दादा खरीदते थे अकेले बैंगन: अभी टिकिट नही मिलेगा...!
किस्मत...
उज्जैन।राजनीति में कब...किसकी...किस्मत अचानक पलट जाए?इसको लेकर कोई दावा नही कर सकता हैं? वर्ना 4 महीने पहले तक अकेले बैंगन खरीदने वाले डॉक्टर सत्यनारायण जटिया अचानक इतने प्रभावशाली नही हो जाते.!इसी तरह 2012 में टिकिट के दावेदार मुकेश टटवाल 10 साल बाद 2022 में महापौर नही बन पाते..?
भाजपा में इन दिनों दादा जटिया और महापौर मुकेश टटवाल की किस्मत को लेकर चर्चा सुनाई दे रही हैं।दोनो को लेकर चर्चा का सार किस्मत और वक्त से जुड़ा है।तभी तो भाजपाई यह कहने में नही चूक रहे है कि...दादा खरीदते थे अकेले बैंगन...अभी टिकिट नही मिलेगा...!
तैयारी...
अब इस तस्वीर को देखिए।ज्यादा पुरानी नहीं है।3 या 4 महीने पहले की है।भाजयुमो का टॉवर चौक पर कोई कार्यक्रम था।जिसमे दादा जटिया भी आए थे।तब दादा अपना राजनीतिक वनवास भोग रहे थे।उनको देखकर ,वर्तमान वरिष्ठ नेताओं ने कोई तवज्जो नहीं दी।लेकिन उस वक्त भी दादा की परछाई बनकर चलने वाले मदन सांखला उनके साथ थे।नेताओ के इस व्यवहार को देखकर भी दादा ने अपना धैर्य बनाए रखा।कार्यक्रम में शामिल हुए।फिर अपनी परछाई के साथ फ्रीगंज सब्जी मंडी तरफ निकल गए।एक दुकान से बैंगन खरीदे।उसी वक्त की यह तस्वीर है।लेकिन अब वक्त बदल गया है।दादा,अब केंद्रीय संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में सदस्य है।आज उनका आगमन हो रहा है।जिसको लेकर भव्य स्वागत की तैयारी है।इसे कहते है वक्त का बदलना...!
2022 में आए...
यह घटना 2012 की है।तब आज के नए नवेले महापौर मुकेश टटवाल टिकिट की दौड़ में थे।उनको ऊपर से आश्वासन मिला।तैयारी कर लो?टिकिट पक्का है।तो नामांकन कब दाखिल करें।इस सवाल को लेकर वह एक ज्योतिष के पास गए।इंदौर निवासी श्री गुप्ते जी के पास।उनके साथ उस वक्त के नगर मंत्री विवेक जोशी भी गए।ज्योतिष श्री गुप्ते ने उनको देखकर बोल दिया।अभी क्यों आए हो?तुमको तो 2022 में आना था।यह सुनकर दोनो नेता आश्चर्य में पड़ गए।क्योंकि चुनाव हर 5 साल बाद होते है!2012 के बाद 2018 में चुनाव होते।2022 में तो कोई भी चुनाव नही होना था? न लोकसभा और न विधानसभा।इसलिए मन ही मन में हंसते हुए,300 रुपए फीस चुकाई और वापस आ गए।2012 में टिकिट नही मिला।लेकिन ज्योतिषाचार्य श्री गुप्ते की बात सही निकली।कोरोना के कारण चुनाव नही हुए।2022 में चुनाव हुए और मुकेश टटवाल का वक्त बदल गया।आज वह महापौर है।तभी तो भाजपाई बोल रहे है कि राजनीति में कब ..किसकी ..किस्मत .. अचानक पलट जाए,कोई दावा नही कर सकता है..!