23 जनवरी 2024 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

23 जनवरी 2024 (हम चुप रहेंगे)

टेकरी ...

वैसे तो शहरवासी केवल 2 टेकरी का नाम जानते है। योगेश्वर व बीजासन टेकरी। मगर हम तीसरी टेकरी का खुलासा कर रहे है। जिसे शिवाजी भवन वाले विद्यानगर टेकरी के नाम से जानते है। यहां की सीधी-सपाट सीढिय़ा चढऩा हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन इन सीढिय़ों पर अपने प्रथमसेवक हर रोज चढते-उतरते है। एक दफा टेकरी चढऩे के बाद, कम से कम 2 से 3 घंटे बाद ही उतरते है। जिसके चलते उनके कई कार्यक्रम बिगड जाते है। ऐसा प्रथमसेवक के करीबियों का कहना है। बात सच है। मगर हम तो विद्यानगर टेकरी को दूर से ही राम-राम करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नंबर ...

अपने प्रथमसेवक शहर में अपनी लोकप्रियता के नंबर घटने से परेशान है। जब से विकासपुरूष आसीन हुए है। तब से प्रथमसेवक हाशिये पर चले गये है। हर जगह से। इसीलिए उन्होंने एक आइडिया खोजा। नमो-एप्प का सहारा लेकर अपने नम्बर बढ़ाने का। जिसके लिए शहर में जगह-जगह होर्डिंग्स लगने थे। जिसमें एक क्यूआर कोड रहता। जो कोई भी स्कैन करता। तो अपने प्रथमसेवक का नंबर शो होता और फिर नमो एप्प डाउनलोड हो जाता। इससे प्रथमसेवक के दिल्ली में नंबर बढ़ते। मगर उनकी किस्मत खराब है। फ्लेक्स बनाने वाले ने मना कर दिया। कारण ... 1 खोखे की उधारी बाकी है। पहले वह चुकाओं- फिर नये फ्लेक्स बनवाओं। नतीजा नमो एप्प पर भी प्रथमसेवक के नंबर कम हो रहे है। ऐसा हम नहीं, बल्कि शिवाजीभवन वाले बोल रहे  है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

इंतजार ...

अपने विकासपुरूष की आदत है। वह कुछ भी भूलते नहीं है। गजब की याददाश्त है। वर्षो पुरानी बात याद रखते है। फिर मिशन-2023 की तो ताजा यादे हैं। तभी तो उन्होंने अपने चिंटू जी को इंतजार करवाया। राजधानी में। जब चिंटू जी मिलने गये थे। करीब 180 मिनिट तक इंतजार करवाया। फिर निकलते- निकलते मुलाकात की। जब केबिनेट के लिए जा रहे थे। अपने चिंटू जी, माननीय है। लेकिन जिले के बाहर वाले। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। लेकिन इंतजार क्यों करवाया। यह किसी को पता नहीं है। सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

जुगाड ...

संकुल के गलियारों में चर्चा है। अपने गोरे-चिट्टे अधिकारी को लेकर। जो पिछले दिनों राजधानी गये थे। मकसद था कि तबादले की जुगाड हो जाये। मगर उनकी दाल नहीं गली। संकुल में बैठने वाले उनके करीबी तो यही बोल रहे है। देखना यह है कि अब अपने गोरे-चिट्टे अधिकारी क्या जुगाड लगाते है। फैसला अगले माह के अंत तक होगा। तभी पता चलेगा, नई जुगाड काम आई है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

शरणम् ...

अपने नम्बर-1 याद हैं। 2018 में जिले के मुखिया थे। मामाजी के कार्यकाल में उनका रूतबा सातवें आसमान पर हमेशा रहता था। मगर अपने विकासपुरूष ने उनको अब आसमान से जमीन पर ला दिया है। नम्बर-1 पर गहन संकट के बादल है। ऐसे में उनको हमेशा बाबा महाकाल और शनि भगवान याद आते है। तभी तो चुपचाप आये और दर्शन करके निकल गये। अब वह हर शनि के दिन ऐसे ही चुपचाप आयेंगे। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि बाबा महाकाल उनको अपनी शरण में आने का फल कब देते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

5 बनाम 10 ...

पांच दुनी दस ही होते है। मगर हमारा आशय 5 और 10 पेटी से है। 5 पेटी देने के लिए अपने शौकीन मिजाज जी तैयार है। जो कि तेल कांड की जांच में फंस गये है। इसीलिए फडफडा रहे है। किसी भी तरह कार्यमुक्त हो जायें। ताकि जांच से बच सके। मगर, अपनी बहन जी ने पत्र लिखकर पेंच फंसा दिया है। स्मार्ट पंडित को निर्देश दिये है। जांच के बाद ही कार्यमुक्त किया जाये। इधर संकुल में एक तहसीलदार 10 पेटी देने को राजी है। उनकी कोई जांच-वांच नहीं चल रही है। लेकिन वह विकासपुरूष के गृहनगर से जाना चाहते है। इसीलिए जेब से 10 पेटी खर्च करने को तैयार है। अब 5 और 10 का यह पहाडा शिवाजी भवन से लेकर संकुल के गलियारों में सुनाई दे रहा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना हैं।

माफ नहीं करेंगे ....

हमारे धंधे में पहली गलती माफ करना, उससे बड़ी गलती है। फिल्म कंपनी का यह डायलॉग पिछले सप्ताह भी हमने लिखा था। जिसमें इशारा अपने प्रथमसेवक की तरफ था। जिसको लेकर उनके करीबियों में चर्चा है। बड़ी गलती ... शीर्षक वाला कॉलम पढऩे के बाद प्रथमसेवक बैचेन हो गये। उन्होंने अपने कुछ करीबियों से पूछा भी। क्या वाकई माफ नहीं करेंगे। उनका इशारा अपने विकासपुरूष की तरफ था। अब माफी का फैसला तो अपने विकासपुरूष ही कर सकते है। वैसे प्रथमसेवक के करीबियों की सलाह है। माफी मांगने से कोई छोटा नहीं होता है, और विकासपुरूष शायद माफ भी कर दे। ऐसी चर्चा करीबियों से लेकर शिवाजी भवन में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

इतिहास ...

अपने विकासपुरूष को इतिहास रचने की आदत है। तमाम विरोधों के बाद भी उन्होंने इतिहास रचा। सूबे का मुखिया बनकर। अपने मामाजी को सलीके से खो कर दिया। 18 साल की नौकरशाही- सत्ता को पलट दिया। यह पहला इतिहास बनाया। दूसरा इतिहास अभी-अभी रचा है। जिले के मुखिया के ठीक सामने अपना बंगला स्थापित किया है। ऐसा आजतक नहीं हुआ है। सूबे के मुखिया और जिले के मुखिया आमने-सामने रहते हों। नौकरशाही, इसे भी इतिहास रचने की नजर से देख रही है। बात सच भी है। मगर अपने विकास पुरूष को इतिहास रचने में मजा आता है। आगे अभी और भी इतिहास रचे जायेंगे। ऐसी सुगबुगाहट नौकरशाही में दबी जुबान से सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

उत्साह ...

अपने उत्तर के माननीय आज उत्साह से लबरेज थे। बाबा के दरबार में आरती और गीत गाया। रामधुन पर थिरके भी। 7 जिलों के मुखिया का भी हाथ पकड़कर थिरकने पर राजी कर लिया। अपने इंदौरीलाल जी भी खूब थिरके। मीडियाकर्मियों के साथ। इंदौरीलाल जी ने व्यवस्था की थी। पूजा के बाद मंदिर प्रांगण में मौजूद हर भक्त रामधुन पर थिरके। स्टेज लगाया था। रामभजन गाने वाले को भी बुलाया था। जहां पर सभी को थिरकना था। मगर उत्तर के माननीय उत्साह में आ गये। उन्होंने मंच पर पहुंचते ही माईक पकड लिया। फिर राम आयेंगे-राम आयेंगे गाना शुरू कर दिया। जिसके चलते प्रांगण में वह माहौल नहीं बन पाया, जिसकी कल्पना अपने इंदौरीलाल जी ने की थी। मुहावरे की भाषा में रंग में भंग पड़ गया। ऐसा हम नहीं, बल्कि वहां मौजूद कमलप्रेमियों का कहना था। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना हैं।

सीधी बात ...

अपने विकासपुरूष की जहां याददाश्त जोरदार है। वहीं सीधी बात करने में भी विश्वास रखते है। तभी तो रविवार को मंच से सीधी बात कह दी। खबरें लिखों ... मगर ... स्तर बना रहे। उनकी इस सीधी बात से खबरचियों में खुशी की लहर है। कारण ... खबरचियों के भेष में कई ऐसे बहुरूपिये घूम रहे है। जिनका काम खबरों से ज्यादा अर्थ पर रहता है। सीधी भाषा में बोले तो ... हेल्पलाइन- शिकायत- आरटीआई लगाकर अपना उल्लू सीधा करते है। ऐसी गंदगी को हटाना भी अपने विकासपुरूष की ही जिम्मेदारी है। इसलिए सीधी बात के लिए उनको बधाई देकर, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चर्चा ...

कमलप्रेमियों में चर्चा है। लोग आपकी चमक से जलेंगे- लेकिन आपके संघर्ष से अंजान होंगे। (People will be JEALOUS of your SHINE but clueless of your STRUGGLE) इशारा अपने विकासपुरूष की तरफ है। कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।