05 सितम्बर 2022 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

05 सितम्बर 2022 (हम चुप रहेंगे)

मोह ...

इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन उसका मोह है। जो मरते दम तक नहीं छूटता है। फिर अभी-अभी चक्रम से सेवानिवृत्त हुए अपने बबली जी भी इंसान है। मोह होना स्वभाविक है। जो कि विक्रम कीर्ति मंदिर में उजागर हुआ। अपने बबली जी का  उद्बोधन शुरू हुआ। सभी को उम्मीद थी कि वह अपनी जीवन यात्रा का कोई ऐसा पहलू उजागर करेंगे। जिसे सुनकर सभी अचंभित रह जाये। उन्होंने अचंभित तो सभी को किया। मगर, अपने विकास पुरूष की शान में कसीदे पढ़कर। जिसे सुनकर हर कोई अचंभित था। हालांकि अंत में बबली जी ने यह भी बोला कि ... वह यह सब किसी पद मोह के कारण नहीं बोल रहे है। बस ... उनके यह शब्द सुनते ही सभी श्रोता समझ गये। आखिर इस गुणगान आरती के पीछे मकसद क्या है। जिसके चलते अब सभी उनके करीबी, अपने बबली जी के मोह की चर्चा कर रहे है। मगर हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

मुंगेरीलाल ...

यह कहावत तो सभी को पता है। मुंगेरीलाल के हसीन सपने। अपने कमलप्रेमी इन  दिनों इस कहावत को याद कर रहे है। जिसमें इशारा अपने माटी वाले नेताजी की तरफ है। जो खुद को अभी से उत्तर का जनप्रतिनिधि समझने लगे है। तभी तो सोशल मीडिया पर पोस्ट अपलोड कर दी। उत्तर का विकास मेरी पहली प्राथमिकता। उनके उत्साही समर्थकों ने बधाईयां भी दे दी। एक समर्थक ने कटाक्ष किया। दादा बने कोतवाल... अब डर काहे का। जिसके बाद कमलप्रेमी, अपने माटी वाले नेताजी को मुंगेरीलाल का हसीन सपना बोल रहे है। जो कि सही भी है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।

फूट डालो ...

अंग्रेजों को देश से निकाले 75 साल हो गये है। मगर उनकी फूट डालो- राज करो की नीति आज भी कामगार है। यह संवाद इन दिनों शिवाजी भवन में सुनाई दे रहे है।   मामला कर्मचारी संघ में फूट का है। संघ के मुखिया को बाबू बनाकर बैठा दिया। बेचारे .... कल तक जो कालर उठाकर नेतागिरी करते थे, अब वह बाबूगिरी कर रहे है। इसमें विशेष सहयोग संघ के संरक्षक का है।  उनकी सहमति से मुखिया को बाबू बना दिया गया है। अब अंदरखाने की खबर यह है कि .... बाबू बनकर बैठे मुखिया जल्दी ही किसी दूसरे संगठन का दामन थामने वाले है। देखना यह है कि वह यह कदम कब उठाते है।  तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

शब्द ..

अर्थ का अनर्थ शब्द कैसे करते है। इसका उदाहरण पिछले दिनों एक कार्यक्रम में देखने को मिला। चक्रम के मुखिया अपना उद्बोधन दे रहे थे। मौका था... अपने बबली जी की विदाई का। वागार्थ में कार्यक्रम था। सभी बुद्धिजीवि- प्रोफेसर मौजूद थे। अपने चक्रम के मुखिया ने बोलना शुरू किया। जिसमें उन्होंने एक शब्द कृतघ्न का उपयोग आधा दर्जन बार किया। इस कृतघ्न का अर्थ अहसानफरामोश होता है। जिसे सुनकर वहां मौजूद सभी विद्जन आश्चर्य में थे। खुद अपने बबली जी भी कृतघ्न सुनकर मुंह देख रहे थे। हालांकि चक्रम को मुखिया को कृतज्ञ शब्द बोलना था। जिसका अर्थ कृत अर्थात किये हुए उपकार को जो ज्ञ अर्थात स्मरण रखे वह कृतज्ञ। मगर चक्रम के मुखिया बार-बार कृतघ्न बोलते रहे और सभी चुपचाप सुनते रहे। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

पीछे कौन ....

राजनीति में सफलता के लिए साम-दाम-दंड-भेद का ज्ञान होना आवश्यक होता है। अब अगर इसका ज्ञान है तो उपयोग भी करना पड़ता  है। ताकि अपने विरोधी को पछाडा जा सके। अभी-अभी हुई एक घटना इसी तरफ इशारा कर रही है। घटना लेन-देन को लेकर है। जिसके चलते इच्छा- मृत्यु की गुहार लगाई गई। लेकिन घटना के पीछे असली कारण राजनीतिक विवाद है। हटाये गये जलवा प्रेमी निशाने पर है।  निशाना लगाने वाले अपने पिस्तौल कांड के नायक है। दोनों के बीच की दुश्मनी हर कमलप्रेमी को पता है। तभी तो यह घटना उजागर की गई। अब गेंद वर्दी के पाले में है। अपने कप्तान जी इंसाफ करने में माहिर है। देखना यह है कि इस साम-दाम वाली नीति में अपने पिस्तौल कांड के नायक को सफलता मिलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

पॉवर ...

शहर के कमलप्रेमियों से एक सवाल है। जिसका जवाब सभी कमलप्रेमियों को पता है। सवाल यह है कि आखिर वर्तमान में सत्ता का पॉवर किसके पास है। अपने विकास पुरूष या फिर प्रथम सेवक? सवाल यह कमलप्रेमी उठा रहे है। जिसके पीछे एक घटना भी बताई जा रही है। अंदरखाने की खबर है कि अपने विकास पुरूष दक्षिण क्षेत्र में एक नया झोन स्थापित करना चाहते थे। उन्होंने अपने समर्थकों से वादा भी कर लिया था। जिसके चलते अपनी बहन जी ने सभी वरिष्ठों से राय मशवरा भी किया। सम्मेलन से एक दिन पहले अपने प्रथम सेवक के पास प्रस्ताव पहुंचा। विकास पुरूष को पूरी उम्मीद थी। प्रथम सेवक इंकार नहीं करेंगे। यहीं पर उनसे चूक हो गई। अपने प्रथम सेवक ने साफ-साफ इंकार कर दिया। सम्मेलन में भी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। यही वजह है कि कमलप्रेमी सवाल उठा रहे है। वर्तमान में पॉवर किसके पास है। जिसको लेकर हम तो बस अपनी आदत के अनुसार  चुप हो जाते है।

हट सकते है ...

कमलप्रेमी संगठन बदलाव के मूड में है। राजधानी से ऐसे संकेत मिल रहे है। करीब 1 दर्जन जिलों के पार्टी मुखिया बदले जाने है। 2 दिन पहले तक इस सूची में अवंतिका नगरी का नाम शामिल नहीं था। मगर अचानक सूची में 4 नये जिले जोड़ दिये गये है। इसी के चलते कमलप्रेमियों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। दबी जुबान से बोला जा रहा है। अपने ढीला- मानुष को हटाया जा सकता है। लेकिन उनकी जगह कौन लेगा? इसको लेकर भी कमलप्रेमी एक-दूसरे से पूछ रहे है। सशक्त दावेदारों में अपने पिपली राजकुमार का भाग्योदय हो सकता है। वैसे भी अपने ढीला-मानुष  का कार्यकाल दिसम्बर में खत्म होने वाला है। अब देखना यह है कि गणपति विर्सजन तक राजधानी से किस-किस के नाम पर मोहर लगती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चापलूसी करते हो ...

शिवाजी भवन के 5 कर्मचारियों का 10-10 दिन का वेतन काटा गया है। काटने वाली अधिकारी इन दिनों सुर्खियों में है। मलाईदार पदो पर विराजमान है। जिनको हटाने के लिए पंजाप्रेमी ज्ञापन दे चुके है। आज से पंजाप्रेमियों का आंदोलन भी शुरू हो रहा है। यह वहीं मैडम है। जिनके हाथ लाल हो गये थे। उन्होंने वेतन क्यों काटा। इसकी कहानी बड़ी रोचक है। जो कि मैडम ने फटकार लगाते समय कर्मचारियों को सुनाई। उनका कहना था कि ... अपनी घमंडी मैडम की चापलूसी करते रहते हो। काम बिलकुल नहीं करते। उनके आने पर आगे-पीछे घूमते हो। इसीलिए वेतन काटा है। बेचारे कर्मचारी मिलने गये। अपनी बात रखी। काम का भी हवाला दिया। मगर मैडम का दिल नहीं पसीजा। यही वजह है कि बेचारे कर्मचारी अपनी पीडा एक-दूसरे को सुना रहे है। अब इस मामले में हम तो कुछ कर नहीं सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चम्मच ...

शीर्षक पढ़कर हमारे पाठक अंदाजा लगा सकते है। हम राजनीति में चम्मचगिरी करने वालो का जिक्र नहीं कर रहे है। लेकिन यहां चम्मच से आशय केवल भोजन करने के लिए उपयोग में आने वाला चम्मच है। जिसको लेकर राजधानी के मिन्टो हॉल में एक कहानी सुनाई गई। कहानी सुनाने वाले अपने देश के जाने-पहचाने मोटा भाई थे। जिनके सम्मान में डिनर दिया था। अपने मामाजी सहित सभी तुर्रम खां मौजूद थे। टेबल पर चम्मच सजी हुई थी। कई लोग उस चम्मच का उपयोग कर रहे थे। तब अपने मोटा भाई ने यह कहानी सुनाई। एक सामान्य परिवार का रिश्ता धनवान परिवार से हो गया। धनवान परिवार ने इस खुशी में शानदार होटल में पार्टी रखी। टेबल पर दोनों परिवार मौजूद थे। खाना शुरू हुआ। धनवान परिवार चम्मच का उपयोग कर रहा था। सामान्य परिवार इसका आदी नहीं था। उन्होंने हाथ का उपयोग किया। धनवान परिवार ने बोला चम्मच का उपयोग करो। तब सामान्य परिवार ने जवाब दिया। होटल के अंदर चम्मच से कई लोग खाते है। इनकी सफाई सही तरीके से नहीं होती। इसलिए हम हाथ से ही खायेंगे। देश के नम्बर-2 अपने मोटा भाई की यह कहानी सुनकर वहां मौजूद कई लोगों ने हाथ में पकड़ी चम्मच तत्काल नीचे रख दी। अब हमारे पाठक चम्मच शीर्षक का सही अर्थ समझ गये होंगे। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।