गेट मीटिंग की आड़ में दबाव की राजनीति ...!
उज्जैन। तो आखिरकार लंबे समय बाद कर्मचारी हित की आवाज़ शिवाजी भवन में सुनाई दी। नगर निगम के गेट पर। इसका निगम कर्मचारियों को काफी समय से इंतजार था। लेकिन इस गेट मीटिंग को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि ... पिछले 1 साल से ऐसी मीटिंग क्यों नहीं हुई? वह भी तब, जब संघ के अध्यक्ष पर ही पिछले निगम आयुक्त ने कार्यवाही कर दी थी। उस वक्त विरोध प्रकट करने के लिए गेट मीटिंग क्यों नहीं बुलाई गई थी।
गुरूवार को कर्मचारी संघ के संरक्षक रामचंद्र कोरट, स्वायत्तशासी कर्मचारी संघ अध्यक्ष रमेशचंद्र रघुवंशी, सफाई कामगार संघ अध्यक्ष चंदगीराम टांकले, सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ अध्यक्ष डॉ. पवन व्यास की मौजूदगी में गेट मीटिंग संपन्न हुई। निगम के कर्मचारी भी शामिल हुए। अब कर्मचारी हितों के लिए मीटिंग हुई थी। तो नारेबाजी भी हुई। उसके बाद मात्र 40 दिन पुराने निगम आयुक्त रोशनसिंह से चर्चा हुई। कर्मचारियों के हक व हितों को लेकर चिंता जताई गई। अपर आयुक्त आदित्य नागर भी मौजूद थे। कुल मिलाकर लंबे समय बाद नगर निगम में गहमा-गहमी का माहौल नजर आया। इस घटना के बाद निगम के गलियारों में यह चर्चा आम है कि ... गेट मीटिंग की आड़ में दबाव की राजनीति...!
इन पर हुई चर्चा ...
आयुक्त रोशनसिंह के साथ इन विषयों को लेकर चर्चा हुई। कर्मचारियों के नियमितिकरण, पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए पत्र लिखना, वरीयता व योग्यता के आधार पर प्रभार देने, नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजने, नियमानुसार पदोन्नति, 600 के बदले 1000 हजार मेडिकल भत्ता देने, आदि विषय चर्चा में शामिल थे। ताज्जुब की बात यह है कि यह सभी विषय पुराने है। कोई नया विषय इस चर्चा में शामिल नहीं था। इन सभी मांगों को लेकर लंबे समय से मांग समय-समय पर उठती रही है।
तमाशा ....
गेट मीटिंग और आयुक्त के साथ हुई बैठक के बाद शिवाजी भवन में यह चर्चा जोरो पर है। गुरूवार को जो तमाशा किया गया। उसने संघ की कार्यशैली पर ही सवाल उठा दिये। क्योंकि जिनको, इन सभी मांगों को लेकर लिखा-पढ़ी करनी है। वह खुद ही ... हमारे मांगे पूरी करो... के नारे लगा रहे थे। कर्मचारियों का इशारा स्वायत्तशासी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रमेशचंद्र रघुवंशी की तरफ है। वह स्थापना शाखा के अधीक्षक है। उन्हीं के मार्गदर्शन में यह काम होने है। जिनको लेकर गेट मीटिंग हुई। अधीक्षक को ही फाइले आगे बढ़ानी है। लेकिन वह खुद मांगे पूरी करो के तमाशे में शामिल थे। तभी तो शिवाजी भवन के कर्मचारी दबी जुबान से गेट मीटिंग को तमाशे की संज्ञा दे रहे है।
राजनीति ...
एक तरफ जहां कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की कार्यशैली को दबी जुबान में तमाशा की संज्ञा दी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ संघ के संरक्षक रामचंद्र कोरट के दोहरे रवैये को दबाव की राजनीति बताने में कर्मचारी नहीं चूक रहे है। नाम नहीं छापने की शर्त पर खुलकर बोल रहे है। संरक्षक महोदय तब कहां थे। जब संघ के अध्यक्ष पर कार्यवाही हुई थी। पदावनत कर दिया गया था। वसूली भी की गई थी। उस वक्त संरक्षक क्यों चुप थे। उस वक्त गेट मीटिंग बुलाकर एकता क्यों नहीं दिखाई गई। कर्मचारीगण यह भी बोल रहे है कि ... संघ के अध्यक्ष पर कार्यवाही तत्कालीन निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता द्वारा की गई थी। जिनसे संघ के संरक्षक का गहरा याराना था। शायद इसीलिए उन्होंने तत्कालीन आयुक्त द्वारा की गई कार्यवाही के बाद चुप्पी साध रखी थी। अब नये निगम आयुक्त आ गये है। तो कर्मचारी हितों की आड़ में दबाव की राजनीति की जा रही है... !