त-हम मस्त ... का सूरज अब पदमुक्त हो गया है। ऐसा हम नहीं, बल्कि शहर के पंजाप्रेमी बोल रहे है। उनकी बात सच है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
रास्ता साफ ...
मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है/ वही होता है जो मंजूर महाकाल होता है। यह अशआर अपने लिटिल मास्टर पर सही साबित होने वाला है। क्योंकि उनका रास्ता साफ हो गया है। महाकाल की मर्जी रही तो इस सप्ताह में वह अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हो जायेंगे। हालांकि उनका रास्ता रोकने के लिए खूब कोशिश की गई। येन-केन-प्रकेरण लिफाफा बंद हो जाये। किन्तु बाबा महाकाल की मर्जी थी। इसलिए मुद्दई लाख बुरा चाहने वालो को शिकस्त खानी पड़ी है। जिसमें हम क्या कर सकते है। हम तो बस अपने लिटिल मास्टर को अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।
पिटीशन ...
महाकाल लोक मूर्ति कांड में पिटीशन दायर हुई है। पंजाप्रेमियों द्वारा। लेकिन इसके बाद भी शासन- प्रशासन में कोई घबराहट नहीं है। अपने स्मार्ट पंडित जी भी बिलकुल शांत है। राजधानी में भी कोई हलचल नहीं है। इसके पीछे आखिर क्या वजह है। तो अंदरखाने की खबर है कि ... सभी ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत कर दिये गये है। जिनके अध्ययन के बाद शासन-प्रशासन का बाल- बांका नहीं होना है। इसीलिए सभी शांति के साथ चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दोष गुसांई ...
बाबा तुलसीदास लिख गये है। समरथ को नहीं दोष गुसांई। यह अपने विकास पुरूष ने साबित कर दिया है। सिहंस्थ क्षेत्र की भूमि मुक्त करवाकर। इसमें उनके सहयोगी सागरवाले मौनी बाबा बन गये। दोनों की जुगलबंदी से खेल हो गया। बेचारे... अपने मामाजी को तब पता चला, जब तक खेल हो चुका था। दोनों ने अपना-अपना समरथ दिखा दिया। मगर अब अपने मामाजी को इंतजार है। अपना समरथ दिखाने का तभी तो रास्ता तलाश किया जा रहा है। मास्टर प्लान को कैसे भी साम-दाम-दंड- भेद- नीति का हवाला देकर लागू करने से रोका जा सके। ताकि करोड़ो की जमीन का मूल्य कौडी का हो जाये। देखना यह है कि ... अपने मामाश्री अपना समरथ कब और कैसे दिखाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बवाल मच जाता ...
महाकाल मंदिर में रविवार की अलसुबह बवाल मच जाता। अगर पडोसी मुल्क से आई अफसर मंत्री एक्शन लेती। क्योंकि अतिविशिष्ट श्रेणी की इस सीनियर अफसर मंत्री को सामान्य लाईन में खड़ा कर दिया गया था। मंदिर के प्रोटोकॉल द्वारा। वह तो प्रशासन के नंबर-2 अधिकारी मौजूद थे। तो उन्होंने मामला संभाल लिया। सीनियर अफसर उस मुल्क से आई थी। जिसके प्रधानमंत्री अभी पिछले दिनों बाबा के दर्शन करने आये थे। उस देश में सीनियर अफसर को मंत्री का दर्जा दिया जाता है। पडोसी मुल्क की एम्बेसी भी लगातार संपर्क में थी। इसके बाद भी यह घटना हो गई। सीनियर अफसर विनम्र थी। इसलिए बगैर शिकायत करे, वापस चुपचाप चली गई। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
माफी ...
एक तरफ जहां मंदिर में पडोसी मुल्क की सीनियर अफसर को परेशानी उठानी पड़ी। वहीं रविवार की सुबह एक और घटना हुई। जिसके शिकार एक कलेक्टर हो गये। अपने 3 मित्रों के साथ आये थे। जहां उनके साथ सामान्य दर्शनार्थी की तरह मंदिर प्रोटोकॉल ने व्यवहार किया। जबकि प्रशासन का प्रोटोकॉल समझाने की कोशिश करता रहा। आखिरकार आईएएस अफसर को गुस्सा आ गया। उन्होंने अपने इंदौरीलाल जी के सामने कड़ी आपत्ति ली। कड़े शब्दों में फटकार लगाई। मामला तूल पकड़ता देख, अपने इंदौरीलाल जी ने तत्काल माफी मांग ली। ऐसी मंदिर के गलियारों में चर्चा है। किन्तु हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।