01 अगस्त 2022 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
चापलूसी ...
अपने चुगलीराम जी की विशेष योग्यता क्या है? इस सवाल का सीधा उत्तर है। उनकी योग्यता चापलूसी है। जिसके चक्कर में कभी-कभार उनकी बेईज्जती हो जाती है। वह भी सार्वजनिक रूप से। पिछले सप्ताह की घटना है। सोमवार दोपहर की। अतिविशिष्ट श्रेणी की वीआईपी का आगमन हुआ था। बाबा महाकाल के प्रति उनकी आस्था है। इसलिए पूजन सामग्री साथ लेकर आती है। इसी पूजन थाल को लेकर मंदिर के गलियारों में चापलूसी की घटना सुनाई दे रही है। चर्चा है कि चापलूसी के चक्कर में अपने चुगलीराम जी ने पूजन थाल लेने की कोशिश कर डाली। यह बात सुरक्षाकर्मी को अखर गई। उन्होंने चुगलीराम जी को आक्रोश के साथ पीछे हटा दिया। सुरक्षाकर्मी का मूड देखकर, चुगलीराम जी ने भी अपने कदम वापस खीच लिये। मगर देखने वालो ने यह घटना देख ली। नतीजा मंदिर के गलियारों में इस चापलूसी की खूब चर्चा है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
हवा में ...
अपने चरणलाल जी हवा में उड रहे है। इस कदर उड रहे है कि विनम्रता और सभ्यता भूल चुके है। घटना जनपद से जुड़ी है। जिसमें वह बेफिजूल की बाते करते नजर आये। नतीजा उम्मीद जी ने ऐसी फटकार लगाई। चरणलाल जी हवा से जमीन पर आ गिरे। इधर पंजाप्रेमियों की शिकायत करके उन्होंने खुद जलती लकड़ी उठा ली है। जिसके परिणाम 23 और 24 में देखने को मिलेंगे। हर बात पर महाकाल की कसम खाने में महारथ हासिल कर ली है। जिसके चलते उनके ही करीबी अब पीठ-पीछे मजाक उडाते है। लेकिन अपने चरणलाल जी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। उनको वहम हो गया है। केवल वही सच्चे है... बाकी सब झूठे। तभी तो पंजाप्रेमी मरहूम शायर डॉ. सागर आजमी को याद करते हुए उनका एक शेर सुना रहे है। हसरत की बुलंदी में इतना ना उडो सागर/ परवाज ना खो जाये कहीं ऊंची उडानों में। अब देखना यह है कि अपने चरणलाल जी सागर आजमी के शेर से कुछ सबक लेते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
शराफत-1 ...
कोई इंसान कितना शरीफ है। इसका अंदाजा कैसे लगाया जा सकता है? इसको नापने का कोई यंत्र तो नहीं बना है? जिसे लगाकर नापा जा सके। मगर मशहूर शायर डॉ. नवाज देवबंदी ने शराफत नापने पर शानदार अशआर कहा है। उन्होंने कहा है कि ... शराफत का पता चलता है उसकी/ वो जब गुस्से में भरकर बोलता है। शिवाजी भवन में इन दिनों यह शेर सुनाई दे रहा है। इशारा अपने पपेट जी की तरफ है। जिन्होंने मंदिर क्षेत्र भ्रमण के दौरान अपनी शराफत दिखाई। एक कर्मचारी को उन शब्दों से नवाजा। जो कि लिखने योग्य नहीं है। इतना ही नहीं शराफत के चक्कर में अपने वजनदार जी का भी जिक्र करते हुए, कर्मचारी को ताना मार दिया। बेचारा कर्मचारी ... मजबूरी में चुप रह गया। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
शराफत -2 ...
हमारे पाठकों ने शराफत-1 की घटना ऊपर पड़ी। अब इस शराफत के भविष्य में क्या परिणाम निकलने वाले है। इसकी चर्चा सुनिये। जो कि शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रहे है। अगर इन बातों पर यकीन किया जाये। तो जल्दी ही करीब आधा दर्जन अधिकारी रवानगी के मूड में है। कुछ तबादला चाहते है तो कुछ वीआरएस के मूड में है। पिछले दिनों एक अधिकारी ने वीआरएस ले लिया था। अपने पपेट जी की शराफत के चक्कर में। मगर फिर प्यार-दुलार दिखाकर मना लिया। वीआरएस लेने के मूड में सहायक राजस्व निरीक्षक स्तर तक के अधिकारी भी शामिल है। जो कि फिलहाल बीमारी के कारण शिवाजी भवन से दूर है। अब देखना यह है कि अगर एक साथ आधा दर्जन वीआरएस लेते है? तो शिवाजी भवन में क्या हड़कंप पैदा होता है। फैसला वक्त करेंगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप रहने पर मजबूर है।
एक और एक ...
वैसे तो एक और एक मिलकर 2 होते है। मगर कोठी के गलियारों में इसे 11 बोला जा रहा है। इशारा ... चंबल क्षेत्र से आ रहे एक अधिकारी की तरफ है। जिनको नम्बर-1 के कार्यकाल में चुगलखोर खिताब दिया गया था। इस चुगलखोर की वापसी से कोठी में हड़कंप मचा हुआ है। क्योंकि वैसे ही अपने 1 चुगलीराम जी ने सभी को परेशान कर रखा है। ऐसे में दूसरे चुगलखोर का आगमन ना जाने क्या रंग लायेंगा। मंदिर से कोठी तक सभी को अलर्ट रहना होगा? क्या जाने कौनसी बात ... किस रूप में प्रस्तुत हो जाये। बस एकमात्र आशा यही है कि ... अपने उम्मीद जी कान के कच्चे नहीं है। वह जल्दी भरोसा नहीं करते है। तब तक सच का पता नहीं लगा ले। इसीलिए संकुल में बैठने वालो को उम्मीद है कि चुगलखोर की वापस का अब इतना प्रभाव नहीं होने वाला। बाकी सब महाकाल बाबा ठीक करेंगे। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
5 पेटी ...
राजधानी के एक अखबार ने खबर छपी थी। जिसमें यह बताया गया। जनपद चुनाव के पहले एक सदस्य को खरीदने की कोशिश की गई। 5 पेटी देकर। जनपद सदस्य जीप में सवार थे। उनकी जीप को रूकवाकर 5 पेटी फेक कर दी गई। वादा किया गया। इतने ही और मिल जायेंगे। अगर हमारा साथ दिया तो। मगर जनपद सदस्य शायद, शायर नवाज देवबंदी के मुरीद है। जिन्होंने लिखा है कि ... जो बिकने पर आ जाओं तो घट जाते है दाम अकसर/ ना बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ती है। इसीलिए उन्होंने राशी वापस लौटा दी। जिसके बाद मामला शांत हो गया। 2 दिन बाद जिले में कमल का परचम लहराया। तो जनता ने कमलप्रेमियों के जोश को देखकर यह पोस्ट सोशल मीडिया पर अपलोड की दी। जिसे पढ़कर हमारे पाठक समझ जायेंगे। इसका मतलब क्या है और इशारा किस तरफ है। बाकी हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
कौन बनेगा ...
शिवाजी भवन के अंदर किसका हुक्म चलेगा। यह सवाल हर कमलप्रेमी की जुबान पर है। मगर इसका जवाब किसी के पास नहीं है। दबी जुबान से ब्राह्मण वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की बात सामने आ रही है। हालांकि ... अभी टायगर जिंदा है ... की तर्ज पर विकास पुरूष की तरफ भी इशारा किया जा रहा है। उनकी मर्जी के बगैर ऐसा होना संभव नहीं है। लेकिन कुछ कमलप्रेमी जनपद में हुए बवाल के यह संशय खड़ा कर रहे है। कयास लगा रहे है कि उच्च स्तर तक जनपद मामले को गंभीरता से लिया गया है। इसीलिए सभापति का फैसला अब राजधानी से ही तय होगा। जिसमें 6 नम्बरी युवा नेता का नाम सबसे ज्यादा चर्चाओं में है। फैसला 6 अगस्त को होगा। अपने 6 नम्बरी नेताजी को इन दिनों यह अंक बहुत सहयोग कर रहा है। देखते है कि उनका लक्की 6 नम्बरी अंक उनको कितनी सफलता दिलाता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
घूमकर आओं ...
पिछले सोमवार को मंदिर के बाहर हादसा होते-होते बच गया था। बाबा महाकाल की कृपा रही। जिसके बाद से अपने उम्मीद जी और कप्तान दोनों हाई अलर्ट पर है। जिसके चलते उन्होंने रात 9 बजे बैठक बुलाई। चारधाम पार्किंग पर। जिसमें वह सभी मौजूद थे। जिनकी आज 1 अगस्त को ड्यूटी लगी है। उम्मीद जी ने सभी जिम्मेदारों को खड़ा किया। सभी को नसीहत दी। यहां से पैदल चलकर अपने-अपने ड्यूटी पाइंट पर जाये। वहां जाकर देखे और पैदल चलकर वापस आये। आकर बतायें कि ... कहीं कोई चूक तो नहीं है। अपने साथ जिनकी ड्यूटी लगी है। उनसे संपर्क और समन्वय बनाये। कोई गलती स्वीकार नहीं होगी। व्यवस्था संबंधी यह बैठक 4 घंटे चली। रात 1 बजे सबको छुट्टी मिली। अब देखना यह है कि इस बैठक का आज क्या परिणाम निकलता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चलते-चलते
शहर के प्रथम सेवक और नगर सेवकों को का शपथ सम्मान समारोह शिवाजी भवन के बदले कालिदास अकादमी में होगा। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।