मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट हूं, 6-6 घंटे की बैठक में बुला लेंगे ...!
10 जुलाई 2023 (हम चुप रहेंगे) - एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
उज्जैन। आज सावन माह की प्रथम सवारी है। सवारी व्यवस्थित तरीके से निकले। इसको लेकर रविवार को कलेक्टर व एसपी ने टीम के साथ पूरे मार्ग का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद की यह घटना है। जब अचानक ही सांसद, विधायक और महापौर कंट्रोल रूम पहुंच गये। जहां पर ... मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट हूं: 6-6 घंटे की बैठक में बुला लेंगे ... यह संवाद वहां मौजूद सभी ने सुने।
सवारी मार्ग का निरीक्षण करके प्रशासन लौटा ही था। तब सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन व महापौर मुकेश टटवाल पहुंच गये। सांसद ने कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम के समक्ष आपत्ति ली। हमको सूचना नहीं मिलती है। हम भी जनप्रतिनिधि है। उनके ऊंचे तेवर देखकर, बगल में खड़े विधायक पारस जैन ने रोकने की कोशिश की। इस पर सांसद और भडक गये। उन्होंने कहा कि ... मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट हूं... मुझे भी सूचना मिलनी चाहिये। यह विवाद तब शुरू हुआ। जब सांसद ने वापस निरीक्षण पर चलने को कहा। तो कलेक्टर ने कह दिया। आप लोग चले जाये। निगम आयुक्त रोशनसिंह आपके साथ जायेंगे। इस पर सांसद भडक गये थे। तब कलेक्टर ने भी कह दिया। हम लोग 6-6 घंटे की बैठक करते है। अब आपको हमेशा सूचना देकर बुला लेंगे। जिसके बाद प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने ई-कार्ट में बैठकर फिर एक बार दौरा किया।
नाम नहीं पढ़ता ...
एक तरफ जहां सांसद ने सूचना की आड लेकर प्रशासन से विवाद किया। वहीं महापौर मुकेश टटवाल ने उनका नाम नहीं छपने का रोना रोया। कलेक्टर के समक्ष। वह श्रावण-महोत्सव का कार्ड लेकर आये थे। उन्होंने कलेक्टर को दिखाया और बोले...इसमें मेरा नाम नहीं छपा है... जबकि कार्ड में पदनाम छपा हुआ है। इस पर कलेक्टर ने साफ लफ्जों में कह दिया। यह सब मैं नहीं पढ़ता हूं। जिसके बाद महापौर चुप हो गये।
प्रोटोकॉल ...
कलेक्टर के निर्देश पर मंदिर में प्रोटोकॉल पर सख्ती है। लेकिन इसके बाद भी एक ही रसीद पर 2 बार दर्शन करवाये जा रहे है। जिसको आज खुद एडीएम अनुकूल जैन ने पकड लिया। घटना रविवार शाम की है। मंदिर का एक सुरक्षाकर्मी किसी को दर्शन कराने ले जा रहा था। एडीएम को शंका हुई। उन्होंने रोककर पूछताछ करी। तो उसने बताया कि ... एडीएम का पाइंट है। जिसे सुनकर एडीएम खुद आश्चर्य में पड गये। उन्होंने रसीद चेक करी। तो वह सुबह की थी। एडीएम ने ज्यादा कुरेदा तो ... प्रोटोकॉल कर्मचारी राजकुमार सिसौदिया का नाम सामने आया। उनको तलब किया गया। उन्होंने सफाई दी। सुबह इनको व्यवस्थित दर्शन नहीं हो पाये... इसलिए वापस दर्शन करवा रहे है। उनके मुताबिक यह पाइंट एसडीएम व उपप्रशासक कृतिका भीमावद का था। तो एडीएम चुप हो गये। ऐसा घटना देखने वाले हमारे भरोसेमंद सूत्र का कहना है। इस घटना की पुष्टि के लिए जब एडीएम को फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
खोजबीन...
जिले में पदस्थ एक अधिकारी है। ओहदा, उनका आईएएस स्तर का है। अपनी कार्यशैली के कारण पिछले दिनों खूब सुर्खियों में रहे है। राजधानी तक उनके कारनामे पहुंच गये है। जिसके चलते एक fpV`Bh भी राजधानी से जारी हुई थी। उनकी कार्यप्रणाली को लेकर। वही अधिकारी अब खोजबीन में जुटे है। चुप रहेंगे डॉट-कॉम की खोजबीन करवा रहे है। इधर-उधर से पूछताछ कर रहे है। देखना यह है कि इस खोजबीन में उनको क्या मिलता है। अगर कुछ मिल जाये, तो हमें भी बताये। तब तक हम उनको हमारी तरफ से शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
तफ्तीश ...
खोजबीन का ही पर्यायवाची शब्द है। तफ्तीश। पिछले दिनों एक टीम आई थी। केन्द्रीय गुप्तचर विभाग की टीम थी। जिसमें 6 सदस्य शामिल थे। टीम का आगमन बहुत ज्यादा गोपनीय था। प्रशासन के कुछ चुनिंदा लोगों को इसका पता था। टीम करीब 2 दिन रूकी रही। इस दौरान इस टीम ने क्या तफ्तीश करी। इसका किसी को पता नहीं है। इतना जरूर सामने आया है कि स्वास्थ्य सेवा के एक प्रकोष्ठ की जांच गोपनीय तरीके से टीम करके गई है। अब जबकि केन्द्रीय गुप्तचर एजेंसी ने खोजबीन की है। तो उसके हाथ कुछ ना कुछ तो लगा ही होगा। मगर हमको यह देखना है कि ... जिले के आईएएस को हमारी खोजबीन में क्या हाथ लगता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
भारी ...
अपनी घमंडी मैडम ने एक बार फिर साबित कर दिया है। वह सभी कमलप्रेमियों पर भारी है। भले ही अपने मामाजी के सामने कमलप्रेमी अपना दुखड़ा रोकर आये है। आश्वासन भी मिला था। घमंडी मैडम की रवानगी पक्की है। लेकिन इस घटनाक्रम के बाद घमंडी मैडम अलर्ट हो गई। वह 6 दिन का अवकाश लेकर निकल गई। धार्मिक यात्रा के नाम पर अवकाश लिया था। बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन उन्होंने करे या नहीं? इसकी तो पुष्टि नहीं हुई है। किन्तु उन्होंने राजधानी में जाकर कुछ जुगाड लगाई है। ताकि उनका तबादला फिलहाल नहीं हो। जिसमें उनको सफलता मिल गई है। ऐसी चर्चा दमदमा के गलियारों में सुनाई दे रही है। किन्तु हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
वायरल ...
शिक्षा विभाग से जुड़ा एक आडियो जल्दी ही वायरल हो सकता है। दमदमा के गलियारों में इसकी चर्चा है। घटना हॉस्टल से जुड़ी है। जिसमें जनप्रतिनिधि के पति- परमेश्वर अघोषित धमकी दे रहे है। नौकरी पर रखने की। यह खबर चुप डॉट-कॉम ने छाप दी थी। जिसके बाद जनप्रतिनिधि और पति-परमेश्वर की इज्जत खराब हो गई। इधर पतिदेव रूठ गये है। उनकी जिद है कि ... वार्डन से माफी मंगवाई जाये। बेचारी ... जनप्रतिनिधि मैडम दु:खी है। जानती है कि पतिदेव गलत है। फिर भी उनके सम्मान के लिए दबाव बना रही है। माफी मांगने का। इधर शिक्षा विभाग में आक्रोश है। अगर ज्यादा, जिद करी तो आडियो वायरल कर देंगे। देखना यह है कि ... आडियो वायरल होता है या माफी की जिद छूटती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कमीशन ...
शिवाजी भवन में 18 प्रतिशत कमीशन की चर्चा आम है। किसी भी ठेकेदार को भुगतान तभी होता है। जब वह 18 प्रतिशत का भुगतान कर देता है। वर्षो से यह अघोषित नियम लागू है। जिसके शिकार एक गुजराती ठेकेदार हो गये है। जिन्होंने 12 प्रतिशत कम दर पर ठेका लिया था। जबकि निगम के स्थायी ठेकेदार ने 18 प्रतिशत ज्यादा की दर पर टेंडर डाला था। बेचारे ... गुजराती ठेकेदार ने 6 खोखे का ठेका तो ले लिया। मगर उनको पता नहीं था। जनता के प्रतिनिधि ही सबसे ज्यादा लूटने वाले है। तभी तो ठेकेदार कई जगह दक्षिणा (कमीशन) दे चुके है। लेकिन अभी भी लूटने का क्रम जारी है। जिसमें 8 नगरसेवक भी शामिल है। जिसके चलते शिवाजी भवन के गलियारों में चर्चा है। अगर यही हालात रहे तो ठेकेदार, काम छोड़कर भाग सकता है। देखना यह है कि ... ईमानदारी का ढोल पिटने वाले अपने प्रथम सेवक क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गायब ...
बदबूवाले शहर से जुड़ी एक तहसील है। यहां पर पदस्थ एक नायब तहसीलदार अचानक गायब हो गये है। बगैर किसी को सूचना दिये। हालांकि उन्होंने पीएससी परीक्षा के नाम पर अवकाश आवेदन दिया था। संभवत: वह स्वीकृत नहीं हो पाया। जिसके बाद नायब तहसीलदार अचानक यह बोलकर गायब हो गये है। ऐसी नौकरी नहीं करनी। यह चर्चा बदबूवाले शहर से जुड़ी तहसील में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि अब आगे उनकी नौकरी बचती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
हिम्मत ...
अपने उत्तम जी आदेश दे। वह भी लिखित में। फिर भी उसका पालन नहीं हो। ऐसी हिम्मत किस अधिकारी में होगी। कम से कम राजस्व अधिकारी तो ऐसा नहीं कर सकते है। लेकिन ग्रामीण विकास विभाग में यह हिम्मत है। तभी तो उस सरपंच को बचाने की कोशिश हो रही है। जो अवैध उत्खन्न कांड में आरोपी है। 2 खोखे का जुर्माना भी प्रशासन ने ठोक दिया है। किन्तु धारा 40 में नोटिस आज तक जारी नहीं हो पाया है। जबकि अपने उत्तम जी ने आदेश 1 महीने पहले ही कर दिया था। अब देखना यह है कि धारा 40 का नोटिस जारी होता है या नहीं। तब तक अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दान ...
शीर्षक पढ़कर यह अंदाजा नहीं लगाये। हम मंदिर में आने वाले दान की बात कर रहे है। हम तो कमलप्रेमियों के बीच चल रहे दान-चर्चा का उल्लेख कर रहे है। जो कि 40 खोखे का बताया जा रहा है। देने वाले एक बिल्डर है। जिनकी जमीन मास्टर प्लान में आ रही थी। यह बिल्डर तिरूपति बालाजी के कट्टर भक्त है। जिन्होंने अपनी जमीनों का जीवन बचाने के लिए यह दान दिया है। जिसमें से 25 खोखा तो ऊपर गया और 15 खोखा, विकास के लिए चुपचाप रख लिया गया है। तभी तो जमीवनखेड़ी की जमीनों को नया जीवन मिल गया है। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। सच और झूठ का फैसला, खुद हमारे पाठक कर लें। क्योंकि हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
डब्बा-गोल ...
लोकशक्ति के 100 मीटर दायरे में एक धंधा पनप रहा है। डब्बा-गोल का धंधा। एडवायजरी कंपनी के नाम पर। जिसके लिए एक पूर्व नगरसेवक के भवन का उपयोग किया जा रहा है। यह नगरसेवक कमलप्रेमियों में काका के नाम से मशहूर है। इस कंपनी में 2 दर्जन से ज्यादा कर्मचारी है। जो कि पहले राशि लगाने पर ग्राहक को लाभ देते है। ऐसा लाभांश देते है कि ग्राहक उनकी चाल में फंस जाता है। फिर अचानक कंपनी कार्यालय पर ताला लगाकर रातों-रात गायब हो जाती है। इस धंधे की खबर वर्दी को भी है। लेकिन वर्दी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नाराजगी ...
अपने स्मार्ट पंडित नाराज है। उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर भी जाहिर करी। नाराजगी की वजह केवल यह है। उनकी ड्यूटी रामघाट पर लगा दी गई है। सीनियर होने के नाते वह इस व्यवस्था से नाराज है। उन्होंने अपनी नाराजगी आज दौरे में जाहिर भी करी। अपने शिवाजी भवन के मुखिया के सामने। जिसके बाद शिवाजी भवन के मुखिया ने उनको आश्वासन दे दिया है। पूरी सवारी में घूमना है। देखना यह है कि ... उनकी नाराजगी दूर होती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खीज ...
इस शब्द का अर्थ तो हमारे पाठक समझते होंगे। क्योंकि यह शब्द रविवार की शाम अपने वजनदार जी के व्यवहार को दर्शा रहा है। अंदरखाने की खबर है कि ... अपने वजनदार जी इन दिनों नाराज है। प्रशासन से। इसलिए मौका तलाश रहे थे। नाराजगी की वजह, उनके काम अटक रहे है। तभी आज उन्होंने यह नौटंकी दिखाई। ऐसी चर्चा घटना देखने वाले कमलप्रेमी व अधिकारियों के बीच सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।