मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो तो नाराज और निराश मत होना  ...!   

मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो तो नाराज और निराश मत होना  ...!   

उज्जैन। पिछले सप्ताह तक शहर के गली-मोहल्ले-चौराहे पर अकसर टकरा जाने वाले डॉ. मोहन यादव आज आ रहे है। मगर आज उनका आगमन कई मायनों में अलग है। अब आप सभी एक नये डॉ. यादव से रूबरू होंगे। जो कि प्रदेश के मुख्यमंत्री वाला चेहरा होगा। वह खुद भी अगर चाहे कि ... उनका वही गली-मोहल्ले-चौराहे पर, किसी भी आवाज पर रूक जाने वाला अंदाज कायम रहे। तो यह अब असंभव होगा। इसकी कसक वह खुद भी महसूस करेंगे। किन्तु पद की गरिमा और सुरक्षा के चलते मुख्यमंत्री डॉ. यादव खुद को लाचार महसूस करेंगे।

यह सच है कि कल तक उनके साथ दुपहियां वाहन पर घूमने वाले। या फिर हर  घड़ी उनके साथ रहने वाले। या उनके अडोसी-पडोसी- इष्ट-मित्र। या फिर मीडिया के साथी, इसका गलत अर्थ नहीं निकाले। इन सभी के साथ उनके मतदाताओं को मुख्यमंत्री की मजबूरी को समझना होगा। क्योंकि ब डॉ. मोहन यादव केवल उज्जैन के नहीं है। वह पूरे मध्यप्रदेश के है।

इसलिए अगर शनिवार अर्थात आज के दिन डॉ. मोहन यादव से मुलाकात नहीं हो पाये? वह किसी को गले नहीं लगा पाये? उनकी नजर आप पर नहीं पड़े? या फिर आप आवाज दे और वह इसे सुनकर भी इग्नोर कर दें? तो इसका बुरा नहीं मानना? क्योंकि यह अटल और कटु सत्य है।

जब पद मिलता है तो कल तक आपकी आवाज पर रूक जाने वाला इंसान चाहते हुए भी प्रोटोकॉल या सुरक्षा के कारण दूर होता जाता है। लेकिन यह भी पक्का है। वह वक्त भी आयेगा। जब मुख्यमंत्री डॉ. यादव के 5 वर्षीय कार्यकाल के दौरान, जिले का हर व्यक्ति यही बोलेगा। मेरी आज मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई और मैने उनके साथ सेल्फी भी ली। यह वक्त खुद पर गर्व करने का है। क्योंकि प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में उज्जैन का नाम अब बाबा महाकाल के बाद डॉ. मोहन यादव के नाम से जाना-पहचाना जाता है।