04 सितम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का ....!

सिस्टम ...
वर्दी में इन दिनों इस सिस्टम शब्द की खूब चर्चा है। दबी जुबान से बोला जा रहा है। जो सिस्टम बंद था, अब वह चालू हो गया है। लेकिन सिस्टम का अर्थ पूछने पर वर्दीधारी चुप हो जाते है। ज्यादा कुरेदने पर भी जवाब नहीं दे रहे है। उल्टे यह कहते है। कैसे ... खबरची हो... सिस्टम का अर्थ नहीं समझते हो। वर्दी के इस जवाब के बाद अपुन को तो अर्थ समझ आ गया। सिस्टम का असली मतलब क्या होता है। हमसे ज्यादा हमारे पाठक समझदार है। उनको भी सिस्टम का असली अर्थ समझ आ ही गया होगा। बस इसका खुलासा होना बाकी है। सिस्टम किस स्तर तक शुरू हुआ है। इसको लेकर खोजबीन जारी है। वर्दी ही संकेत देगी? कब देगी ... इंतजार करते है। तब उस नाम का खुलासा करेंगे। जो सिस्टम की आड में मजे लूट रहा है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पलटवार ...
अकसर शासकीय बैठको में मातहतों को फटकार पड़ती है। सार्वजनिक रूप से। जिले के मुखिया सभी के सामने, जो मन में आता है, बोलते है। बेचारे मातहत चुपचाप सुनते है। मगर कुछ की सहनशक्ति जवाब दे जाती है। तो पलटवार कर देते है। जैसा पिछले दिनों हुआ। एक आईएएस अफसर बैठक ले रहे थे। बैठक में डॉक्टर पर टारगेट था। डॉ. साहब ने कुछ देर सुना। फिर एकदम नजारा बदल गया। पलटवार करते हुए डॉ. साहब ने बोल दिया। हमेशा मुझे ही बोलते हो... पूछताछ करते हो... मुझे नहीं करना काम... मैं जा रहा हूं। इतना सुनते ही आईएएस अफसर का पारा सातवें आसमान पर था। उसी शहर की यह घटना है। जो सातवां आसमान छूने की दौड में है। आईएएस अफसर ने गेटआऊट कहकर निकाल दिया। मगर 20 मिनिट बाद ही फोन करके वापस बुलवाया। डॉ. साहब भी आ गये। इसके बाद दोनों चुपचाप रहे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चंदाखोरी ...
अभी-अभी अपने प्रथमसेवक व नगरसेवक धार्मिक यात्रा से वापस आये है। ढाई पेटी लेकर धार्मिक यात्रा पर गये थे। जो कि सरकारी है। लेकिन इसके बाद भी यात्रा के नाम पर चंदाखोरी हुई है। शिवाजी भवन के गलियारों में इसकी खूब चर्चा है। अंदरखाने की खबर है। यात्रा के आयोजक/ संयोजक ने चंदाखोरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 25-25 हजारी चंदा यात्रा के नाम पर मातहतों से लिया गया। जिसने यह चंदा लिया है। उसे शिवाजी भवन में खजांची के नाम से जाना जाता है। इस चंदाखोरी की खबर अपने शिवाजी भवन के मुखिया को भी मिल चुकी है। वह खोजबीन भी करवा रहे है। अगर घटना साबित हो गई तो एक्शन होगा। अंदरखाने की खबर है कि चंदा यह कहकर लिया है। अगर नहीं दोंगे तो बिल पास नहीं होंगे। इतना ही नहीं यह भी चर्चा है। यात्रा के आयोजक/ संयोजक फारच्यूनर गाडी से धार्मिक यात्रा पर गये थे, जबकि प्रथमसेवक व नगरसेवक बस से गये थे। ऐसा शिवाजी भवन वाले बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।
राग-प्रचारी ...
मूर्धन्य साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की एक पुस्तक है। राग-दरबारी। मगर हमारा शीर्षक है। राग-प्रचारी। जिसमें अपना सरकारी भोंपू माहिर है। तभी तो उसके आंकड़े है। 50 हजारी। लेकिन यह तस्वीर गौर से देखिए। जिसमें मामाजी के कार्यक्रम में शामिल होने जा रही लाडली बहनाएं है। बस में बैठकर जा रही है। जिसकी कई सीट खाली है। इसके बाद भी अगर सरकारी भोंपू... राग-50 हजारी अलाप रहा है। तो हम क्या कर सकते है। बस ... वह कहावत याद दिलाते है। हांडी के एक चावल से ही पता चलता है, चावल पके या नहीं। इतना लिखकर हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
31 बनाम 33...
एक सर्वे सोशल मीडिया पर खूब चल रहा है। 31 बनाम 33 प्रतिशत वाला। जिसमें 31 पर विकास पुरूष व 33 पर असरदार जी है। अपने असरदार जी और उनके चाहने वाले खुश है। बल्ले-बल्ले कर रहे है। उनको लग रहा है। अब तो दक्षिण फतह। मगर 2 सवाल उठ रहे है। पहला सर्वे की विश्वसनीयता पर। तो दूसरा विकास पुरूष की योग्यता पर। सर्वे तो ... दिल बहलाने को गालिब ख्याल अच्छा है... की तर्ज पर है। मगर अपने विकास पुरूष की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह? इसको लेकर कमलप्रेमी बोल रहे है। अपने असरदार जी, अभी विकास पुरूष की बाजीगरी से वाकिफ नहीं है। हार कर जीतने वाले को बाजीगर (विकास पुरूष) कहते है। तभी तो मिशन-23 के पहले ही 12 हजारी मतदाता बढ़ गये है। इसके बाद भी असरदार जी को समझ नहीं आ रहा है। 33 को लेकर खुश है। तो हम भी उनकी खुशी का ख्याल रखकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पति और पार्टी ...
अपने प्रिय मामाजी आये थे। शनिवार को। आज फिर आ रहे है। यह उनकी अल्पयात्रा है। अच्छी वर्षा के लिए पूजन करके, उड़ जायेंगे। मगर पति और पार्टी का मामला दाल-बिस्किट वाली तहसील का है। जहां पर प्रशासन परेशान रहा। वजह पति और पार्टी के बीच लडाई चल रही थी। अंदरखाने की खबर है। 5 महिला जनप्रतिनिधियों के पति मंच पर जगह चाहते थे। किन्तु अपने लेटरबाज जी इसके खिलाफ थे। नतीजा ... प्रशासन को दोनों तरफ से धमकी मिल रही थी। कार्यक्रम बिगाडने की। ऐसे में अपने श्रीमान कूल जी के लिए मुसीबत खड़ी हो गई। पतिदेवों को संभाले या लेटरबाज जी को। जीत अपने लेटरबाज जी की हुई। श्रीमान कूल जी ने अपना चमत्कार दिखाया। सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी... की तर्ज पर। जिसकी चर्चा अपने कमलप्रेमी कर रहे है। इसलिए हम भी श्रीमान कूल जी को बधाई देकर... अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
2 पेटी ...
अपने स्वागत प्रेमी जी को अभी-अभी 2 पेटी का चेक मिला है। देने वाले अपने ढीला-मानुष जी है। जिन्होंने तिरंगा यात्रा को लेकर यह चेक दिया है। राजधानी से निर्देश थे। लेकिन अपने स्वागत-प्रेमी जी, इस चेक को दबाकर बैठ गये है। 9 कमंडलो के किसी भी मुखिया को कुछ नहीं मिला है। उल्टा अपने स्वागत-प्रेमी जी यह बोल चुके है। जब युवा कमलप्रेमी फ्री में आ जाते है तो आदत क्यों बिगाडे। जबकि ग्रामीण के युवा कमलप्रेमी मुखिया ने सभी को उनका हिस्सा दे दिया है। ऐसा हम नहीं, बल्कि युवा कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
वादा ....
अभी-अभी अपने प्रथमसेवक व नगरसेवक यात्रा से वापस आये है। इसके करीब 3 महीने पहले अपने प्रथमसेवक उत्तराखंड की यात्रा पर गये थे। जिसको लेकर नगरसेवकों में नाराजगी थी। अकेले-अकेले घूम आये है। उसी के चलते यह धार्मिक यात्रा हुई है। मगर अब एक नई खबर अंदरखाने से सामने आ रही है। अपने प्रथमसेवक ने वादा किया है। अपने नगरसेवको से। वादा यह है कि ... प्रथमसेवक अपने कार्यकाल के दौरान एक बार विदेश यात्रा जरूर करवायेंगे। बस ... अपने पासपोर्ट तैयार करवा लें। ऐसा प्रथमसेवक के करीबियों का कहना है। देखना यह है कि प्रथमसेवक, इस विदेश यात्रा के लिए किस योजना की आड़ लेते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
वेतन ...
हर सरकारी कर्मचारी को महीने की शुरूआत में वेतन का इंतजार रहता है। वेतन मिलना भी चाहिये- उसका हक बनता है। लेकिन दगाबाज- लाला अधिकारी अगर आपका दोस्त है। तो फिर वेतन के लाले पड सकते है। जैसे नगरीय प्रशासन के एक अधिकारी को इन दिनों लाले पडे हुए है। हालांकि यह अधिकारी अब राजधानी में पदस्थ है। किन्तु दगाबाज दोस्त लालाजी की मेहरबानी से वेतन अभी भी नहीं मिल रहा है। हर दफा अपने लालाजी कोई रोड़ा अटका देते है। ऐसी चर्चा नगरीय प्रशासन के गलियारों में सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
सपना ...
मुंगेरीलाल के हसीन सपने। इस कहावत से हमारे पाठक वाकिफ है। तो सीधे मुद्दे पर आते है। इन दिनों अपने पंजाप्रेमी सूरज अस्त-हम मस्त ... सपना देख रहे है। जिसकी चर्चा पंजाप्रेमियों के बीच सुनाई दे रही है। उनका सपना चटकारे लेकर पंजाप्रेमी सुना रहे है। सपने में उन्होंने यह देख लिया है। प्रदेश में उनकी सरकार आ गई है? सरकार बनते ही एक आदेश निकला है। जिसमें अपने सूरज अस्त-हम मस्त को विकास प्राधिकरण का मुखियां बना दिया है। इस सपने को लेकर पंजाप्रेमी पीठ पीछे मजाक उड़ा रहे है। जिससे हमारा क्या लेना-देना। क्योंकि... हमारा तो काम है, बस आदत के अनुसार चुप रहना।
शुभकामनाएं ...
यह सभी को पता है। वर्तमान में शिवराजसिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री है। पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री उज्जैन आये थे। तब जिला ग्रामीण भाजपा अध्यक्ष बहादुरसिंह बोरमुंडला ने उनका स्वागत किया था। हेलीपेड पर। फोटो भी खीची गई। फिर सोशल मीडिया पर अपलोड की गई। जिसमें उन्होंने लिखा। मप्र के यशस्वी प्रधानमंत्री का स्वागत किया। जिसकी गवाह यह तस्वीर है। अब सवाल यह है कि ... शिवराजसिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री है या प्रधानमंत्री ...। इसको लेकर फैसला हमारे समझदार पाठक खुद कर लें। क्योंकि हमको तो हरहाल में चुप ही रहना है।