06 नवम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

06 नवम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)

फोन नहीं उठाते ...

बेचारे ... होटल वाले भय्या ने सोचा नहीं था। मतदाता इतने मुखर है। मुंह पर ही खरी-खरी बोल देंगे। कोठी के समीप स्थित एक बगीचे की घटना है। सुबह-सुबह पंजाप्रेमी होटल वाले भय्या पहुंचे। मतदाताओं को अपना उद्बोधन दिया। आशीर्वाद मांगा। अब बारी मतदाताओं की थी। किसी ने मुंह पर ही बोल दिया। आप फोन तक तो उठाते नहीं हो। आपको वोट क्यों दे। उत्तर में रावण जलाते हो, दक्षिण में क्यों आये। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने पंजाप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

उल्टा-चश्मा ...

शीर्षक पढ़कर शायद हमारे पाठकों को किसी टीवी सीरियल की याद आ जाये। इन दिनों इस सीरियल को पंजा व कमलप्रेमी दोनों याद कर रहे है। इस सीरियल के 3 किरदारों को ज्यादा याद किया जा रहा है। बबीता जी- अय्यर जी और जेठालाल जी को। इसमें जेठालाल जी का किरदार निभाने वाले, पिछले दिनों तक बागी थे। अपने हाथ में झाडू उठा ली थी। मगर फिर सेटिंग हो गई और वापस पंजाप्रेमी हो गये। आश्वासन भी मिला है। सरकार बनी तो भरतपुरी की कुर्सी पक्की। अब बबीता जी और अय्यर जी कौन है? यह हमें अपने समझदार पाठकों को बताने की जरूरत नहीं है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो  जाते है।

डिलीट ...

सोशल मीडिया पर अपलोड की गई पोस्ट को डिलीट करवाने से क्या होगाक्या इससे सच्चाई छुप जायेंगी। जो बोया है- वही काटना होगा। धमकी देकर पोस्ट तो डिलीट करा दी। लेकिन जो संदेश जनता तक पहुंचना था। वह तो दिल और दिमाग में बैठ गया। ऐसी चर्चा इन दिनों कमलप्रेमी कर रहे है। इशारा अपने पिस्तौल कांड नायक की तरफ है जिनके खिलाफ पोस्ट अपलोड हुई थी। जिसका खामियाजा तो भुगतना ही होगा। कितना नुकसान होता है। फैसला 3 दिसम्बर को होगा। तब तक हमको चुप ही रहना है।

दाम ...

शायर डॉ. नवाज देवबंदी का अशआर है। जो बिकने पर आ जाओं तो घट जाते है दाम अकसर/ ना बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ती है...! पंजाप्रेमी इन दिनों यह शेर गुनगुना रहे है। जिसमें इशारा अपने 5 वीं फेल पंजाप्रेमी नेताजी की तरफ है। जो कि मात्र 3 पेटी में बिक गये। इसीलिए तो पत्र लिखकर दे दिया। अपने पंजाप्रेमी पहलवान की तारीफ में। नतीजा दाल-बिस्किट वाली तहसील के पहलवान को टिकिट मिल गया। ऐसा हम नहीं, बल्कि पंजाप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

अन्याय ...

 अपने लेटरबाज जी के साथ अन्याय हो गया। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिये था। आखिर कमलप्रेमी संगठन के मुखिया है। फिर भी उनको तवज्जों नहीं दी गई। पडोसी जिले का मामला है। जहां देश के प्रथमसेवक की रैली थी। अपने जिले के कई कमलप्रेमियों को प्रथमसेवक के साथ मिलने का मौका मिला। किन्तु अपने लेटरबाज जी को नहीं। उनका नाम सूची में नहीं था। सुरक्षा वालो ने रोक दिया। बेचारे ....अपने लेटरबाज जी मन-मसोसकर चुपचाप रह गये। तो हम भी अपनी  आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

रणनीति ...

चुनाव जीतने के लिए आरोप और प्रचार से ज्यादा रणनीति होती है। जो गोपनीय होती है। जिसका पंजाप्रेमी होटल वाले भय्या के पास अभाव है। जबकि उनके पास बिरयानी नेताजी है। जिन्हें पंजाप्रेमी राजनीति का चाणक्य कहते है। होटलवाले भय्या आरोप लगाने में ही उलझे है। कहीं-कहीं ठुमके भी लगा रहे है। जबकि विकास पुरूष चुपचाप रणनीति पर काम कर रहे है। जैसे मतदान के 2 दिन पहले अजमेर- शरीफ यात्रा का आयोजन करवाना। वह भी मात्र 51 रूपये में। 2 दिन तक अल्पसंख्यकों यात्रा के नाम पर बाहर भेजा जा रहा है। मकसद ... मतदान से दूर रखना है। ऐसी चर्चा होटलवाले भय्या के करीबी कर रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

दूसरा या तीसरा ...

अपने बडबोले नेताजी का रिकार्ड इस बार टूटने वाला है। उनकी जीत की राह में कांटे ही कांटे है। खुद कमलप्रेमी नहीं चाहते हैं। उनकी जीत हो। बाकी का काम उनके समाज के लोग कर रहे है। जो कि पहली दफा 2धडो में बट गया है। इसके अलावा पहली दफा बडबोले नेताजी के सामने कोई पंजाप्रेमी बागी नहीं है। बल्कि कमलप्रेमी बागी से उनका सामना हो रहा है। इसीलिए तो कमलप्रेमी बोल रहे है। महिदपुर के बडबोले नेताजी का घडा इस बार फूटने वाला है। इस बार दूसरे या तीसरे नम्बर पर रहेंगे। फैसला 3 दिसम्बर को होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

शिकंजा ...

शिवाजी भवन के मुखिया शिकंजा कसने की तैयारी में है। अंदर ही अंदर जाल बुना जा रहा है। ऐसा, जो काटा ना जा सके। अंदरखाने की खबर है। चारा व टंकी घोटाले की रिपोर्ट तैयार हो रही है। इन दोनों मामले में अपने पपेट जी (राजधानी वाले) लपेटे में आ रहे है। अगर निष्पक्ष जांच हुई तो प्रकरण दर्ज होना पक्का है। चारा घोटाले में तो अपने प्रथमसेवक की तरफ भी उंगलियां उठ रही है। जिन्होंने रेट लिस्ट देखकर भी अनदेखा कर दिया। देखना यह है कि कौन-कौन इस कांड की जद में आते है। बकौल शायर डॉ. राहत इंदौरी। लगेगी आग तो आयेंगे कई मकां जद में/ इस गली में सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है...! बाकी हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।

लड सकती हूं ...

लडकी हूं- लड सकती हूं। पंजाप्रेमियों का यह नारा सभी पाठकों को याद होगा। इसी तर्ज पर एक पंजाप्रेमी नेत्री चल रही है। जिन पर पंजाप्रेमियों ने सवाल उठाया था। सेटिंग को लेकर। पंजाप्रेमी नेत्री खुलकर बोल रही है। कोई सेटिंग नहीं हुई है। उल्टे उनके साथ विश्वासघात हुआ है। फिर भी वह पंजाप्रेमी पहलवान के खिलाफ लडाई जारी रखेंगी। न्यायिक प्रक्रिया पर उनको भरोसा है। भगवान भी सजा देगा। अब देखना यह है कि दाल-बिस्किट वाली तहसील में वह लडकी हूं- लड सकती हूं ... का नारा लगाते कब नजर आती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

बुरे दिन ...

पंजाप्रेमियों के इतने बुरे दिन कभी नहीं आये होंगे। जो इन दिनों चल रहे है। तभी तो अपनी पार्टी के राष्ट्रीय नेता की सभा तक नहीं करवा पा रहे है। रविवार को जिले की प्रभारी व राष्ट्रीय सचिव आये थे। 7 तारीख को सभा होनी थी। इसको लेकर स्थान चयन करने। शहीद पार्क से लेकर, डालडा मिल- क्षीरसागर- ताजपुर- पानबिहार आदि तक पर विचार हुआ। कोई भी सभा के लिए राजी नहीं हुआ। क्योंकि सभा के लिए भीड चाहिये। जो आज की तारीख में पंजाप्रेमी जुटा नहीं सकते है। यही वजह रही कि एक पंजाप्रेमी प्रत्याशी ने तो यह कहकर पिंड छुडाया। मैं गरीब आदमी हूं। जबकि दूसरे प्रत्याशी ने दावा किया। पानबिहार में कर लो। 5 हजार भीड भेज दूंगा। जिसे सुनकर प्रभारी मैडम ने पलटवार किया। दक्षिण में करा लो, 2 हजार से काम चल जायेंगा। आखिरकार सहमति नहीं बनी और दोनों प्रभारी यह बोलकर रवाना हो गये। फिलहाल सभा केंसिल समझो। यही वजह है कि पंजाप्रेमी दादा, जो बाबू शब्द का प्रयोग करते है। यह कहने पर मजबूर हो गये। इतने बुरे दिन कभी नहीं आये। उनकी बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

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