जब सभापति ने सबक सिखाया...एक पल के लिए सन्नाटा छाया...!

जब सभापति ने सबक सिखाया...एक पल के लिए सन्नाटा छाया...!

उज्जैन।लोकसभा हो या राज्यसभा या फिर विधानसभा।सदन के अंदर सभापति का प्रोटोकाल होता है।जिसका पालन प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी को करना होता है।यही नियम नगर निगम के सदन पर भी लागू होता है।जिसका पालन करना निगमायुक्त भूल गए।नतीजा सभापति ने बगैर देर किए उनको सबक सिखा दिया..!

नव निर्वाचित पार्षदों की गुरुवार को पहली परिषद संपन्न हुई। निगम सभापति की कुर्सी पर कलावती यादव विराजमान थी।आयुक्त अंशुल गुप्ता का भी पदस्थापना के बाद,यह पहला सम्मेलन था।परिषद शुरू हुई।सदन में यह प्रोटोकाल सभी पर लागू होता है कि..वह सभापति के सामने खड़ा होकर ही बोलेगा।लोकसभा..राज्यसभा.. विधानसभा तक में इसका पालन होता है।मगर निगमायुक्त अंशुल गुप्ता इस नियम का पालन करना भूल गए।उन्होंने बैठे बैठे ही जवाब देना शुरू कर दिया।

खड़े होकर...
भले ही कलावती यादव,पहली दफा सभापति बनी है।मगर सदन में बतौर पार्षद 20 साल से कार्यवाही देख रही हैं।उनका आज सभापति की कुर्सी पर सदन में पहला मौका था।किंतु प्रोटोकाल का पता था।तभी तो जैसे ही निगमायुक्त ने नियम तोड़ा।उन्होंने तत्काल टोक दिया।उन्होंने कहा कि...आयुक्त जी..सदन की गरिमा का ध्यान रखे...बैठकर नही..खड़े होकर जवाब दीजिए।यह सुनते ही सदन में एक पल के लिए सन्नाटा छा गया,और आयुक्त ने तत्काल खड़े होकर जवाब देना शुरू कर दिया।
तभी तो सदन के बाद यह चर्चा सुनाई दी कि...सभापति ने सबक सिखाया...एक पल के लिए सन्नाटा छाया..!


क्या एफिल टॉवर देख पाएंगे अधिकारी...
जिले के एक अधिकारी इन दिनों बहुत खुश हैं।उनकी खुशी का कारण इस महीने होने वाली विदेश यात्रा है।जिसके लिए उन्होंने तैयारी शुरू कर दी है।इस महीने के दूसरे सप्ताह में यह अधिकारी विदेश जाने वाले है।4 दिन की वर्कशॉप पेरिस में होने वाली है।मगर उज्जैन जिले के यह अधिकारी और ज्यादा रुकने के मूड में है।तभी तो उन्होंने 4 दिन अतिरिक्त रुकने की अनुमति शासन से मांगी है।हालाकि अधिकारी का मूड ,वर्कशॉप के बाद,पूरे 10 दिन और रुकने का था।उन्होंने शासन को ऐसा ही आवेदन भी दिया था।मगर फिर नियमो की जानकारी मिलने के बाद,आवेदन में बदलाव किया।अब 4 दिन अतिरिक्त रुकने की अनुमति मांगी है।अब देखना यह है कि उनके आवेदन पर शासन की मोहर लगती हैं या नही?वह एफिल टॉवर देख पाते है,या  नही ..? क्योंकि पिछली बार उनको फुटबाल टूर्नामेंट के लिए विख्यात देश स्पेन भी जाने का मौका मिला था।लेकिन शासन ने उनके आवेदन पर मोहर नही लगाई थी।नतीजा ...उनका उस वक्त भी सपना टूट गया था।यह चर्चा आजकल भोपाल बल्लभ भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है।देखना यह है कि बाबा महाकाल की इस बार कृपा होती हैं या नही...?