12 जून 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
गुलाबी ...
रंगों में सबसे अच्छा रंग गुलाबी लगता है। अगर इस गुलाबी रंग का कागज, जेब में हो तो फिर बात ही क्या है। चाल-ढाल सब बदल जाती है। लेकिन इस रंग का अच्छा लगना, चाल-ढाल बदलना, अब बीते दिनों की बात है। अब इस रंग के कागज से डर लगता है। तभी तो एक आईएएस अफसर परेशान है। वजह ... उन्होंने एक मामले में 25 गड्डी गुलाबी रंग वाली स्वीकार कर ली थी। तब तक इस रंग पर रोक नहीं लगी थी। तो गुलाबी रंग अच्छा लग रहा था। अब हालात बदल गये है। तो आलाधिकारी परेशान है। ऐसी चर्चा संकुल से लेकर मेला कार्यालय तक सुनाई दे रही है। सच और झूठ का फैसला हमारे पाठक खुद कर ले। क्योंकि गिव एंड टेक का कोई सबूत तो होता नहीं है। इसलिए हम फैसला अपने पाठकों पर छोड़कर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गरीब ...
अपने स्वागतप्रेमी जी वाकई गरीब है। इतने गरीब है कि ... बेचारे ... अपने पदनाम का विजिटिंग कार्ड भी नहीं छपवा पा रहे है। संकुल के गलियारों में किसी से भी मिलने जाते है। तो बेचारे ... अपनी हस्तलिपि से अपना नाम व पदनाम की पर्ची भेजते है। उनकी हस्तलिपि सुंदर है। लेकिन युवा कमलप्रेमी मुखिया रहकर भी कार्ड नहीं छपवाना? उनकी गरीबी के बदले कुछ ओर इशारा कर रहा है। मुफ्त में कार्ड चाहने की अभिलाषा वाली। इसीलिए तो युवा कमलप्रेमी बोल रहे है। अपने स्वागतप्रेमी ... हाथी के दांत वाली कहावत पर अमल करते है। गरीब खुद को दिखाते है, लेकिन सच इसके उलट है। युवा कमलप्रेमी से लेकर संकुल के गलियारों में उनकी इस गरीब शैली वाली नौटंकी की खूब चर्चा है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
शपथ भूल गये ...
पिछले दिनों एक आईएएस अफसर को राजधानी तलब किया गया था। प्रमुख सचिव स्तर की आईएएस अधिकारी ने। मैडम उस विभाग की मुखिया हैं। जहां पर आईएएस अफसरों की पूरी कुंडली रखी जाती है। मैडम ने युवा आईएएस को उस शपथ की याद दिलाई। जो प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद दिलाई जाती है। सीधे-सीधे कहा। लगता है कि शपथ भूल गये हो। यह युवा आईएएस इन दिनों जिले की दाल-बिस्किट वाली तहसील में पदस्थ है। उन पर गंभीर आरोप लगे है। भ्रष्टाचार को लेकर। एक आरोप यह है कि ... उन्होंने गिफ्ट में 25 पेटी कीमत वाला वाहन लेकर, अपने पैतृक निवास भिजवाया है। अवैध उत्खन्न सहयोग के बदले उपहार मिला है। बहरहाल ... शिकायते अपने मामाजी तक भी पहुंची है। बाकी ... दाल-बिस्किट तहसील के कमलप्रेमी अपने मामाजी के आगमन का इंतजार कर रहे है। कुछ आडियों की भी सुगबुगाहट है। जो कि मामाश्री के आगमन पर उजागर होंगी। इसलिए हम तब तक अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दबाव ...
अधिकारियों पर दबाव बनाकर, काम करवाने में जनप्रतिनिधि माहिर होते है। उनसे ज्यादा विशेष योग्य इन नेताओं के चमचे होते है। जो कि नियम विरूद्ध काम के लिए हमेशा दबाव बनाते रहते है। ऐसे ही एक चमचे है। अपने वजनदार जी के। जो इन दिनों दबाव बना रहे है। आतिशबाजी का गोडाउन व दुकान के लिए। जिसके लिए वह अधिकारी को अपने वजनदार जी के नाम की धमकी देते है। जबकि उनको यह लायसेंस नहीं मिल सकता है। कारण ... आबादी क्षेत्र में वह यह दुकान और गोडाउन खोलना चाहते है। फिलहाल तो मामला अधर में है। देखना यह है कि ... अधिकारी दबाव में आते है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
ईमानदार ...
प्रशासनिक सेवा मे ईमानदार होना दुर्लभ गुण है। जो कभी-कभार ही देखने को मिलता है। इन दिनों नगर तहसील वाली मैडम की ईमानदारी चर्चा का विषय है। ईमानदार मैडम ने पहले ही दिन स्टाफ को निर्देश दे दिये थे। ना खाऊंगी... ना खाने दूंगी। उनकी ईमानदारी को हमारा सेल्यूट। लेकिन इस चक्कर में अवैध तो छोडिये... वैध काम के भी आर्डर नहीं हो रहे है। पिछले 6 महीने में केवल 2 ही आर्डर अपनी ईमानदार मैडम ने किये है। स्टाम्प वाउचर जैसे आदेश भी अटका कर रखे है। लीगल काम के लिए भी वादीगण चक्कर काट-काट कर थक गये है। अकसर अपनी ईमानदार मैडम मिलती नहीं है। जिसके चलते किसी भी दिन मैडम के कार्यालय पर हंगामा हो सकता है। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
लूट ...
हम यहां वर्दी के दायरे में आने वाली लूट की चर्चा नहीं कर रहे है। बल्कि हमारा आशय कहावत वाली लूट की तरफ है। लूट सके तो लूट । अब अपनी ईमानदार मैडम जैसा तो हर कोई नहीं हो सकता है। जो ... ना खाऊंगी ना खाने दूंगी... की तर्ज पर काम करे। कुछ इसके उलट होते है। जैसे एक युवा आईएएस अफसर है। जिन्होंने धंधा बना लिया है। हर फाइल क्लियर करने के बदले, हल्के हरे रंग वाले कागज चढावे में चाहिये। कोई सी भी फाइल हो। बगैर दक्षिणा के क्लियर नहीं होती है। लेकिन हम यहां क्लियर कर दे। यह आईएएस अफसर अपने जिले या संभाग के नहीं है। बल्कि ... देवी अहिल्या नगरी में पदस्थ है। पक्के बनिए है। इसीलिए लूट सके तो लूट की तर्ज पर काम कर रहे है। उनकी इस आदत से सभी दु:खी है। मगर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
इशारा ..
ऊपर लगी तस्वीर को पढ़कर इशारा समझे। यह पोस्ट सोशल मीडिया पर इन दिनों चर्चाओं में है। क्योंकि इसे अपलोड करने वाले एक आईएएस अफसर है। जिनको हमारे पाठकगण नरो में इंद्र के नाम से जानते है। आजकल स्वर्ण नगरी के नाम से चर्चित जिले में पदस्थ है। उनकी इस पोस्ट के कई मतलब निकाले जा रहे है। कोई इसे उनकी राजनीति में इंट्री के रूप में देख रहा है। तो कोई नये जिले में पदस्थापना के रूप में। वैसे भी उनको स्वर्ण नगरी में 1 साल पिछले महीने ही पूरा हुआ है। उनका मन महाकाल की नगरी के लिए बैचेन है। कुछ लोग इस अपलोड पोस्ट को इसी नजरिये से देख रहे है। बहरहाल .. फैसला बाबा महाकाल करेंगे। गेंद स्टेडियम से बाहर गई है या अंदर ही है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चतुराई ...
अपने कप्तान जी, वैसे तो किक्रेट के खिलाड़ी है। लेकिन चाल, शतरंज वाली चलते है। 2 घटनाएं प्रत्यक्ष प्रमाण है। पहली नाबालिग की हत्या। जिसमें उनको सच का पता चल गया था। असली माजरा क्या है। मगर जनाक्रोश चरम पर था। भड़क जाता तो शांति भंग होती। सच का पता चलने पर। तो उन्होंने मीडिया का सहारा लिया। हौज में डूबने की घटना प्रचारित करवा दी। ताकि थोड़ा आक्रोश कम हो जाये। फिर पूरे मामले का खुलासा कर दिया। दूसरी घटना धरने से जुड़ी है। टीआई को हटाने को लेकर धरना हुआ था। इस मामले में भी उन्होंने 7 दिन वाली चाल चल दी। क्योंकि उनको यह अच्छी तरह पता है। अगले सप्ताह तबादला सूची आ रही है। टीआई खुद जा रहे है। तभी तो वर्दीवाले अपने कप्तान की चतुराई के गुण गा रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
भोजन ...
अभी-अभी एक दल आया था। स्वामित्व योजना को लेकर। प्रशिक्षण देने। अपने ग्राम देवताओं को। भेड़ाघाट वाले शहर से यह दल आया था। जिनके भोजन के लिए एक ग्राम देवता को फोन पर फोन लगाये गये। आदेश थे कि ... इनको भोजन करवा देना। ग्राम देवता भी महाचतुर है। उन्होंने जवाब दे दिया। मैं इनको लेकर कहां जाऊंगा। यह खुद जहां मर्जी हो, भोजन कर ले। बिल मुझे भेज देना। नगद भुगतान कर दूंगा। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
देख लूंगा ...
अपने पंजाप्रेमी हवाई-फायर नेताजी इन दिनों परेशान है। मामला एक फाइल से जुड़ा है। जिसका संबंध खनिज विभाग से है। अपने हवाई फायर नेता पूरा जोर लगा चुके है। लेकिन फाइल, क्लियर होने के बदले उलझ गई है। हर जगह से फाइल पर आपत्ति ही आपत्ति लिखकर आई है। नतीजा ... हवाई- फायर नेताजी ... देख लूंगा वाली जुबान बोल रहे है। जिसे सुनकर अधिकारी मुस्कुराकर चुप हो जाते है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
अडंगा ...
नकली मावा कांड याद है। अपने उत्तम जी के सूचना तंत्र की बदौलत यह उजागर हुआ था। दबिश में नकली मावा- वनस्पति घी- पाउडर आदि सभी कुछ जब्त हुआ था। जिसके बाद आरोपी पर एफआईआर दर्ज होना तय था। जिसके लिए आवेदन भी दिया गया। अपनी वर्दी को। आवेदन दिये 1 सप्ताह हो गया है। लेकिन रविवार की शाम तक आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उल्टे अडंगा डाला जा रहा है। ऐसी संकुल के गलियारों में चर्चा है। अब देखना यह है कि नकली मावा कांड में वर्दी कुछ करती है या फिर हमारी तरह चुप रहती है।
खंडन ...
बिना सच्चाई जाने आप इस तरह कुछ भी नहीं लिख सकते। मुझे लगता है आपको जो भी बताया गया, वह बहुत गलत है। मैं इस बात का खंडन करती हूं। यह संदेश बदबू वाले शहर में चर्चा का विषय है। मामला ग्राम देवताओं के वेतन से जुड़ा है। जिसको लेकर हमने खबर लिखकर खुलासा किया था। इस खबर को बदबू वाले शहर के एक खबरची ने कट-कॉपी-पेस्ट करके अपने ग्रुप में चिपका दिया। इस ग्रुप में मैडम भी जुड़ी थी। जिसे पढ़कर बदबू वाले शहर की मैडम भडक गई। उन्होंने ऊपर लिखा संदेश ग्रुप में लिखा और लेफ्ट हो गई। जिसमें हम क्या कर सकते है। खबर पूरी तरह सच है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
झाँक रहे सब इधर-उधर/ अपने अंदर झांकें कौन ?
ढूंढ रहे दुनियाँ में कमियां/ अपने मन में ताके कौन ?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते/ खुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे/ खुद पर आज विचारे कौन ?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा/ यह सीधी बात स्वीकारे कौन ?