9 दिसम्बर 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
इधर-उधर ...
शुक्रवार को अपने विकासपुरूष आये थे। निजी दु:ख के चलते। मगर इस दौरान भी उन्हें प्रदेश के विकास की चिंता थी। इसलिए विकास समीक्षा बैठक भी की। संकुल में बैठक थी। प्रशासन ने तुरत-फुरत में व्यवस्था की थी। संकुल के मुख्य प्रवेश द्वार से लिफ्ट और दूसरे माले तक रेड कारपेट बिछाया गया था। इस दौरान एक घटना हो गई। मधुमक्खी बिफर गई। मुख्य प्रवेश द्वार पर। तो विकासपुरूष को पिछले गेट से ले जाया गया। यहां की लिफ्ट दूसरे माले तक जाती थी। वीसी तीसरे माले पर थी। दूसरे माले पहुंचकर लिफ्ट रूक गई। यहीं पर विकासपुरूष इधर-उधर के चक्कर में फंस गये। एक तरफ वर्दीधारी मैडम तीसरे माले के लिए सीढिय़ों से चलने का आग्रह कर रही थी। जबकि दूसरे माले के मुखिया ने अपने कार्यालय चलने का आग्रह किया। 5 सेकेंड के लिए इधर चलिये-उधर चलिये का नजारा था। विकासपुरूष ने पहले वर्दीधारी मैडम और फिर दूसरे माले के मुखिया की तरफ देखा। नजरें मिली और विकासपुरूष कार्यालय की तरफ चल दिये। जिसके बाद वर्दीवाली मैडम और दूसरे माले के मुखिया मिले। मैडम ने सफाई दी। दूसरे माले के मुखिया ने हंसकर कहा। इधर रेड कारपेट था। बस यह सुनकर मैडम चुप हो गई। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
उतर गये...
विकासपुरूष का जब-जब आगमन होता है। सभी कमलप्रेमियों का मन होता है। उनके साथ वाहन में बैठने का। मगर मौका हर किसी को नहीं मिलता। इसलिए सभी जुगाड में रहते है। कब मौका मिले। शुक्रवार को विकासपुरूष गीता कालोनी पहुंचे थे। संवेदना प्रकट करने। उसके बाद वापस लौटना था। मौका देखकर वाहन में अपने हाईनेस, ढीला-मानुष और दाल चखने वाले नेताजी सवार हो गये। उसके बाद विकासपुरूष आये। उन्होंने बैठने के बाद पीछे पलटकर कुछ कहा। नतीजा ... तीनों कमलप्रेमी तत्काल वाहन से उतर गये। ऐसा यह नजारा देखने वाले कमलप्रेमियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
6 टी की बात ...
अपने विकासपुरूष बड़े सलीके से व्यंग्य करते है। खासकर तब, जब अधिकारी उनको घुमा-फिराकर इधर-उधर की बात करते है। शुक्रवार को यही हुआ। संकुल के दूसरे माले पर समीक्षा हो रही थी। कान्ह डक्ट योजना की। योजना देखने वाले विभाग के अधिकारी गलती कर बैठे। विकासपुरूष महाकाल नगरी की बात कर रहे थे। अधिकारी, मां चामुण्डा नगरी की योजना बताने लगे। विकासपुरूष ने यह सुनकर तंज किया। 6 टी की बात करो। इधर-उधर की मत करो। जिसके बाद बैठक में मौजूद अधिकारी अपने-अपने हिसाब से अर्थ निकाल रहे है। कोई कहावत याद कर रहा है। ऐसा दबी जुबान से बोला जा रहा है। जिसमें हम क्या कर सकते है। सबकी अपनी-अपनी सोच है। हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
5 पेटी ...
संकुल से लेकर उदयन मार्ग स्थित एक कार्यालय में चर्चा है। 5 पेटी प्रतिमाह देने की। संकुल में बैठने वाले एक अधिकारी को। देने वाली एक मैडम है। जो कि प्राकृतिक संपदा की मालकिन है। इसलिए अच्छी खासी कमाई होती है। संरक्षण के लिए मैडम जी ने बंदी फिक्स कर दी है। ऐसा उनके अधीन काम करने वाले मातहत दबी जुबान से बोलते है। लेकिन किसको 5 पेटी दी जाती है। इसको लेकर सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गायब ...
रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग को एक फाइल की तलाश है। जो कि करीब 20 साल पुरानी है। इस फाइल के लिए पत्र लिखा गया। दूसरे माले पर बैठने वाले कटप्पा जी के कार्यालय को। जिसके बाद फाइल की खोजबीन शुरू हुई। लेकिन फाइल गायब है। सब दूर तलाश कर लिया। सफलता नहीं मिली है। अब देखना यह है कि 20 साल पुरानी फाइल मिलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बच गये ...
पिछले दिनों कमलप्रेमी संगठन के राष्ट्रीय मुखिया आये थे। उनके आगमन से कमलप्रेमी बहुत खुश थे। इसलिए कारकेट में कई वाहन घुस गये। जिसमें सरकारी भोपू का वाहन भी शामिल था। जो कि खुली जीप थी। इसमें फोटोग्राफर सवार थे। यह वाहन जब डिवाइन वैली के पास से गुजरा। तो आगे चल रहे वाहन के कारण इस वाहन चालक ने ब्रेक लगाये। नतीजा ... खुली जीप पर सवार फोटोग्राफर का संतुलन बिगड गया। वह वाहन से बाहर जाकर गिरा। भला हो पीछे से आ रहे वाहन चालकों का। जिन्होंने अगल-बगल से वाहन निकाल लिए। वरना बड़ी दुर्घटना हो जाती। ऐसा यह नजारा देखने वालो का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
वक्त ...
इन दिनों अपने बडबोले नेताजी का वक्त खराब चल रहा है। सार्वजनिक अभिनंदन के बाद। इस चोट ने उनको धरातल पर ला दिया है। तभी तो, जो बडबोले नेताजी हमेशा सबसे पीछे आते थे। किसी भी कार्यक्रम में। अब सबसे पहले पहुंचते है। सकल हिन्दू समाज की रैली में वह सबसे पहले पहुंच गये। 2 बजे करीब। तब तक मैदान खाली था। बडबोले नेताजी, चुपचाप आये और एक तरफ जाकर बैठ गये। उनको इस तरह अकेला बैठा देखकर, व्यवस्था कर रहे स्वयंसेवकगण मुस्कुराते रहे। यह नजारा अपने बडबोले नेताजी ने भी देखा। मगर वक्त खराब है। इसलिए चुप रहे। वैसे एक खबर यह भी है। अगले 3 दिनों में अपने बडबोले नेताजी, अपने प्रकट उत्सव के मौके पर शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रहे है। देखना यह है कि कितनी भीड एकत्रित होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
निरस्त ...
राजस्व महाअभियान चल रहा है। जिसका मतलब यह है। आम जनता को फायदा मिले। नामांतरण- बटवारा- फौती आदि प्रकरणों में। मगर एक नायब मैडम इसके उलट कर रही है। अंदरखाने की खबर है। मैडम जी, निराकरण के बदले निरस्त ज्यादा कर रही है। कारण ... अपने हित की पूर्ति नहीं होना है। इसके पहले नरवर सर्कल में पदस्थ नायब तहसीलदार भी ऐसा कर चुके है। करीब 1 हजारी प्रकरण निरस्त किये थे उन्होंने। वर्तमान में वह ग्रामीण इलाके में पदस्थ है। ऐसी चर्चा ग्रामदेवताओं के बीच सुनाई दे रही है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
अन्याय ...
शिवाजी भवन के गलियारों में एक अशआर सुनाई दे रहा है। कुछ ना कहने से भी छीन जाता है एजाजे सुखन/ जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है। इशारा अपने स्मार्ट पंडित की तरफ है। जो कि अन्याय सहन कर रहे है। 70 पार वालो के कार्ड बनाने की योजना को लेकर। तभी तो आंकडे दिखाकर बात की जा रही है। नगरीय क्षेत्र में आबादी 6 लाख है। लक्ष्य दिया है। 51 हजारी। जबकि ग्रामीण में आबादी का आंकडा 18 लाख है। मगर लक्ष्य मात्र 50 हजारी। ताज्जुब की बात यह है। मिशन-2023 और 24 के डाटा अनुसार शहरी क्षेत्र में 70 पार की आबादी का आंकडा मात्र 30 हजारी है। ऐसे में 51 हजारी का लक्ष्य कैसे पूरा होगा? ऐसा हम नहीं, शिवाजी भवन वाले बोल रहे है। अब यह सच है या झूठ। फैसला समझदार पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
मैं हूं ...
घटना स्थल हेलीपेड का है। जब कमलप्रेमी राष्ट्रीय मुखिया आये थे। अपने वजनदार जी भी मौजूद थे। अचानक ही उन्होंने पहली दफा अपने पदनाम का उदघोष करते हुए यह कहा था। यह मैं हूं, और एक वाहन पर अपनी कोहनी को मारा था। मगर उन्होंने यह क्यों किया? कारण क्या था? यह दूर से देखने वालो को पता नहीं है। मगर इसकी चर्चा जोरों पर है। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
पेंच ...
तो आखिरकार वही हुआ। जिसका कमलप्रेमियों को अंदेशा था। ऐन वक्त पर कोई पेंच फसेगा। रायशुमारी के बाद, घोषणा से पहले। कमलप्रेमियों का यह डर सही साबित हुआ। जब सभी को लग रहा था। बस अब घोषणा होगी। तभी अचानक ऊपर से निर्देश मिले। घोषणा रोक दी जाये। पहले बूथ वालो की भी सलाह ली जाये। जिसके बाद सभी समीकरण बदल गये है। कमलप्रेमियों में चर्चा है। अब उत्तर में कैलाश शर्मा, शानू मेहता, (जीवाजीगंज) रितेश जटिया, श्रीपाल राजावत (सराफा) मनीष चौहान, बुद्ध सेंगर (विक्रमादित्य) लखन राणावत, धर्मेश नागर (श्यामाप्रसाद मुखर्जी) धीरेन्द्र परिहार, अर्पूव देवड़ा, (दौलतगंज)मुत्तक गोस्वामी व सोनल जोशी (कार्तिक चौक) की चर्चा है। जबकि दक्षिण में हरीश सोलंकी (माधव नगर) मुकेश पोरवाल (राजाभाऊ महाकाल) परेश कुलकर्णी (दीनदयाल) जितेन्द्र कृपलानी/ गजेन्द्र खत्री (केशवनगर) सतीश सिंदल (महाराजवाड़ा) वीरेन्द्र आंजना (उज्जैन ग्रामीण) की चर्चा है। इधर ग्रामीण में आज बडऩगर व तराना की रायशुमारी हुई। बडऩगर में नवीन राठौड, महेश हारोड,विजयराज सिंह, अशोक व्यास, सुमेरसिंह की चर्चा है। जबकि तराना में संजू जैन, आकाश बोडाना, यशवंत आंजना, वासुदेव राठौड और सुनील गोठी की चर्चा है। ऐसा हम नहीं, अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। फैसला घोषणा के बाद होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सामने बैठो ...
रविवार को पंजाप्रेमी मुख्यालय पर बैठक थी। राजधानी में घेराव को लेकर। जिसके लिए प्रभारी आये थे। उन्होंने आते ही मंच पर भीड देखकर फरमान सुना दिया। केवल 3 कुर्सियां रहेंगी। बाकी सब सामने बैठेंगे। अपने कामरेड जी ने साफ मना कर दिया। मैं नहीं उठूंगा। वह मंच पर ही बैठे रहे। बाकी सब सामने बैठ गये। बैठक शुरू हुई। इस दौरान मिशन-2023 में अपने विकासपुरूष से पराजित पंजाप्रेमी होटल वाले भय्या आये। वह मंच पर बैठना चाहते थे। मगर मना कर दिया। भय्या जी नाराज हो गये। जाने की बात करने लगे। उनके साथ 4-5 पंजाप्रेमी उठ गये। मगर फिर मनुहार के चलते मान गये। सभी पंजाप्रेमियों ने दावे किये। इतनी-इतनी भीड लेकर राजधानी आयेंगे। इसका फैसला 16 दिसम्बर को होगा। इस बीच बैठक से अपने बिरयानी नेताजी की गैरहाजिरी भी चर्चा का विषय रही। यह सब चर्चा पंजाप्रेमियों के बीच चल रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
घमासान ....
रायशुमारी को लेकर शाम तक घमासान मच गया। इस कदर कि आपत्ति भी लग गई। एक दावेदार के खिलाफ। जिसको कमंडल मुखिया बनाने की पूरी तैयारी थी। किन्तु उस कमंडल के महामंत्री ने आधार कार्ड पेश करके आपत्ति लगा दी। उम्र को आधार बनाकर। चुनाव प्रभारी के समक्ष। खुद चुनाव प्रभारी महामंत्री का इंतजार करते नजर आये। मामला उत्तर क्षेत्र का है। ऐसा अपने कमलप्रेमियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चलते-चलते ...
अकादमी के मंच पर डेढ घंटे देरी से आये अतिथि ने खाली कुर्सियां देखकर 4 दफा आपत्ति दर्ज कराई। वह भी माईक से। मात्र 40 मिनिट उदबोधन दिया। वह भी विषय पर कम बोले। उनके निशाने पर पंजाप्रेमी शहजादे रहे। ऐसी चर्चा कार्यक्रम देखने पहुंचे दर्शकों के बीच सुनाई दी। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।