विकास पुरुष बदलेंगे इतिहास
उज्जैन। हाथरस का हादसा अभी ताजा है। एक प्रवचनकार की चरणरज लेने की होड़ में 123 जिंदगियां खत्म हो गईं। अव्यवस्थाए आपाधापी अंधभक्ति और अराजकता ये सब उस हादसे के कारण थे। हाथरस का हादसा हम सब के लिए बड़ी चेतावनी है। महाकाल के नगर भ्रमण में अब गिनती के दिन रह गए हैं। और सवारी में आस्था का जो सैलाब उमडऩे लगा है वो चिंता का विषय भी है। सावन का महीना बारिश का मौसम एक छोटी सी चूक बड़ा हादसा हो सकती है।
महाकाल सवारी के स्वरूप में थोड़े बदलाव अब जरूरी सा है। कहारों के कंधों पर चल रही पालकी में बैठे महाकाल राजा की एक झलक के लिए भक्त घंटों सड़कों पर खड़े रास्ता निहारते हैं। जैसे ही पालकी सामने आती है भीड़ का वो आलम होता है कि पीछे खड़े लोग एक नजर भी नहीं देख पाते और पालकी आगे बढ़ जाती है। ये एक पल ही वो होता है जब दर्शन की होड़ भगदड़ में बदलने के चांस हमेशा होते हैं।
आज प्रदेश के मुखिया विकास पुरुष शहर में होंगे। अब समय आ गया है कि विकास पुरुष अपनी छवि के मुताबिक फैसला लें। परंपरा को बदलें और शिवभक्तों के हित में महाकाल की पालकी को चलित मंच पर रखकर नगर भ्रमण पर निकालने की नई परिपाटी की शुरुआत करें। परंपराओं को तोडऩा इतिहास को बदलना विकास पुरुष बेहतर जानते हैं।
विरोध होगा लोग नाराज भी होंगे तर्क-कुतर्क भी दिए जाएंगे लेकिन हमें महाकाल भक्तों को देखना है। उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना है। एक परंपरा बदलने से अगर हजारों की जिंदगी दाव पर लगने से बच जाए तो महाकाल प्रसन्न ही होंगे। जिन्हें नाराजी है जो विरोध में हैं वे भी खुले दिमाग से सोचेंगे तो संभवत: उन्हें इस बदलाव में महाकाल भक्तों का हित ही नजर आएगा।
सावन अब 15 दिन दूर है। अगर अभी फैसला नहीं लिया तो फिर एक साल इंतजार और अगले सवारी के 6 सोमवार क्राउड मैनेजमेंट का तनाव। फैसला अब विकास पुरुष के हाथ में हैं। नई परंपरा और नई इबारत लिखी जाएगी या पुरातन के रास्ते पर चला जाएगा। ये वक्त बताएगा। जय महाकाल।