एक हस्ताक्षर की कीमत 32 लाख रूपये ...!
उज्जैन। आप और हम कभी ना कभी कही ना कही हस्ताक्षर करते है। कोई फार्म हो सकता है, कोई आवेदन, कोई चेकबुक आदि-आदि। मगर हमारे हस्ताक्षरों की कीमत हमको पता होती है। मगर यही हस्ताक्षर अगर कलेक्टर द्वारा किये जाने हो। तो इनकी कीमत अनमोल होती है। जैसे कि अभी-अभी कलेक्टर ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किये है। नतीजा ... संकुल से लेकर शिक्षा विभाग के गलियारों में चर्चा है कि ... एक हस्ताक्षर की कीमत 32 लाख रूपये ...!
कलेक्टर नीरजकुमार सिंह अपने बात के धनी है। उन्होंने पिछले दिनों अनौपचारिक चर्चा में यह साफ-साफ कहा था। शिक्षा माफिया पर कडी कार्रवाई की जायेगी। किसी को भी नहीं बख्शा नहीं जायेगा। चुप रहेंगे डॉटकॉम ने पलटकर सवाल किया था। शिक्षा माफिया की पहचान उच्च स्तर तक है। तब कलेक्टर ने स्पष्ट कहा था। कार्रवाई तो होगी और कडी कार्रवाई होगी। जिसके बाद उन्होंने एसडीएम नगर एलएन गर्ग, जिला शिक्षाधिकारी आनंद शर्मा आदि की टीम बनाई थी। इस टीम ने स्कूलों व कापी-किताब बेचने वालों की दुकानों पर छापामारी की थी। बयान आदि लिये थे। फिर जांच रिपोर्ट बनी और कलेक्टर तक पहुंच गई है।
16 दुनी 32 ...
संकुल के विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है। अशासकीय 16 विद्यालयों पर जांच की गाज गिरी है। जिनमें ज्ञानसागर अकादमी, ज्ञान ग्लोबल अकादमी, सेंट मेरी कान्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, क्रिस्ट ज्योति कान्वेंट स्कूल, निर्मला हायर सेकेंडरी स्कूल, सेंटपाल हाई स्कूल, आक्सफोर्ड जूनियर कॉलेज, सेंट थामस स्कूल, कार्मल कान्वेंट स्कूल, संत थामस स्कूल बडऩगर, मास्टर माइंड स्कूल तराना, दिनाह कान्वेंट स्कूल तराना, जीनदत्ता इस्टीट्यूट आफ एज्यूकेशन नारायणा महिदपुर, एमपीएस अकादमी महिदपुर व इंपीरियल इंटरनेंशनल स्कूल खाचरौद शामिल है। इन 16 स्कूलों द्वारा ऊंची दर पर कापी-किताबे व युनिफार्म बेची गई है। जांच में यह साबित हो गया है। नतीजा जांच समिति ने प्रत्येक स्कूल पर 2-2 लाख के जुर्माने की अनुशंसा की है। तभी तो संकुल से लेकर शिक्षा विभाग के गलियारों में यह चर्चा आम है कि ... एक हस्ताक्षर की कीमत 32 लाख रूपये ...!