SMART अधिकारियों का, STUPID कारनामा ...!
इनसे उम्मीद नहीं है, विधायकों के कहने पर चलते है ...!
उज्जैन। स्मार्ट सिटी लिमिटेड उज्जैन ने अनोखा- यादगार कारनामा कर दिखाया है। इसकी कल्पना कभी भी शहरवासियों ने नहीं की थी। ताज्जुब इस बात का है। स्मार्ट सिटी में एक से बढकर एक होशियार अधिकारी पदस्थ है। फिर भी इन सभी स्मार्ट अधिकारियों ने अपनी-अपनी आंखो पर पट्टी बांध ली। कोई खोजबीन नहीं करी। उल्टे एक संस्था की जमीन पर कचरा- ट्रांसफर- स्थल खड़ा कर दिया। जिसकी लागत करोंडो में है। तभी तो स्मार्ट सिटी के गलियारों में यह चर्चा आम है कि ... SMART अधिकारियों का, STUPID कारनामा ...!
वाकई मान गये। उज्जैन स्मार्ट सिटी प्रायवेट लिमिटेड को। जहां पर मुखिया के रूप में कलेक्टर, अतिरिक्त निदेशक के रूप में निगम आयुक्त (दोनों आईएएस) स्मार्ट सिटी सीईओ (एसएएस) व अधीक्षण यंत्री से लेकर इंजीनियरों की फौज पदस्थ है। सभी बुद्धिमान अधिकारीगण है। इसलिए इन सभी की बुद्धिमता पर शक करना, सूरज को चिराग दिखाने जैसा होगा। मगर इसके बाद भी एक गृह निर्माण की जमीन पर ढांचा खड़ा कर दिया। बगैर यह खोजबीन करे कि ... जमीन सरकारी है या किसी संस्था की। इन सभी बुद्धिमान अधिकारियों को शहर की जनता की तरफ से 1 नहीं- 10 नहीं- 100 नहीं- 1000 नहीं- अनगिनत सेल्यूट ... !
नगर निगम ...
जिस स्थान पर करोड़ो की लागत से ठोस अपशिष्ट कचरा ट्रांसफर स्थल बनाया जा चुका है। वह जमीन वास्तव में उज्जैन नगर निगम कर्मचारी सहकारी साख संस्था की है। कुल 11 एकड़ जमीन है। सर्वे नं. 1662 से लेकर 1667 तक संस्था की जमीन है। जिसके सर्वे नं. 1665 पर बगैर खोजबीन किए, निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। ढांचा भी खड़ा हो गया। तब जाकर स्मार्ट अधिकारियों की नींद खुली। संस्था की जमीन पर निर्माण करवा दिया गया। हमारे भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि ... मार्च में जब जमीन चयनित हुई... निविदा निकली। तब स्मार्ट सिटी में पदस्थ अधिकारियों ने केवल ... उज्जैन नगर निगम ... पढ़कर यह सोच लिया। जमीन नगर निगम की है। किसी भी बुद्धिमान अधिकारी ने अपने दिमाग को यह तकलीफ नहीं दी। नगर निगम ... के बाद ... कर्मचारी सहकारी संस्था मर्यादित क्यों लिखा है? बस ... नगर निगम पढ़कर ... इस जमीन पर कचरा ट्रांसफर स्टेशन ... बना दिया।
इनका कारनामा ...
सबको पता है। पदेन नगर निगम आयुक्त ही स्मार्ट सिटी में अतिरिक्त निदेशक (एडी) होते है। जिस वक्त कचरा ट्रांसफर स्टेशन का प्रस्ताव- निविदा- कार्यादेश हुआ। तब अंशुल गुप्ता पदस्थ थे। उन्हीं के कार्यकाल में मार्च- 2022 में सबकुछ फायनल हुआ। स्थल तय हुआ- निविदा निकली। मगर ताज्जुब की बात यह है कि ... नगर निगम आयुक्त रहते हुए भी अंशुल गुप्ता ने, उज्जैन नगर निगम कर्मचारी गृह निर्माण संस्था ... शब्द पर ध्यान नहीं दिया। संस्था की जमीन को निगम की संपत्ति मान लिया। सीईओ आशीष पाठक और अधीक्षण यंत्री नीरज पांडे ने भी गौर नहीं किया। नतीजा ... करोड़ो की लागत से बने कचरा ट्रांसफर स्टेशन को अब तोडऩे की नौबत आ गई है। यहां पर यह लिखना जरूरी है कि ... जमीन चयन- निविदा- कार्यादेश में स्मार्ट सिटी के मुखिया की कोई भूमिका नहीं रहती है। पूरा काम ... स्मार्ट सिटी के 3 वरिष्ठ अधिकारी व उनकी टीम करती है। बाद में बोर्ड मीटिंग में इसे स्मार्ट सिटी निदेशक से अप्रुवल करवा लिया जाता है।
आवेदन दिया है ...
गृह निर्माण की संस्था पर स्टेशन बनाने को लेकर सहकारिता विभाग नाराज है। बगैर खोजबीन किए करोड़ो खर्च कर दिये। इस पर विभाग आश्चर्यचकित है। स्मार्ट अधिकारी- ऐसा मुर्खता का काम करेंगे? इसकी चर्चा सहकारिता विभाग के गलियारों में खूब सुनाई दे रही है। क्योंकि उज्जैन नगर निगम कर्मचारी संस्था पर प्रशासक नियुक्त है। जमीन को लेकर मामला माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। 2 महीने पहले नियुक्त हुए प्रशासक शांतिलाल चौहान का कहना है। जानकारी मिलने पर उन्होंने तहसील कार्यालय से जमीन पर हक का प्रमाण-पत्र ले लिया है। इसके बाद कलेक्टर- निगम निगम आयुक्त व स्मार्ट सिटी सीईओ को आवेदन दे चुके है। इस कचरा ट्रांसफर स्टेशन को हटाया जाये। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इधर इस मामले को लेकर जब साइट के उपयंत्री आशुतोष पांडेय से दूरभाष पर बुधवार की दोपहर चर्चा हुई। उनसे सवाल किया गया। इस स्टेशन की लागत क्या है। तो उन्होंने कहा कि ... अभी मीटिंग में हूं... थोड़ी देर बाद बताता हूं... मगर खबर लिखने तक उनका पलटकर फोन नहीं आया।
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इनसे उम्मीद नहीं है, विधायकों के कहने पर चलते है ...!
उज्जैन। भाजपा लोकशक्ति मुख्यालय पर बुधवार को दिनभर गहमा-गहमी रही। कारण... आज विशेष तौर पर बैठक लेने के लिए संभागीय प्रभारी का आगमन हुआ था। सभी वरिष्ठ नेता मौजूद थे। तब भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष ने नगर जिला भाजपा अध्यक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने अपने उद्बोधन में खरी-खरी सुनाते हुए यह कह दिया कि ...इनसे उम्मीद नहीं है: विधायकों के कहने पर चलते है ...!
संभागीय लोकशक्ति मुख्यालय पर बुधवार को भाजपा नगर विस्तारित कामकाजी बैठक संपन्न हुई। सुबह से देर शाम तक अनवरत बैठके चलती रही। इस बैठक के लिए विशेष तौर पर संभागीय प्रभारी आलोक शर्मा आये थे। जिला प्रभारी संगीता सोनी के अलावा स्थानीय वरिष्ठ नेता मौजूद थे। केन्द्रीय चुनाव समिति के सदस्य डॉ. सत्यनारायण जटिया भी थे। तब बैठक में मौजूद भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष अनिल जैन कालूहेडा ने संगठन में चल रही अव्यवस्था को उजागर कर दिया। उनका सीधा प्रहार भाजपा नगर जिलाध्यक्ष विवेक जोशी व उत्तर-दक्षिण विधायक पर था।
पोल खोल दी ...
नगर जिला भाजपा संगठन में सबकुछ सही नहीं चल रहा है। कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की उपेक्षा हो रही है। इसकी पोल आज भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष श्री कालूहेडा ने सबके सामने खोल दी। उन्होंने नगर जिला अध्यक्ष विवेक जोशी और उत्तर विधायक पारस जैन व दक्षिण विधायक मंत्री डॉ. मोहन यादव पर निशाना साधा। जिसके बाद बैठक में शामिल भाजपा नेताओं में यह चर्चा रही कि ... 1 तीर से 3 शिकार किये। उनका कहना था कि ... नगर अध्यक्ष दोनों विधायकों इशारों पर चलते है। बैठक की सूचना नहीं मिलती। जबकि हम प्रदेश पदाधिकारी है। उन्होंने सुघोष अभियान के तहत आईटी प्रशिक्षण को लेकर भी सवाल उठाये। उनका कहना था कि ... कोर कमेटी की बैठक भी बाले-बाले हो जाती है। संगठन में अव्यवस्था फैल रही है और भाजपा अध्यक्ष को कोई मतलब नहीं है। भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष ने उत्तर विधानसभा में मकान तोडऩे पर भी आपत्ति जताई। सिहंस्थ क्षेत्र के नाम पर मकान तोड़े जा रहे है। जिससे वोट बैंक प्रभावित होगा। उन्होंने संभाग प्रभारी से आग्रह किया कि ... वह मकान तोडऩे के मामले में उच्च स्तर से समन्वय करके, इस पर रोक लगवाये।