23 जनवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

23 जनवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)

तैयार ...

तो अपने पहलवान तैयार है। मिशन-2023 के लिए। तभी तो उन्होंने आपरेशन करवा लिया है। अभी तक अपने पहलवान आयुर्वेद पद्धति पर ही भरोसा कर रहे थे। लेकिन अब जाकर उन्होंने अपना घुटना बदलवा लिया है। जिसके बाद कमलप्रेमियों में हड़कंप मच गया है। मिशन-2023 के लिए उत्तर से सपना देख रहे दावेदारों के लिए यह जोरदार झटका है। यहीं वजह है कि कमलप्रेमी बोल रहे है। पहलवान तैयार है। अब देखना यह है कि बदले हुए घुटने से अपने पहलवान आखिर कितना तेज दौड पाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

लिफाफा ...

शीर्षक पढ़कर हमारे पाठक समझ ही गये होंगे। हमारा लिफाफे से आशय क्या है। अब जहां लिफाफा, वहां गुलाबी-गुलाबी नोट तो उसमें होंगे ही। सवाल यह है कि लिफाफा कहां से, और किस-किस को दिया जा रहा है। तो अंदरखाने की पक्की खबर है। लिफाफा देने का यह धंधा, एक मंदिर से चल रहा है। मगर बाबा महाकाल  के मंदिर से नहींलिफाफा, उस मंदिर से दिया जाता है। जहां पर सोमरस का प्रसाद चढ़ाया जाता है। उसी मंदिर से प्रतिमाह अव्यवस्था पर चुप रहने के लिए लिफाफा जाता है। जिसमें एक पूर्व जनप्रतिनिधि, एक ग्रामदेवता और वर्दीधारी भी शामिल है। इस लिफाफे की जानकारी अपने उम्मीद जी को बिलकुल नहीं है। जिसका फायदा कमलप्रेमी जनप्रतिनिधि सहित उनके दोनों चंगु-मंगु उठा रहे है। देखना यह है कि ... अपने उम्मीद जी इस लिफाफे पर रोक लगवा पाते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दोस्ती ....

मोहब्बत में दिखावे की दोस्ती ना मिला/गर दिल नहीं मिलता तो हाथ भी ना मिला...। किसी शायर का यह शेर इन दिनों शिवाजी भवन में खूब सुनाई दे रहा है। जिसके पीछे कारण एक तस्वीर है। जो इन दिनों चर्चा का विषय है। तस्वीर में 3 लोग दिखाई दे रहे है। अपने प्रथम सेवक कुर्सी पर विराजमान है। उनके सामने 2 अपर आयुक्त बैठे है। दोनों हाथ मिलाकर तस्वीर खिचवा रहे है। एक अपने खजांची जी है तो दूसरे शतरंज के प्यादे जी। जो इन दिनों हाथी बनकर चाल चल रहे है। दोनों की यह तस्वीर भले ही दोस्ती दिखा रही है। लेकिन जो अपने खजांची जी से परिचित है। वह जानते है कि .... अपने खजांची जी, इतनी आसानी से दुश्मनी नहीं भूलते है। अपने दुश्मन को मिटाकर ही चैन लेते है। अब यह देखना रोचक होगा कि ... प्रथम सेवक की मौजूदगी में हुई यह दोस्ती आगे क्या रंग लाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

डर ...

शिवाजी भवन में दहशत का माहौल है। जो कभी नहीं देखा गया। यह डर उस  विभाग का है। जिसका काम रंगे हाथों पकडऩा है। इस विभाग की एक चिट्ठी से ही सारे नियम कायदे ताक में रख दिये जाते है। फिर भले ही काम नियमानुसार वाला हो। तभी तो रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग ने केवल शिकायत के बाद, प्रतिवेदन मांगा था। लेकिन डर के चलते मामले से संबंधित सारी फाइले भेज दी गई। यह मामला स्वच्छता अभियान की एक निविदा से जुड़ा है। पुरानी कंपनी ने शिकायत कर दी। ताकि उसको काम मिल सके। जबकि नियमानुसार .... नई कंपनी को निविदा खुलने पर काम मिलना था। किन्तु शिवाजी भवन के अपने अनफिट जी, ने सभी फाइले रंगे हाथ पकडऩे वाले विभाग को भेज दी। जिसके चलते अब नई कंपनी को काम मिलना मुश्किल है। तभी तो शिवाजी भवन वाले डर की चर्चा कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

इज्जत ...

नेताओं की इज्जत हमेशा वोट से आंकी जाती है। अगर कोई नेता, मात्र अपने ही गांव में केवल 13 वोट से जीत हासिल करे। तो उसकी इज्जत क्या होगी? ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद पंजाप्रेमी बोल रहे है। इशारा अपने 5 वीं फेल नेताजी की तरफ है। जो कि पंजाप्रेमी संगठन के मुखिया है। अभी हाल ही में चुनाव हुआ था। ग्राम प्रधान का चुनाव था। जिसमें गांव वालों ने ठान लिया था। पंजाप्रेमी नेता को हराना है। मगर जैसे-तैसे 13 वोटो से इज्जत बच गई। ताज्जुब की बात यह है कि 13 वोटो से जीतने वाले नेताजी, मिशन-2023 में टिकिट का सपना देख रहे है। जिसे पंजाप्रेमी मुंगेरीलाल का हसीन सपना बता रहे है। पंजाप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

बुलाने को ...

यह कहावत हमारे पाठकों ने सुनी या पढ़ी होगी। घर में नहीं है खाने को/ अम्मां चली बुलाने को। शिवाजी भवन वाले इन दिनों इस कहावत को याद कर रहे है। जिसके पीछे कारण अगले माह होने वाला दीपोत्सव पर्व है। 21 लाख का लक्ष्य है। जबकि शिवाजी भवन का खजाना खाली है। वेतन भुगतान करने में ही पसीने छूट रहे है। ऐसे में दीपोत्सव पर्व का यह खर्च ... कैसे होगा... खर्च कौन करेगा? इसको लेकर अम्मां चली बुलाने को... शिवाजी भवन वाले याद कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

खेल ...

डीजल से कमाई का खेल कोई नया नहीं है। शिवाजी भवन में अकसर ऐसा बोला जाता है। इस बार खेल में पर्ची की जगह फोन का उपयोग हो रहा है। दबी जुबान से यह बोला जा रहा है। पहले डीजल डलवाने के लिए वाहन चालक को पर्ची दी जाती थी। लेकिन अब उसे सीधे नियत पेट्रोलपंप पर भेज दिया जाता है। उसके बाद एक फोन जाता है। इतना डीजल डाल देना। इधर पर्ची में उससे बढ़कर अंक लिखा जाता है। ऐसा हम नहीं, बल्कि  शिवाजी भवन वाले बोल रहे है। इशारा एक मसाज प्रेमी उपयंत्री की तरफ है। अब यह बात कितनी सच है कितनी झूठ। इसका फैसला तो शिवाजी भवन वाले कर सकते है। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

तोहफा ...

शिवाजी भवन के गलियारों में एक मंहगे तोहफे की चर्चा है। यह तोहफा देने वाले एक उपयंत्री है। जिन्होंने अपनी माशूका को यह मंहगा उपहार दिया है। चर्चा है कि इश्क में डूबे उपयंत्री ने अपनी प्रेमिका को इंदौर रोड़ पर एक प्लॉट गिफ्ट में दिया है। जिस पर इन दिनों एक आलीशान भवन भी बन रहा है। अब मामला प्रेम का है। इसलिए हम ज्यादा कुछ ना लिखते हुए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नाराजगी ...

अपने उम्मीद जी आमतौर पर कभी नाराज नहीं होते है। मगर अभी-अभी खेल- टार्च आई थी। खेलो इंडिया के तहत। इस कार्यक्रम में कमलप्रेमियों ने अपनी हदे पार कर दी। पूरे मंच पर कब्जा कर लिया। द्रोणाचार्य अवार्डी खिलाड़ी को भी दरकिनार कर दिया। ताज्जुब इस बात का है कि ... मंच के पीछे लगे बैनर से प्रधानमंत्री का फोटो भी गायब था। जिसको लेकर अपने उम्मीद जी नाराज दिखे। मगर माहौल देखकर वह भी चुप हो गये। तो हम भी उनकी तरह, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

भुगतान ...

महाकाल लोक फेज-2 को समय पर पूरा करवाना है। जिसके लिए अपने उम्मीद जी मेहनत भी कर रहे है। जून माह तक सभी काम पूरे होना है। पिछले दिनों एक बैठक हुई थी। इस बैठक में ठेकेदारों को बुलाया था। मकसद यह था कि ... सभी को चेतावनी दी जा सके। समय पर काम पूरा करने की। लेकिन ठेकेदारों ने एक स्वर में भुगतान की मांग की जिसे सुनकर अपने उम्मीद जी भी आश्चर्य में पड़ गये। उन्होंने पलटकर अपने स्मार्ट पंडित जी की तरफ देखा। भाव- भंगिमा देखकर, अपने उम्मीद जी तत्काल समझ गये। दाल में कुछ काला है। क्योंकि ... स्मार्ट कार्यालय के पास राशि का भी अभाव नहीं है। इसके बाद भी भुगतान रोका जा रहा है। अपने उम्मीद जी ने तत्काल निर्देश दिये। 7 दिनों के अंदर भुगतान किया जाये।  इसके अलावा ठेकेदारों ने ड्राइंग- डिजाइन समय पर नहीं दिये जाने की शिकायत भी दर्ज कराई। जबकि फेज-2 का काम जून माह में पूरा होना है। अब देखना यह है कि भुगतान और डिजाइन के मामले से अपने उम्मीद जी कैसे निपटते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चर्चा ...

दमदमा के गलियारों में इन दिनों यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। एक पंजाप्रेमी नेता ने हमको यह तस्वीर भेज दी। बाकी, हमारे पाठक समझदार है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।