03 अप्रैल 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

वेतन ...
किसी भी जेल प्रहरी का वेतन अधिकतम कितना होना चाहिये। ज्यादा से ज्यादा 40-50 हजार। बहुत ज्यादा होगा तो 1 लाख हो सकता है। मगर क्या यह संभव है। किसी जेल प्रहरी का वेतन 4 लाख 80 हजार रूपये हो। इतना वेतन तो देश के राष्ट्रपति - प्रधानमंत्री- मुख्यमंत्री- संभागायुक्त- कलेक्टर व एसपी का भी नहीं होता है। लेकिन जेल गबन कांड में शामिल एक प्रहरी का वेतन ऊपर लिखी राशि ही था। हर महीने इतनी राशि का भुगतान उसको वेतन के रूप में ट्रेजरी से निकलता था। किसी ने भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया। वरना, यह कांड पहले ही पकड में आ जाता। अब जांच में प्रहरी के वेतन का खुलासा हुआ है। जिसे देखकर सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
इसलिए खुला कांड ...
15 करोड़ का गबन कांड आखिर खुलने का कारण क्या रहा। वरना सबकुछ ठीक चल रहा था। जेल वाली दीदी और खबरो वाले भय्या खूब मजे लूट रहे थे। मगर इनसे फरवरी माह में एक गलती हो गई। दीदी अपने भय्या के लिए एक कार बुक करने इंदौर गई थी। लौटते वक्त रात हो गई। तो डिनर के लिए दीदी और भय्या एक होटल में चले गये। गाडी चलाने वाला एक प्रहरी था। जिसने इंतजार के चक्कर में अपने एक दोस्त को फोन करके बुला लिया। प्रहरी का दोस्त बीयर लेकर आ गया। दोनों ने बीयर पी ली। इधर दीदी और भय्या वापस आये। प्रहरी ने दोनों को बैठाकर गाडी दबा दी। रास्ते में सांवेर आते-आते भय्या और दीदी को शंका हो गई। प्रहरी नशे में है। इसलिए पूछताछ करी। प्रहरी ने बीयर पीना स्वीकार किया। बस ... फिर क्या था। दीदी के प्यारे भय्या ने प्रहरी की पिटाई कर दी। उसको वहीं उतार दिया और खुद गाडी चलाकर दीदी के साथ आ गये। इधर प्रहरी के आत्म स्वाभिमान को चोट लगी। उसने जेल में चल रहे गबन कांड की कथा अपने किसी मीडिया मित्र को सुना दी। इस मीडिया वाले ने संकुल तक खबर कर दी। जिसके चलते जिले के मुखिया ने इस कांड को पकड लिया और खुलासा कर दिया। ऐसा जेल के प्रहरी बोल रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
डर ...
अपराधियों को हमेशा वर्दी का डर होता है। लेकिन पहली दफा उल्टा हो रहा है। वर्दी को अपराधियों से डर लग रहा है। हमारी बात पर शायद भरोसा ना हो। तो गबन कांड की जांच करने वालो का दर्दे-हाल पूछो। जो कि दीदी और खास खबर वाले भय्या से डरे हुए है। क्योंकि दीदी मनघंडत आरोप लगा रही है। जिसके चलते एक उपनिरीक्षक ने खुद को जांच से अलग कर लिया है। थाने के मुखिया भी डरे-सहमे है। पूछताछ से बच रहे है। क्योंकि दीदी और भय्या, न्यायालय में कुछ भी अनाप-शनाप बोल सकते है। ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद वर्दी वाले दबी जुबान से बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
नगद ...
वर्दी वालो में चर्चा है। गबन कांड में एक नामी-गिरामी काले कोटधारी को आधा- खोखा दिया गया है। जिसके बाद ही खास खबर वाले भय्या ने, कोट वाले की सलाह मानकर सरकारी गवाह की पेशकश रखी थी। लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि ... खास खबर वाले भय्या पूछताछ में कोई सहयोग नहीं कर रहे है। इधर वर्दी को यह पता चल गया है। गबन कांड का आधा खोखा एक काले कोटधारी को दिया गया है। लेकिन लेनदेन नगद में हुआ है। जिसका कोई सबूत नहीं है। नतीजा वर्दी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गोपनीय यात्रा ...
पिछले महीने विकास यात्रा निकली थी। इस दौरान एक मैडम चुपचाप गोपनीय यात्रा पर निकल गई। 2 दिन की यात्रा थी। मकसद था, विंध्य क्षेत्र में पदस्थ एक अधिकारी से मिलने का। उनका मकसद सफल रहा। किसी को कानोकान खबर नहीं हुई। मुलाकात करके मैडम वापस आ गई। मगर अब गांव-गांव वाले विभाग में इस गोपनीय यात्रा की खूब चर्चा है। गोपनीय यात्रा करने वाली वही मैडम है, जो कि 4 फोन रखती है। अब सच-झूठ का फैसला हमारे पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चुप हो गये ...
अपने लेटरबाज जी ने एक शिकायत की थी। पिछले महीने जब, कमलप्रेमी प्रदेश प्रभारी का आगमन हुआ था। प्रदेश प्रभारी ने बैठके ली थी। इस बैठक के दौरान शिकायत हुई थी। अपने लेटरबाज जी ने 3 कमंडल मुखियाओं की शिकायत प्रदेश प्रभारी से की थी। यह बोला था कि यह लोग काम नहीं करते है। तब प्रदेश प्रभारी ने साफ-साफ कह दिया था। अगर काम नहीं करते है तो हटा दो। बस फिर क्या था। अपने लेटरबाज जी फूल कर कुप्पा हो गये। उन्होंने तीनों नाम ऊपर भेज दिये। कार्यवाही होती, उसके पहले लेटरबाज जी से गलती हो गई। एक बैठक में उन्होंने तीनों कमंडल मुखियाओं की लू उतार दी। जिससे तीनों कमंडल मुखिया समझ गये। दाल में कुछ काला है। नतीजा ... एक कमंडल मुखिया ने अपने विकास पुरूष को व बाकी दोनों कमंडल मुखिया ने अपने वजनदार जी को बता दिया। बस फिर क्या था। विकास पुरूष और वजनदार जी ने अपने लेटरबाज जी को हडका दिया। कार्यवाही होते-होते रूक गई। अब अपने लेटरबाज जी इस मामले को लेकर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चोट ...
कमलप्रेमियों के बीच चर्चा है। अपने विकास पुरूष के साथ चोट हो गई। सोमरस दुकानों को लेकर। नानाखेड़ा और जीरो पाइंट को लेकर समझौता हुआ था। जिसमें तय हुआ था कि कोई भी बोली नहीं डालेगा। ऑनलाइन बीड होनी थी। समझौते के चलते 40 प्रतिशत कम दर में बोली डाली गई। जिसका फायदा एक तीसरे ने उठा लिया। अंदरखाने की खबर है। एक होटल व्यवसायी और वजनदार के करीबी ने तीसरे व्यक्ति से आवेदन डलवा दिया। देर रात को। इस व्यक्ति को इस धंधे का कोई ज्ञान नहीं है। बस ... अभी-अभी भूमि का 40 खोखा मुआवजा मिला था। 32 खोखे की बोली लगा दी। नतीजा ... दोनों समूह की दुकाने तीसरे व्यक्ति को मिल गई। इसीलिए तो विरोध शुरू हुआ। पहले आम जनता का, फिर पंजाप्रेमी मुखिया का और फिर इसमें विकास पुरूष भी शामिल हो गये। आखिर चोट उन्हीं को लगी थी। अब देखना यह है कि ... 2 नम्बरी इंदौरी नेता के करीबी होटल व्यवसायी और वजनदार के करीबी इन आंवटित दुकानों का संचालन कर पाते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नेस्तनाबूद ...
सोमरस विभाग में चर्चा है। अपने विकास पुरूष के साथ चोट हुई। तो उन्होंने नागझिरी की 1-2 दुकान पर ज्यादा बोली लगा दी। दुकान आवंटित हो गई। पुराने ठेकेदार की दुकान -2 एक शेड से संचालित होती थी। जिसको लेने के लिए फोन गया। शेड हमको दे दो। यह सुनकर पुराने ठेकेदार ने रातो-रात शेड हटवा दिया। जमीन समतल करवा दी। वजह ... शेड देने का मन नहीं था। ऐसा सोमरस वाले बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
बुरे फसे ...
शनिवार को मप्र शासन के एक आलाधिकारी बुरे फस गये। इस कदर फसे कि ... 30 मिनिट इंतजार करना पडा। एसीएस स्तर के अधिकारी थे। जो कि महाकाल दर्शन करने पहुंचे थे। उसी दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का काफिला सर्किट हाऊस से रवाना हुआ। जिनके लिए जीरो ट्राफिक व्यवस्था के निर्देश थे। 10 मिनिट पहले ही रास्ते रोक दिये गये। 15 मिनिट में काफिला मंदिर पहुंचा। इधर एसीएस साहब को रवाना होना था। लेकिन सख्त निर्देश थे। कोई वाहन नहीं निकलेगा। बेचारे ... एसीएस साहब को मनमसोस कर 30 मिनिट तक इंतजार करना पड़ा। जब सुरक्षा सलाहकार का काफिला मंदिर पहुंच गया। तब जाकर, अपने मुखिया जी ने एक अधिकारी को भेजा और राजधानी से आये बड़े साहब को रवाना किया। जिसके बाद इस घटना को लेकर सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
फोटो- वीडियो चाहिए ...
अपने शहर के पंजाप्रेमी मुखिया अकसर हंसी के पात्र बन जाते है। जैसे 3 दिन पहले बन गये। पंजाप्रेमी इन दिनों डरो मत को लेकर आंदोलन कर रहे है। सेवादल का आंदोलन था। जुलूस निकाला टॉवर से घूमकर वापस टॉवर। जिसमें शहरी पंजाप्रेमी मुखिया को भी बुलाया था। वह 15 मिनिट देरी से आये। तब तक जुलूस समाप्त हो गया था। यह देखकर पंजाप्रेमी मुखिया ने जिद पकड ली। वापस जुलूस निकालो। मुझे फोटो और वीडियो चाहिये। ऊपर भेजना है। आधे से ज्यादा लोगों ने मना कर दिया। फिर 8-10 पंजाप्रेमी तैयार हुए। टॉवर से सरोवर रेस्टोरेंट तक जुलूस में आये। फोटो-वीडियो बन गये। यह नजारा देखकर, सुरक्षा में लगी वर्दी आश्चर्यचकित थी। कई पंजाप्रेमी भी। मगर सब चुप थे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
जवाब बनाम पिटीशन ...
मंदिर की सुरक्षा निविदा को लेकर नोटिस जारी हो चुका है। रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग ने 8 बिंदुओं पर नोटिस जारी किया है। जिसका जवाब 31 मार्च तक देना था। लेकिन अनुरोध किया गया। 1 अप्रैल को जवाब देंगे। किन्तु शनिवार को कोई जवाब पेश नहीं हुआ। अपने इंदौरीलाल जी ने अपना पॉवर दिखा दिया। जिसके चलते अब इस मामले में जल्दी ही पिटीशन लग सकती है। मंदिर के गलियारों में ऐसी चर्चा है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चंदा ...
अभी-अभी चक्रम में पदोन्नति हुई है। कुल 35 लोग पदोन्नत हुए है। जिनके लिफाफे 8 महीने से बंद थे। अब बंद लिफाफा कैसे खुलता है। यह हमको, अपने पाठकों को समझाने की जरूरत नहीं है। फिर भी इशारा कर देते है। जेब गर्म होने के बाद ही लिफाफा खुलता है। जिस दिन लिफाफे खोले गये। उस दिन 2 सदस्य गायब थे। बैठक कैंसिल होनी थी। लेकिन 4 सदस्यों को बुलाकर बैठक करवाई गई। लिफाफे खोले गये और 35 लोग पदोन्नत हो गये। जिसके बाद एक पार्टी हुई। जिसमें शामिल सभी से 2-2 हजार का चंदा सम्मान के नाम पर लिया गया। अब देखना यह है कि ... किस-किस का सम्मान कब होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चलते-चलते ...
नये कप्तान ने पदभार संभाल लिया है। उनके राजनीतिक पॉवर का भी अंदाजा सभी कमलप्रेमियों को लग चुका है। जिसके चलते विकास पुरूष समर्थकों में चर्चा है। नये कप्तान से जुगलबंदी होगी या नहीं। इसका फैसला तो आने वाला वक्त करेगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।