25 दिसंबर 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

25 दिसंबर 2023 (हम चुप रहेंगे)

तंदुरूस्त ...

अपने उत्तम जी को कभी किसी जिम सेंटर पर जाते हुए नहीं देखा है। फिर भी उनकी चुस्ती-फुर्ती गजब की है। एक सांस में 75 सीढिय़ा चढ़ जाते है। उस पर सांस भी नहीं फूलती है। ऐसा नजारा एक सप्ताह पहले रविवार को देखा गया था। उस वक्त जब अपने विकास पुरूष का वेलकम कर रहे थे। विकास पुरूष तीसरी मंजिल के लिए लिफ्ट पर सवार हो गये। इधर अपने उत्तम जी ने फुर्ती दिखाई। फटाफट 75 सीढिय़ा चढ़ गये। उनकी इस फुर्ती को देखकर वहां मौजूद अधिकारी हतप्रभ थे। अब पूछ रहे हैआखिर इसका राज क्या है। मगर किसी को पता नहीं है। इसलिए सब चुप है। तो हम भी चुप हो जाते है।

चोट ...

अपने पंजाप्रेमी नेताजी के साथ चोट हो गई। कौन से पंजाप्रेमी तो उनको हम सब सूरज अस्त-हम मस्त ... के नाम से पहचानते है। चोट यह हुई। उनको वाहन से उतरना पड़ा। उतारने वाले प्रदेश पंजाप्रेमी मुखिया थे। जो अभी-अभी बने है। हरिफाटक स्थित होटल के सामने की घटना है। खुद नये मुखिया ने उनसे कहा। आप वाहन से उतर जाये। बेचारे ... सूरज अस्त- हम मस्त इस फरमान से सकपका गये। कर कुछ नहीं सकते थे। इसलिए उतरे और फिर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

रवानगी ...

संकुल के गलियारों से लेकर कमलप्रेमियों के बीच चर्चा है। अपने उत्तम जी और कप्तान की रवानगी जल्दी होगी। मगर यह रवानगी कब होगी। इसका किसी को पता नहीं है। मगर एक सच यह भी है। अपने उत्तम जी मिशन-2023 परिणाम के पहले ही मन बना चुके थे। अब लूपलाइन में पोस्टिंग करवाकर, शांति से समय बिताना है। इधर अपने कप्तान जी को लेकर असमंजस है। उनकी रवानगी तो पक्की है। जिसके पीछे कई कारण है। खासकर ... उनका समझौता वाला रवैया। देखना यह है कि यह केवल चर्चा निकलती है या रवानगी भी होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

लिफ्ट ...

शीर्षक पढ़कर ऐसा नहीं समझे। हम किसी वाहन से लिफ्ट मांगने की घटना का उल्लेख कर रहे है। हमारा आशय उस लिफ्ट से है। जो कि धरातल से ऊंचाई पर ले जाती है। इसी लिफ्ट की घटना है। घटनास्थल संकुल कार्यालय है। अपने विकास पुरूष बैठक खत्म करके बाहर निकले। उनके लिए एक लिफ्ट आरक्षित रखी गई थी। दूसरी लिफ्ट बाकी जनप्रतिनिधियों के लिए थीअपने वजनदार जी उस लिफ्ट में सवार हो गये। जो कि विकास पुरूष के आरक्षित थी। बस फिर क्या था। उनको विनम्रता के साथ बाहर निकाल दिया गया। ऐसा यह घटना देखने वाले बोल रहे है। घटना पहली बैठक की है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।

कौनसा कलर ...

अपने विकास पुरूष हमेशा अलर्ट रहते है। तभी तो सूबे के सर्वोच्च पद पर विराजमान है। वह कितनी भी भीड हो। इस बात का ध्यान रखते है। कौनसा नेता किस रंग का दुपट्टा उनको पहना रहा है। तभी तो शनिवार के दिन अपने लेटरबाज जी से पूछ लिया। उस वक्त जब वह भीड में दुपट्टा पहना रहे थे। कौनसा कलर लाये हो। कारण ... दुपट्टा डार्क ब्लू रंग का था। जो कि दूसरी पार्टी का प्रतीक है। विकास पुरूष का यह सवाल सुनकर अपने लेटरबाज जी ने यही कहा। कमलवाला और चुप हो गये। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ख्याल रखना ...

घटना उस रात की है। जब विकास पुरूष को प्रदेश का ताज मिला था। उसी दिन रात को सभी कमलप्रेमी नेतागण राजधानी पहुंच गये। इसमें अपने बडबोले नेताजी भी थे। यह बडबोले नेताजी अभी-अभी चुनाव हारे है। विकास पुरूष से मुलाकात हुई। मिलते ही चरण छू लिए। फिर गुहार लगाई। भाई साहब मेरा ख्याल रखना। जबकि उनकी विधानसभा में चर्चा है। कमलप्रेमी दबी जुबान से बोल रहे है। इन्हीं बडबोले नेताजी ने विकास पुरूष की शिकायत संगठन को की थी। खुले मंच से यह भी बोला था। मुझे हराने के लिए 2 खोखे जिले से भेजे गये थे। अब देखना यह है कि विकास पुरूष कितना ख्याल रखते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

बुरे दिन ...

बुरे दिनों की यह फितरत है। वह दस्तक देकर नहीं आते हैं। बस एकदम से आ जाते है जैसे अपने प्रथमसेवक और उनके दांए-बांए के आ गये। ज्यादा समय नहीं हुआ। प्रथमसेवक व उनकी टीम हर अच्छे काम में टांग अडाती थी। शिवाजी भवन वाले दु:खी थे। मगर अब उनके बुरे दिन आ गये है। कल तक प्रथमसेवक का दबदबा था। मगर अब हाशिये पर है। अब अपनी बहन जी का दबदबा है। तभी तो केडीगेट निरीक्षण में प्रथमसेवक को नहीं बुलाया गया।  इधर कार्तिक मेला शुरू हुए पखवाडा होने वाला है। हर साल लूट-खसोट के लिए समितियां बन जाती थी। इस दफा अभी तक कोई समिति नहीं बनी है। जो कि प्रथमसेवक के बुरे दिनों की तरफ इशारा कर रही है। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। सच और झूठ का फैसला समझदार पाठक खुद कर लें। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

जीजाजी ...

कमलप्रेमियों में चर्चा है। उत्तर-दक्षिण वालो में। जीजाजी की यह जीजाजी अभी तक राजधानी में पदस्थ थे। पिछले 18 सालों से अपने मामाजी के आंख-मुंह-नाक-कान सभी थे। काफी पॉवरफूल थे। मामाजी के ओएसडी भी रहे। उन्हीं के साले जी इस शहर के निवासी है। जिन्हें हम हर्ष-फायर नेताजी के नाम से जानते है। अभी-अभी अपने विकास पुरूष जी ने जीजाजी की रवानगी कर दी है। नतीजा ... जीजाजी के प्रभावहीन होने से, साले साहब परेशान है। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

इच्छा ...

वर्दीवालो में चर्चा है। अपने अल्फा जी अब जाना चाहते है। वह भी पडोसी संभागीय मुख्यालय पर। जिसके लिए उनकी कोशिशे जारी है। राजधानी में सुगबुगाहट है। अल्फा जी की इच्छा है। वह देवी अहिल्या नगरी की कमान संभाले। फैसला अपने विकास पुरूष जी को करना है। देखते है कि अपने अल्फा जी की इच्छा कब तक पूरी होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

जिम्मेदारी ...

अपने विकास पुरूष से मिलने और सेल्फी लेने के लिए हर कमलप्रेमी बैचेन है। हेलीपेड पर भीड लग जाती है। प्रशासन की भी अपनी मजबूरी है। गृहनगर के कारण वह सख्ती नहीं कर सकता है। नतीजा ... विकास पुरूष को धक्के खाने पड रहे है। जिनकी जिम्मेदारी है। धक्को से बचाने की। अपने उत्तर के हाइनेस, ढीला-मानुष पिस्तौल कांड नायक व प्रथमसेवक की। जो कमलप्रेमियों को पहचानते है। समझा सकते है। यह चारों खुद पहले मिलकर, विकास पुरूष की गाडी की तरफ भागते है। ताकि खुद की सीट आरक्षित कर सकें। यह नजारा शनिवार को हेलीपेड पर सभी ने देखा। तभी तो अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। जिम्मेदारी से भागते है। कमलप्रेमियों की बात में दम है। लेकिन हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

दादागिरी ...

अपने विकास पुरूष के आगमन से पहले की घटना है। घटनास्थल हेलीपेड है। वर्दी अपनी ड्यूटी कर रही थी। अंदरजाने की अनुमति लिस्ट के अनुसार थी। जो संगठन ने दी थी। मगर 1 के साथ 4 फ्री वाली स्कीम लागू हो गई। पहले अपने पिस्तौल कांड नायक ने दादागिरी दिखाई। अपने लोगों को बेरिकेड्स हटाकर अंदर ले गये। इसके बाद बारी, शिवाजी भवन की बड़ी बीमारी... नाम ... की थी। जो कि प्रथमसेवक के करीबी है। कमलप्रेमी ऐसा बोलते है। प्रथमसेवक की डोर इनके हाथों में है। इनकी दादागिरी भी देखने को मिली। यह वर्दीवाले अधिकारी से उलझ गये। ग्रामीण इलाके के कवि अधिकारी भी कम नहीं निकले। उन्होंने पलटकर 4 बाते सुना दी। ऐसा घटना देखने वाले कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

खुश खबरी ...

जिले के नागरिकों के लिए यह खुश खबरी है। जल्दी ही मेला कार्यालय में अब अपने विकास पुरूष का कार्यालय स्थापित होगा। जो कि जिले के हर नागरिक की समस्या को ध्यान से सुनेगा और निराकरण भी होगा। इसके लिए हम विकास पुरूष को दिल से बधाई देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।