21 नवम्बर 2022 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

21 नवम्बर 2022 (हम चुप रहेंगे)

लू- उतारी...

शीर्षक से हमारे पाठक इतना तो समझ ही गये होंगे। घटना विवाद से जुड़ी है। स्थान तपोभूमि है। लू- उतारने वाले अपने पंजाप्रेमी पहलवान है। जो कि दाल-बिस्किट वाली तहसील के जनप्रतिनिधि है। उनकी विधानसभा में फेरबदल हुआ। बगैर पूछे नया अध्यक्ष बना दिया गया। यहां तक भी ठीक था। मगर सोशल मीडिया पर पोस्ट अपलोड करने वाली नेत्री ने उनका गुस्सा भड़का दिया। बेचारे ... पहलवान पहले ही इस पंजाप्रेमी नेत्री के कारण दिल्ली तक चर्चित हो चुके है। इसीलिए तपोभूमि पर दोनों पंजाप्रेमी नेता मिल गये। जिन्होंने नियुक्ति की थी। अपने पहलवान दोनों को अलग लेकर गये। अपनी चिरपरिचित भाषा शैली में दोनों की लू- उतार दी। इसमें से एक अपने बिरयानी नेताजी के रिश्तेदार है। अब नजारा देखने वाले पंजाप्रेमी पहलवान की हिम्मत की दाद दे रहे है। लू- उतारी... लू- उतारी बोल रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार बस चुप ही रहना है।

अनुवाद ...

अग्रेजी भाषा का हिन्दी में अनुवाद करना ? वाकई टेढा काम है। खासकर उनके लिए। जो बातचीत की शुरूआत तो ... हाऊ आर यू ... से करते है। लेकिन इसके तत्काल बाद मातृभाषा हिन्दी में बात करने लगते है। अपने हवाई फायर पंजाप्रेमी नेताजी इसी श्रेणी में आते है। ऐसा हम नहीं, बल्कि उनके करीबी पंजाप्रेमी ही बोल रहे है। इसके बाद भी अपने हवाई फायर नेताजी ने हिम्मत दिखाई। मीडिया के समक्ष अनुवाद करने की। उनके इस अधकचरे ज्ञान पर अब खूब मजाक बन रहा है। मजाक बनाने वाले भी पंजाप्रेमी ही है। जो कि उस वक्त सर्किट हाऊस पर मौजूद थे। अनुवाद का नजारा देख रहे थे। वही अब खुलकर मजाक उडा रहे है। मगर हमारी सलाह है। किसी का मजाक बनाना अच्छी बात नहीं है। अब अगर पंजाप्रेमी सलाह मान ले तो ठीक है। वरना हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

फेल ...

अपने पंजाप्रेमी चरणलाल जी राजनीति में माहिर है। उनको राजनीति में कोई फेल नहीं कर सकता है। हर चाल का जवाब उनके पास रहता है। लेकिन वह सोमरस वाली बैठक में फेल हो गये। घटना दीवाली मिलन समारोह की है। जो कि दिन में हुआ था। फिर शाम को बैठक जमी। चुनिंदा लोग ही थे। जिसमें 2 दरबार भी शामिल थे। 1 दरबार 4-5 पैग के बाद रूक गये। जिसे देखकर अपने चरणलाल जी ने तंज कस दिया। कैसे दरबार हो... बस 4-5 में ही फेल। दूसरे दरबार को यह बात अखर गई। बस फिर क्या था। दूसरे दरबार ने चैलेंज स्वीकार कर लिया। नई बोतल खुली। फिर शुरू हुआ जाम पर जाम का सिलसिला। जो कि ऐसा चला कि ... कुछ देर बाद अपने चरणलाल जी फेल हो गये। ऐसा हम नहीं बल्कि बैठक में शामिल पंजाप्रेमी और ग्रामीण के कमलप्रेमी दोनों बोल रहे है। अब सच और झूठ का फैसला, अपने चरणलाल जी के करीबी बेहतर कर सकते है। वरना हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

तंज ...

कभी अपने वजनदार जी को तंज करते देखा है? बहुत सटीक तरीके से तंज करते है। सीधा-सपाट- बगैर लाग-लपेट के। उनका तंज सीधे दिल और दिमाग पर लगता है। जैसे अभी पिछले दिनों उन्होंने तंज कसा। अपने कार्यकर्ताओं के सामने। उनके निवास की घटना है। एक कार्यकर्ता सीधे अंदर घुस गया। किसी काम को लेकर आया था। जबकि अपने वजनदार जी बाहर बैठे थे। कार्यकर्ता ने निजी स्टाफ से विवाद कर लिया। ऊंची आवाज में चिल्लाने लगा। आवाज अपने वजनदार जी तक पहुंची। उन्होंने कार्यकर्ता को बुलाया। पूछताछ करी। चिल्लाने का कारण पूछा। कार्यकर्ता को समझाया। मगर उसकी ऊंची आवाज बंद नहीं हुई। तब वजनदार जी ने उसी स्वर में फटकार लगा दी। यहां तक कोई तंज नहीं था। फिर कार्यकर्ता को रवाना कर दिया। जिसके बाद उन्होंने तंज मारा। अगर हिम्मत है तो उस बंगले पर जाकर चिल्लाए? उनका इशारा अपने विकास पुरूष की तरफ था। वजनदार जी का तंज सुनकर कार्यकर्ता मुस्कुराए और चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

किस्मत ...

राजनीति में मेहनत के साथ-साथ किस्मत भी जरूरी होती है। जैसे अपने विकास पुरूष की किस्मत। जो इन दिनों उनकी मेहनत का फल दे रही है। लेकिन सबकी किस्मत विकास पुरूष जैसी नहीं होती है। जैसे अपने गुमसुम युवा की। इन दिनों कोई तो ग्रह उनकी कुंडली में आकर बैठ गया है। सूर्य या चंद्रग्रहण के बाद। जिसके चलते उनके मोहरे (फायनेंसर) पिट रहे है। अंदरखाने की खबर है। टावर चौक के एक युवा का नाम उन्होंने आगे बढाया था। युवा कमलप्रेमी संगठन के लिए। कोई भी पद मिल जाये इसकी एवज में गुमसुम युवा के नाज-नखरे उठाये जा रहे थे। इसकी भनक अपने विकास पुरूष को लग गई। नतीजा ... उस मोहरे (फायनेंसर) का नाम ही सूची से काट दिया गया। ऐसा युवा कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

अंडगा ...

अपने विकास पुरूष जिस काम में अंडगा डाल दे। वह कभी भी आसानी से नहीं हो सकता है। अभी तक तो इस सत्य को केवल कमलप्रेमी ही स्वीकार करते थे। लेकिन अब पंजाप्रेमी भी इस सत्य से परिचित हो गये है। तभी तो दमदमा के गलियारों में चर्चा आम है। अपने विकास पुरूष ने ठान लिया है। वह जनपद का प्रथम सम्मेलन नहीं होने देंगे? फिर भले ही इसके लिए साम-दाम-दंड-भेद किसी का भी सहारा लेना पड़े। तभी तो सम्मेलन की तारीख घोषित होते ही अंडगा लगा दिया। अब यह अंडगा कब तक रहेगा? इसका फैसला तो केवल 2 लोग ही कर सकते है। या तो अपने विकास पुरूष या फिर अपने उम्मीद जी। इधर पंजाप्रेमियों को इंतजार है। जो कब पूरा होगा। कोई नहीं बता सकता है। तो फिर हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरे अंगने में ...

बिग-बी ने ... मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है... गीत गाया था। चर्चित गीत था। जिसको अब अपने युवा कमलप्रेमी गुनगुना रहे है। टावर चौक पर पुतला दहन था। जो कि युवाओं का कार्यक्रम था। मगर इसमें अपने द्विअर्थी - संवाद वाले नेताजी नजर आये। जो कि बुजुर्ग कमलप्रेमी है। जिनको देखकर हर युवा कमलप्रेमी आश्चर्य में था बगैर बुलाये मेहमान थे द्विअर्थी - संवाद वाले नेताजी। उस पर तुर्रा यह कि ... द्विअर्थी - संवाद वाले नेताजी... मुझे आगे आने दो... मुझे आगे आने दो... चिल्लाते नजर आये। तभी तो युवा कमलप्रेमी ... मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है... गुनगुना रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

शिकार ...

अपनी वर्दी इन दिनों शिकार की तलाश में है। नम्बर वाले खेल का शिकार करना है। लेकिन नम्बर का खेल कौन शिकारी कर रहा है। इसका पता वर्दी को नहीं चल रहा है। जिसकी वजह यह है कि ... वर्दी ने अपनी आंखो पर काला चश्मा पहन लिया है। जिसके चलते उसको कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। तभी तो दौलतगंज और इंदौर गेट के आसपास खुलकर नम्बर वाला खेल चल रहा है। जिनके संरक्षण में खेल चल रहा है। वह कमलप्रेमी पावरफूल नेताजी है। यह नेताजी सोशल मीडिया पर वर्दी के साथ खड़े रहने की पोस्ट भी अपलोड करते रहते है। जिसे देखकर, छोटे वर्दी वाले चुप रहना ही बेहतर समझते है। तो हम भी नेताजी की ताकत देखकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कुछ नहीं कहना ...

अगर किसी मामले में जांच चल रही हो। जांच एजेंसी ने जवाब देने का अवसर भी दिया। इसके बाद भी अगर कोई जवाब नहीं देता है? तो इसको क्या माना जायेगा। महाकाल-लोक के मामले में ऐसा ही हुआ हैअपने पपेट जी को छोड़कर, बाकी सभी ने अपने-अपने जवाब पेश कर दिये है। लेकिन पपेट जी ने कोई जवाब नहीं दिया है। स्मार्ट भवन के गलियारों में तो यही चर्चा है। अब अपने पपेट जी ने जवाब क्यों नहीं दिया। इसको लेकर सभी अपने-अपने कयास लगा रहे है। उधर अपने पपेट जी, इन सभी को फंसाकर चुप बैठे है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चलते-चलते ...

कोठी रोड- उदयन मार्ग के आसपास कई सरकारी बंगले है। इन्ही बंगलों में से 1 बंगले में मरहूम शायर डॉ. राहत इंदौरी के एक अशआर पर खूब अमल किया जा रहा है। राहत इंदौरी साहब ने बहुत बढिय़ा शेर लिखा थादिन ढल गया तो रात गुजरने की आस में/ सूरज नदी में डूब गया और हम गिलास में...। अब यह बंगला कौनसा है? इसका हमको पता नहीं चल रहा है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  

सेंधमारी ...

अपुन को तो इतना तकनीकी ज्ञान है नही? मगर किसी ने humchuprahenge.com में घुसने के लिए सेंधमारी की है।मेरी तस्वीर को हटा कर कार्टून लगा दिया। हमारा उस सेंधमारी करने वाले से अनुरोध है कि...सुधर जाओ,हरकतों से बाज आओ..वर्ना हम चुप नही रहेंगे