या तो जवाब दो, वरना कार्रवाई को तैयार रहो ...!

उज्जैन। महाकाल लोक के मामले को लेकर इस महीने के अंत तक प्रकरण दर्ज हो सकता है? स्मार्ट भवन के गलियारों में तो यही चर्चा सुनाई दे रही है। जिस पर अगर यकीन किया जाये तो इस महीने के तीसरे सप्ताह में पेशी है। राजधानी से नोटिस जारी हो चुका है। जिसमें साफ-साफ उल्लेखित है। अगर पेशी के दिन जवाब नहीं दिया। तो यह मान लिया जायेगा कि ... आपको प्रकरण के संबंध में कुछ नहीं कहना है। उस स्थिति में कार्रवाई आपकी अनुपस्थिति में की जायेगी।
लोकायुक्त संगठन भोपाल ने सख्त कदम उठाया है। जांच अधिकारी ने नोटिस जारी कर दिये है। इस मामले में 3 आईएएस अधिकारियों सहित बाकी सभी को नोटिस जारी किये गये है। नोटिस में इस महीने होने वाली पेशी पर व्यक्तिगत उपस्थिति के साथ अपना जवाब पेश करने के निर्देश है। अगर कोई पेशी के दिन गैरहाजिर होता है। तो अब उसको अगली तारीख नहीं दी जायेंगी। बल्कि यह मान लिया जायेगा कि ... गैरहाजिर अधिकारी को इस विषय में कुछ नहीं कहना है। स्मार्ट कार्यालय के भरोसेमंद सूत्र का कहना है कि ... लोकायुक्त संगठन ने अभिलेखों के अवलोकन हेतु कार्यालयीन समय में हाजिर होकर, दस्तावेज देखने की अनुमति भी दी है।
छायाप्रति तो होगी ...
विदित रहे कि इस मामले में सभी अधिकारियों ने 28 अक्टूबर के दिन समय मांगा था। दस्तावेजों के अवलोकन हेतु और छायाप्रति उपलब्ध कराने का आग्रह किया था। जिसको लेकर संगठन ने कड़ा जवाब दिया है। सूत्र का कहना है कि ... तत्कालीन निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को स्पष्ट रूप से यह लिखा गया है। आपको सूचित किया गया था। कार्यालयीन समय में अभिलेखों अवलोकन कर सकते है। लेकिन आपके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्यकारी निदेशक स्मार्ट सिटी ने जो अभिलेख संगठन को उपलब्ध कराये थे। उसकी 1 छायाप्रति निश्चित रूप से आपके पास उपलब्ध होगी। लेकिन इसके बाद भी 28 अक्टूबर को आपने कारण बताओं सूचना पत्र के जवाब में लिखा कि ... अभिलेखों का अवलोकन कराये और छायाप्रति उपलब्ध कराये। जबकि आपको पूर्व में ही सूचित किया गया था कि कार्यालयीन समय में किसी भी दिन आकर अभिलेखों का अवलोकन किया जा सकता है।
डीवीडी भेजी ...
भले ही स्मार्ट कार्यालय में अभिलेखों की छायाप्रति उपलब्ध है। नियम भी यही कहता है। अगर कोई ओरिजनल फाइल किसी को दी जा रही है। तो उसकी प्रमाणित छायाप्रति विभाग खुद रखता है। इसके बाद भी अभिलेखों की डिमांड की गई। नतीजा ... लोकायुक्त संगठन ने सभी को एक मौका और दिया है। स्मार्ट कार्यालय के सूत्र का कहना है कि ... लोकायुक्त कार्यालय ने अपनी जांच के दौरान, स्थल निरीक्षण, प्रतिवेदन, कोटेशन, फोटोग्राफ्स व वीडियोंग्राफी की एक डीवीडी बनाकर भेजी है। स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक को। इसके साथ निर्देश दिये है कि ... जिस किसी को भी अवलोकन करना है, वह स्मार्ट सिटी कार्यालय जाकर सभी अभिलेख देख सकता है।
इनको देना है जवाब ...
लोकायुक्त संगठन ने तीसरे सप्ताह में जिन अधिकारियों को तलब किया है। उनमें उज्जैन कलेक्टर व स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष आशीषसिंह, तत्कालीन कार्यकारी निदेशक क्षितिज सिंघल, तत्कालीन निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता शामिल है। इसके अलावा मनोनीत निदेशक सोजानसिंह रावत, दीपक रत्नावत, स्वतंत्र निदेशक श्रीनिवास नरसिंह राव पांडूरंगी, स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक, तत्कालीन सीईओ जितेन्द्रसिंह, मुख्य वित्तीय अधिकारी जुवानसिंह तोमर, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री धर्मेन्द्र वर्मा, तत्कालीन कार्यपालनयंत्री फरीउद्दीन कुरैशी, सहायकयंत्री कमलकांत सक्सेना, उपयंत्री आकाश सिंह, टीम लीडर संजय शाक्य और जूनियर इंजीनियर तरूण सोनी का नाम शामिल है। इन सभी को इस माह के तीसरे सप्ताह में होने वाली पेशी पर जवाब देना जरूरी है। तभी तो स्मार्ट भवन के गलियारों में यह चर्चा जोरो पर है कि ... या तो जवाब दो... वरना कार्रवाई को तैयार रहो।
यह है आरोप ...
- टेंडर में न्यूनतम निविदाकार होने के बाद भी पुरूषोत्तम बाबरिया को काम दिया गया। स्मार्ट सिटी के अतिरिक्त निदेशक अंशुल गुप्ता की मेहरबानी से ठेकेदार को 1 करोड़ का लाभ पहुंचाया गया।
- टेंडर के अनुसार जीआई शीट लगानी थी। जिस पर 22 लाख खर्च होना था। ठेकेदार ने इसकी जगह पॉली कार्बोनेट की शीट लगाई। यह अतिरिक्त आइटम बाद में जोड़ा गया। जिसकी वजह से ठेकेदार को 91 लाख का फायदा मिला।
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