16 जनवरी 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
बड़ी गलती ...
कंपनी फिल्म के 2 डायलॉग है। हमारे धंधे में पहली गलती माफ करना, उससे बड़ी गलती है। दूसरा डायलॉग, हर खास आदमी को पता होना चाहिये, वह आम हो सकता है। यह दोनों डायलॉग शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रहे है। इशारा अपने प्रथमसेवक की तरफ है। जिन्होंने इसका मतलब नहीं समझा। नतीजा ... 2 उदाहरण देकर दोनों डायलॉग का मतलब बताया जा रहा है।
- त्रिवेणी नदी स्थित होटल में एक कार्यक्रम था। पिछले साल। प्रथमसेवक, वजनदार और विकास पुरूष मौजूद थे। इसके अगले दिन रेलवे का कार्यक्रम था। केन्द्रीय मंत्री आने वाले थे। उनका आगमन कैंसिल हो गया। उस वक्त अपने वजनदार जी ने मंच से बोल दिया। रेलवे कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विकास पुरूष मुख्यअतिथि होंगे। बस... यह बात प्रथमसेवक को बुरी लगी। वह उठकर चल दिये। यह उनकी पहली गलती थी।
- चुनाव पूर्व दमदमा में संजीवनी क्लिनिक का कार्यक्रम था। अपने विकास पुरूष के सहयोगी ने फोन किया। अपने प्रथमसेवक को। आमंत्रण दिया। उस वक्त उनकी बगल में निगम की बीमारी नगरसेवक बैठे थे। जिनके इशारे पर प्रथमसेवक ने मना कर दिया। दुबारा फोन आया। कार्यक्रम आपकी सुविधानुसार कर लेते। फिर भी प्रथमसेवक कार्यक्रम में नहीं गये। अब अगर फिल्म कंपनी का डायलॉग शिवाजी भवन में सुनाई दे रहा है। तो गलत क्या है। बाकी हमारे पाठक समझदार है और हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
9 हजार ...
शीर्षक पढ़कर अंदाजा नहीं लगाये। हम सोमरस (बीयर) की बात कर रहे है। हमारा इशारा एक वाहन नंबर की तरफ है। काले रंग की गाडी की तरफ। जिसका पूजन अपने प्रथमसेवक के हाथों से हुआ था। उस वक्त प्रथमसेवक का कहना था। मेरे दोस्त ने खरीदी है और पूजन मुझसे करवाया है। यह वाहन अकसर डी-मार्ट के आसपास नजर आता है। कमलप्रेमी दबी जुबान से बोल रहे है। वाहन एक बिल्डर ने गिफ्ट किया था। मगर किसको, इस सवाल पर कमलप्रेमी चुप हो जाते है। बात सच है या झूठ? हमको पता नहीं है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
रवानगी ...
वर्दीवाले हो या कमलप्रेमी। इन दिनों दबी जुबान से चर्चा कर रहे है। एक आईपीएस अधिकारी की रवानगी की। जिन पर अपने विकास पुरूष की दृष्टि है। बस उचित समय का इंतजार किया जा रहा है। इशारा दिया जा रहा है कि फरवरी माह में यह रवानगी होगी। लेकिन वह आईपीएस अधिकारी कौन है? यह सवाल पूछने पर वर्दी और कमलप्रेमी चुप हो जाते है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कोशिश ...
बाबा की नगरी में पदस्थ रहे 2 अधिकारी कोशिश कर रहे है। पडोसी संभागीय मुख्यालय में अपनी पदस्थापना के लिए। दोनों अधिकारी राज्य प्रशासनिक सेवा के है। जिनमें से 1 आईएएस हो चुके है। जिन्हें हम लिटिल मास्टर के नाम से जानते है। तो दूसरे जयमहाकाल बोलकर काम निकालने में माहिर है। जो इन दिनों संभाग के 1 जिले में पदस्थ है। दोनों आईडीए की कोशिश में लगे है। देखना यह है कि किसकी जीत होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
डिमांड ...
अभी-अभी 2 दिन पहले एक कार्यक्रम हुआ। जिसके लिए शिवाजी भवन की टीम लगी थी। क्योंकि विकास पुरूष के हाथों इसका शुभारंभ होना था। पूरा तामझाम सरकारी था। लेकिन इस कार्यक्रम में स्टाल लगाने के नाम पर डिमांड की गई। एक आनंदक से। 8 हजारी डिमांड थी। डिमांड सुनकर आनंदक चुप हो गये। ऐसी चर्चा कार्र्यक्रम के बाद सुनाई दे रही है। सच-झूठ का फैसला पाठक खुद करें। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
दिखावा ...
आमतौर पर आलाधिकारी की आदत होती है। वह अगर भ्रमण पर निकले। तो किसी ना किसी माध्यम से मीडिया तक सूचना भिजवा देता है। ताकि सभी को पता चल सके। मगर जिले के नये मुखिया अपवाद है। वह चुपचाप अपना काम करते है। किसी को भनक नहीं लगने देते है। तभी तो शिप्रा शुद्धिकरण की बैठक के पहले अलसुबह चुपचाप अकेले निकल गये। गऊघाट पहुंचे और पैदल चलते-चलते चक्रतीर्थ तक पहुंच गये। उनको किसी ने भी नहीं पहचाना। उसके अगले दिन बैठक थी। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। जिसके बाद यह बोला जा रहा है कि ... नये मुखिया दिखावे में भरोसा नहीं करते है। बात सच है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
लाज ...
रविवार को आगर रोड पर अपने विकास पुरूष ने भूमिपूजन किया। सबकुछ ठीक-ठाक निपट गया। लेकिन शनिवार की रात माहौल उलट था। रेलवे ने हाथ खड़े कर दिये। श्रीमान कूल की भी भिड़ंत हो गई। ऐसे में प्रशासन की लाज अपने स्मार्ट पंडित और उनकी टीम ने बचाई। स्मार्ट पंडित ने निर्देश मिलते ही काम शुरू करवाया। रातो-रात गरिमानुरूप टेंट और मंच बना। तब कहीं जाकर प्रशासन की लाज बची। जिसके लिए स्मार्ट पंडित को बधाई देकर, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
याराना ...
अपने ढीला-मानुष और आराधना प्रेमी का याराना कमलप्रेमियों में मशहूर है। एक सिक्के के दो पहलू माने जाते है। लेकिन इन दिनों आराधना प्रेमी अलग-थलग है। तभी तो शनिवार को सर्किट हाऊस पर उनका विवाद हो गया। वर्दी ने उनको रोक दिया। अंदर जाने से। हालांकि बाद में हल्ला करके वह अंदर गये। यह तब हुआ। जब अपने विकास पुरूष नहीं पहुंचे थे। इधर अपने ढीला-मानुष हर बार इंदौर जा रहे है। विकास पुरूष को रिसीव करने। जबकि उनके खास दोस्त को रोका जा रहा है। तभी तो कमलप्रेमी याराने पर सवाल उठा रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
निलंबन ...
राजस्व नियमों के जानकारों का कहना है। कोटवार का निलंबन नहीं होता है। उनकी सीधे सेवा समाप्त की जाती है। मगर बदबू वाले शहर के अपने चुगलखोर जी ने अनोखा आदेश निकाला। जिसमें उन्होंने कोटवार को निलंबित कर दिया। वजह ... कोटवार ने महिला नायब तहसीलदार के खिलाफ सोशल मीडिया पर खूब अंड-संड लिखा था। नायब तहसीलदार ने शिकायत की थी। जिसके बाद चुगलखोर जी ने कोटवार को निलंबित कर दिया। ताज्जुब की बात यह है। 1 सप्ताह के अंदर ही कोटवार को वापस बहाल कर दिया। जिसकी चर्चा बदबू वाले शहर के राजस्व कर्मचारी कर रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
गुहार ...
संकुल के गलियारों में गुहार लग रही है। अपने विकास पुरूष से। गुहार लगाने वाले अधिकारीगण है। उनकी गुहार केवल इतनी है। मेला कार्यालय में हर बैठक की व्यवस्था की जाये। ताकि विकास पुरूष की गरिमा के अनुरूप सभी बैठक संचालित हो सके। अधिकारियों की गुहार में निवेदन है। उम्मीद है कि अपने विकास पुरूष इस गुहार को जरूर सुनेंगे। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सीधी बात ...
अपने विकास पुरूष सीधी बात कहने में कभी नहीं चुकते है। तभी तो उन्होंने बैठक में बोल दिया। उस वक्त जब शिप्रा को लेकर बैठक हो रही थी। अपने वजनदार जी भी मौजूद थे। सवाल पूछे जा रहे है। लेकिन सवाल रिपीट हो रहे थे। तो विकास पुरूष ने बोल दिया। नये सवाल करो-रिपीट मत करो। बस फिर क्या था। अपने वजनदार जी चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
स्कूल में आपको सबक दिया जाता है, फिर परीक्षा।
जीवन में आपको परीक्षा दी जाती है, फिर सबक।