17 अप्रैल 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

17 अप्रैल 2023 (हम चुप रहेंगे)

जलन ...

हमारे पाठकों ने 3 इडियट फिल्म जरूर देखी होगी। तो उसका वह डायलॉग भी याद होगा दोस्त फेल हो जाये तो दु:ख होता है, मगर फर्स्ट आ जाये तो ज्यादा दु:ख (जलन) होता है। यह डायलॉग इन दिनों शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रहा है। जिसमें इशारा अपने प्रथम सेवक व पानी वाले नेताजी की तरफ है। दोनों की दोस्ती के किस्से जगजाहिर है। दोस्ती के चलते अपने प्रथम सेवक कई दफा दोस्त की गलत बातों पर भी चुप्पी साधे रहते है। मगर शिव-पुराण कथा के चलते इस दोस्ती में दरार आ गई। प्रथम सेवक ने बूटी प्रेमी नगर सेवक का हाथ थाम लिया। अपने पुराने दोस्त को अकेला छोड दिया। अब दोस्त है तो जलन भी होगी। इसलिए पुराण कथा के दौरान पुराने दोस्त ने 3 इडियट डायलॉग पर जमकर अमल किया। खूब भडास निकाली। ऐसा शिवाजी भवन वाले बोल रहे है। लेकिन हमको  अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

गुस्सा ...

अपने कमलप्रेमी पहलवान को कभी इतने गुस्से में नहीं देखा। जितना कमलप्रेमी  स्थापना दिवस पर दिखा। एक घटना सुनाई जा रही है। स्थापना दिवस के दिन की। इस दिन सामाजिक क्षेत्र में काम करने वालो का सम्मान रखा था। अपने पहलवान ने फरमान जारी कर दिया। मंच पर केवल सम्मानित सामाजिक लोग ही बैठेंगे। इसके अलावा केवल अपने ढीला-मानुष को बैठने की इजाजत दी। बाकी सभी को सामने बैठना था। अब अपने विकास पुरूष तो कभी भी सामने बैठते नहीं है। इसलिए ढीला-मानुष ने आग्रह किया। अपने पहलवान से। गुस्सा नहीं दिखाये। मंच पर आ जाये। विकास पुरूष ने भी आग्रह किया। मगर पहलवान नहीं माने। अब कमलप्रेमी बोल रहे है। पहलवान के गुस्से की वजह क्या थी। जो किसी को भी पता नहीं है। इसलिए सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

खुलासा ...

जेल गबन कांड का खुलासा 6 महीने पहले हो सकता था। जब एक सटोरिये को वर्दी ने पकड़ा था। वही सटोरिया अब फरार है। गबन कांड में नाम आने से। इस सटोरिये को एक कमलप्रेमी पूर्व विधायक का प्राश्रय है। सोशल मीडिया पर पूर्व विधायक के साथ तस्वीरे भी अपलोड है। जो याराना दर्शाती है। इस सटोरिये को उस वक्त वर्दी से बचाने के लिए पूर्व विधायक ने दबाव बनाया थाफिर 12 पेटी में सौदा तय हुआ था। तब जाकर छोड़ा गया। ऐसी चर्चा कमलप्रेमियों के बीच अब सुनाई दे रही है। कमलप्रेमी बोल रहे है। अगर उस वक्त इस सटोरिये के बैंक खाते की जांच हो जाती। तो करोड़ो का ट्रांजेक्शन तभी सामने आ जाता। वर्दी की वाही-वाही हो जाती। लेकिन तब छोड़ दिया था। अब गबन कांड का खुलासा होते ही सटोरिया भूमिगत है। कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

बंगले पर ...

आखिर किसके बंगले पर काम करती है? मंदिर की सबसे सुंदर कर्मचारी। यह चर्चा इन दिनों मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। दबी जुबान से यह बोला जा रहा है। मैडम ... अपना अंगूठा लगाती है। फिर यह बोलकर निकल जाती है। बंगले पर जा रही हूं। ताज्जुब की बात यह है बंगले का बोलकर ... मैडम लापता हो जाती है। जिस बंगले का वह नाम लेती है। उस बंगले का नाम सुनकर कोई भी कुछ नहीं बोलता है। सब चुप रह जाते है। इसलिए हम भी बंगले के नाम से डरकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ऊंची पहुंच ....

गबन कांड में फरार एक आरोपी की पहुंच सत्ता के गलियारों तक थी। ऐसी चर्चा जेल कर्मी कर रहे है। इस आरोपी ने पिस्तौल के खूब लायसेंस बनवाये है। कोठी के गलियारों में भी उसकी चमक थी। हरे-हरे नोटो की चमक। जिसके चलते पिछले 5 सालों में इस फरार आरोपी ने 200 से ज्यादा लायसेंस बनवाकर दिये है। चर्चा तो यह भी है कि फरार आरोपी अपनी फरारी इन दिनों चंबल क्षेत्र में ही काट रहे है। एक आईएएस अफसर से भी आरोपी के घनिष्ठ संबंध जगजाहिर है। जिसकी फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड है। आरोपी ने खुद की तस्वीर रिवाल्वर लेकर अपलोड कर रखी है। कमलप्रेमी व जेलकर्मी यह तक बोल रहे है। यह आरोपी वक्त आने पर राजधानी से ही पेश होगा। देखना यह है कि चर्चा कितनी सही निकलती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नाम ...

चाचा शेक्सपियर भले ही कह गये है। नाम में क्या रक्खा है। मगर सच तो यही है। नाम में ही सबकुछ निहितार्थ होता है। जैसे अपने मुखिया जी। उनके नाम में वह अर्थ छुपा है। जिसका अंदाजा हर कोई नहीं लगा सकता है। इसीलिए तो संकुल के गलियारों में उनको बुलाया जा रहा है। अपने उत्तम जी। जिन्होंने पूरे सिस्टम को सुधार दिया है। कल तक जो सिस्टम लापरवाही से काम करता था। अब वह ना केवल अलर्ट है, बल्कि आम जनता की सुनवाई भी कर रहा है। सालो बाद कारण बताओं नोटिस मिल रहे है। ईमानदारी से लिखा जाये। तो अपने उत्तम जी ने सन 2001 से 2004 तक   की याद दिला दी है। उस समय भी यही माहौल था। जो आजकल संकुल के गलियारों में है। तभी तो उत्तम जी की कार्यशैली सभी को पसंद आ रही है। बस ... एक कमी की तरफ इशारा किया जा रहा है। कमी यह बताई जा रही है। अपने उत्तम जी कभी भी मुस्कुराते नहीं है। अगर मुस्कुराने लगे तो सोने पर सुहागा हो जाये। उम्मीद है कि यह पढ़कर अपने उत्तम जी शायद मुस्कुरा दे। फैसला वक्त करेंगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

अनुरोध ...

सादर- साग्रह- सविनय- अनुरोध है। अपने उत्तम जी से। जो कि मंदिर के असली कर्ता-धर्ता है। यह अनुरोध उनसे ही है। करने वाले मंदिर के कर्मचारी है। जो कि इन दिनों ध्वस्त हो चुकी व्यवस्था से दु:खी है। इशारा अपने इंदौरीलाल जी की तरफ है। उनको लेकर यह चर्चा आम है। वह फोन नहीं उठाते है। अगर उठा लिया तो सही मार्गदर्शन नहीं करते है। उनके इस व्यवहार से सब दु:खी है। इसीलिए अपने उत्तम जी से अनुरोध किया जा रहा है। बाबा तुलसीदास की इस चौपाई के साथ। विनय ना मानत जलाधि गये तीन दिन बीती/ बोले राम सकोप तब भय बिनु होई ना प्रीति... । अब देखना यह है कि अपने उत्तम जी, बाबा तुलसीदास की चौपाई पर कितना अमल कर पाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

समझौता ...

मंदिर की व्यवस्था को लेकर 2 शिकायते हो चुकी है। एक याचिका भी लग गई है। इन तीनों मामलों के पीछे एक ही व्यक्ति का हाथ है। जिसको लेकर मंदिर प्रबंधन पशोपेश में है। इस मुसीबत से उबरना भी जरूरी है। जिसके लिए रास्ता केवल समझौता ही है। अपने इंदौरीलाल जी ने यही कदम उठाया है। माध्यम अपने चुगलीराम जी बन गये है। दोनों के बीच बैठक हो चुकी है। अपने चुगलीराम जी ने एक शर्त रखी है। जिसे शायद मान लिया गया है। शर्त सत्कार व्यवस्था से जुड़ी है। मंदिर के गलियारों में तो यही चर्चा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

मेहरबान ...

बाबा महाकाल जिस पर मेहरबान हो जाये। उसको छप्पर फाडकर देते है। सटीक उदाहरण शिव-पुराण कथावाचक का हो सकता है। जिन पर बाबा ने इस कदर मेहरबानी कर दी। उनके वारे-न्यारे हो गये। ऐसा हम नहीं, बल्कि कथा से जुड़े कार्यकर्ता ही बोल रहे है। चर्चा है कि भक्तों ने इस कदर खाद्य सामग्री दान करी कि ... उल्टे यहां से 3 ट्रक भरकर ले गये। बाकी नगद दान की तो गिनती ही नहीं है। सब अपने-अपने हिसाब से 7-10-12 खोखा बता रहे है। मगर जिस बाबा ने इतना कल्याण किया। उसके दरबार में चवन्नी नहीं देकर गये है। यह भी बाबा की मर्जी ही होगी। इसलिए हम तो भक्तों की बात मानकर अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

धंधा ...

पंजाप्रेमियों के बीच इन दिनों इस धंधे की चर्चा है। धंधा सीधे-सीधे चरित्र हनन से जुड़ा है। अभी-अभी टॉवर चौक पर एक घटना हुई थी। एक दुकान पर ताले लगा दिये थे। दुकानदार ने दस्तावेज वर्दी को दिखाये। जो कि पूरी तरह सही थे। नतीजा दुकानदार को कब्जा मिल गया। इसके बाद चरित्र हनन का धंधा सामने आया। एक पंजाप्रेमी नेत्री पहुंची। अपनी सहयोगियों को लेकर। दुकानदार का हाथ पकड लिया। धमकी दे डाली। बेचारा दुकानदार तत्काल भागा। अपनी जान बचाकर। ऐसा पंजाप्रेमी बोल रहे है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।

हैट्रिक ...

जरूरी नहीं कि क्रिकेट में ही हैट्रिक हो। कभी-कभी एक जैसी 3 घटनाएं भी हैट्रिक की श्रेणी में आती है। खासकर तब इसे हैट्रिक ही माना जायेगा। जब आरोप लगाने वाली 1 हो और आरोपी 3 अलग-अलग। शिवाजी भवन में ताजा शिकार हैट्रिक के एक उपयंत्री हुए है। जिन पर उत्पीडऩ का आरोप लगाया है। वह भी सभी के सामने। बैठक के अंदर। बेचारे ... उपयंत्री ने शिवाजी भवन के मुखिया को लिखित में आवेदन दिया है। इसके पहले 2 शिकार यह मैडम कर चुकी है। पहला शिकार एक बाबू हुआ था। तो दूसरे शिकार अपने पपेट जी हुए थे। मैडम की आदत है। फाइल रोकती है। वजन रखने पर ही फाइल सरकती है। जब कोई सवाल उठाता है तो ... पुरूष उत्पीडन का आरोप लगा देती है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। अब देखना यह है कि शिवाजी भवन के मुखिया क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

बस हम चुप रहेंगे ...

मेरी पसंद ...

इस तरह साथ निभना है दुश्वार सा

तू भी तलवार सा मैं भी तलवार सा।

बशीर बद्र