'मुख्यमंत्री' से गुहार: जो हो सम्मान योग्य, उसे मिले 'पुरूस्कार' ...!

मामला 26 जनवरी को पुरूस्कृत होने का

'मुख्यमंत्री' से गुहार: जो हो सम्मान योग्य, उसे मिले 'पुरूस्कार' ...!

उज्जैन। बाबा महाकाल की नगरी में इतिहास बनने वाला है। इस बार गणतंत्र दिवस अनोखा व अनूठा होगा। कारण ... पहली दफा कोई मुख्यमंत्री झंडावंदन करेंगे। इसके पहले आज तक ऐसा मौका नहीं आया है। तभी तो सरकारी विभागों में मुख्यमंत्री से गुहार लगाई जा रही हैसम्मान योग्य जो हो ... उसे मिले पुरूस्कार... !

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के हाथों इस दफा दशहरा मैदान पर झंडावंदन होगा। अभी तक झंडावंदन मंत्री या प्रभारी मंत्री करते आये है। पहली बार मुख्यमंत्री करेंगे। इसीलिए यह आयोजन गरिमानूकुल होगा। जिसके लिए जिला प्रशासन पिछले 5 दिनों से तैयारी में जुटा है। आज फायनल रिहर्सल थी। जिला शिक्षाधिकारी आनंद शर्मा ने इसमें प्रतीकात्मक भूमिका निभाई।

चापलूसी ...

मुख्यमंत्री के हाथों पुरूस्कृत होने के लिए हर शासकीय कर्मचारी जुगाड में है। नतीजा शासकीय कार्यालयों में चर्चा है। चापलूसों का नाम लिस्ट में नहीं हो। सम्मान उनको ही मिले, जिन्होंने वाकई उत्कृष्ट कार्य किया है। विभाग प्रमुखों की चापलूसी करने वालो को यह मौका नहीं मिलना चाहिये। तभी तो कई कर्मचारी खुलकर बोल रहे है। पिछले कई सालों से 15 अगस्त व 26 जनवरी, दोनों बार ऐसे लोग सम्मानित होते रहे हैं। जिसमें अधिकारियों के खानसामा- दरबान- ड्रायवर- सुरक्षाकर्मी सहित कई ऐसे चापलूस शामिल हैं। जो कार्यालय में तो काम नहीं करते है, मगर चापलूसी करने में उनको पीएचडी हासिल है।

नियम ...

सूत्रों का कहना है। 15 अगस्त व 26 जनवरी को सम्मानित होने वाले अधिकारी/कर्मचारी के लिए आज तक कोई नियम नहीं बना है। बस एक ही नियम चलता है। चापलूसी या फिर पॉवर। जिसके चलते कई कर्मचारी पिछले कई सालों से पुरूस्कार हासिल कर रहे है। जबकि होना यह चाहिये सम्मान उनको मिलना चाहिये। जिसने जनहित-देशहित या फिर कोई ऐसा काम किया हो। जो सबसे अलग हटकर हो। मगर ऐसा नहीं होता है। इसीलिए तो गुहार लगाई जा रही है। सम्मान उनका हो जो योग्य हो... चापलूसों का नहीं।

प्रतीक चिन्ह ...

बगैर नियमों के पुरूस्कृत होने के अलावा, सरकारी कर्मचारी यह गुहार भी मुख्यमंत्री से लगा रहे है। पुरूस्कार के वक्त देने वाले प्रतीक चिन्ह (शील्ड) भी उनको दी जाये। पिछले साल तक यही होता आया है। 3 शील्ड पिछले कई सालों से जिला पंचायत द्वारा पालिश करके लाई जाती है। इन्हीं शील्ड को हर ग्रुप को दिया जाता है। फोटो खिचने के बाद, मंच से उतरते ही शील्ड वापस ले ली जाती है। कई लोगों को तो प्रशस्ति पत्र भी नसीब नहीं होता है। इस दफा मुख्यमंत्री के हाथों पुरूस्कार मिलेगा। इसलिए सभी की गुहार है कि शील्ड और प्रमाण-पत्र सभी को दिया जाये।

लंबी सूची ...

पिछले वर्ष 2023 में 26 जनवरी को पुरूस्कृत होने वालों की संख्या लगभग 170 के करीब थी। लेकिन इस दफा यह संख्या 270 के करीब पहुंच गई है। जिपं सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। 44 विभागों से 270 नाम, 24 जनवरी की शाम तक आ गये थे। यह सूची कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को आज भेजी जायेंगी। उसके बाद नाम फाइनल होंगे। यहां यह लिखना जरूरी है। इस सूची में भी वही अधिकांश नाम होंगे। जो पिछले कई सालों से दोनों राष्ट्रीय पर्व पर पुरूस्कार लेते रहे है। हम चुप रहेंगे डॉटकॉम ने पिछले 5 सालों की सूची मांगी थी। ताकि उनके नाम उजागर किये जा सके। जो 15 अगस्त और 26 जनवरी को पुरूस्कार लेते रहे है। मगर, केवल 2023 की सूची ही जिला पंचायत से उपलब्ध हो पाई।

चर्चा ...

भले ही कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के पास सूची आज गुरूवार को भेजी जायेंगी। जिसमें 270 के करीब नाम होंगे। लेकिन संकुल के गलियारों में चर्चा है। मुख्यमंत्री के पास इतना समय नहीं होगा। इसलिए इस सूची में कांट-छांट जरूर होगीसूत्रों का कहना है कि अधिकतम 2 दर्जन को ही मुख्यमंत्री के हाथों सम्मान का अवसर मिलेगा।