2 दिसम्बर 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
झपकी ...
मुझे पता नहीं था। मंत्री जी अपना भाषण 1950 से शुरू करेंगे। 1970 तक तो मैं साथ था। फिर उसके बाद झपकी लग गई। माफी चाहता हं। यह फिल्म खाकी का डॉयलाग है। जिसने खाकी फिल्म देखी होगी। उसे यह याद होगा। इन दिनों इसे कमलप्रेमी दोहरा रहे है। इशारा अपने वजनदार जी की तरफ है। जो संविधान दिवस पर देश की राजधानी में थे। कार्यक्रम में शामिल हुए। देश की प्रथम नागरिक ने उद्बोधन दिया। जिसे वहां मौजूद सभी ने जागती आंखो से देखते हुए सुना। किन्तु अपने वजनदार जी की आंखे बंद थी। अब या तो वह भाषण सुनते-सुनते ध्यानमग्न हो गये। आंखे बंद कर ली। या फिर वास्तव में फिल्म खाकी की तरह भाषण ने उनको झपकी ला दी थी। तस्वीर तो यही साबित कर रही है। तभी तो कमलप्रेमी बोल रहे है। वजनदार जी को नींद आ गई थी। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
अगला कौन ...
तो आखिरकार आक्रोश फूट गया। यह कभी तो होना ही था। लंबे समय से इंतजार था। कमलप्रेमियों को। इस सार्वजनिक अभिनंदन का। कारण बडबोले नेताजी भले ही पूर्व हो गये है। मगर रस्सी जल गई, बल नहीं गया कि तर्ज पर उनका अहम बरकरार था। आखिर कब तक कमलप्रेमी सहन करते। इसलिए मौका देखा और चौका (थप्पड) जड दिया। बडबोले नेताजी को उम्मीद नहीं थी। इस प्रकार के सार्वजनिक अभिनंदन की। मगर कहावत है। जो बोया है वही काटेगा। तो यही हुआ है। पहली दफा ऊंट पहाड़ के नीचे आया। तो अहसास हुआ। कैसा लगता है। सबके सामने जलील होना। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। इसके साथ यह भी बोल रहे है। अब अगला माननीय कौन है? जिसका सार्वजनिक अभिनंदन होगा। एक माननीय इन दिनों बडबोले नेताजी की तर्ज पर चल रहे है। कार्यकर्ताओं को कुछ नहीं समझते है। सीधे मुंह बात नहीं करते। फोन भी नहीं उठाते। कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती है। इसलिए कमलप्रेमी दु:खी होकर बोल रहे है। अब अगला नंबर इनका होगा। मगर नाम नहीं ले रहे है। बस चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गुडवर्क ...
मंदिर के गलियारों में 2 अच्छे कामों की चर्चा है। जिसका श्रेय अपने गब्बर जी को दिया जा रहा है। जिन्होंने अंकुश लगाया है। नतीजा एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने आना ही बंद कर दिया। जबकि उन्होंने अभी-अभी पदस्थापना करवाई थी। सुरक्षा देखने के लिए। लेकिन गब्बर जी ने उनको सेवक बना दिया। जिसके चलते पूर्व वर्दीधारी ने आना ही बंद कर दिया। दूसरा मामला षड्यंत्र से जुडा है। जो गब्बर जी के खिलाफ रचा गया था। एक पुजारी के सहयोग से। कारण पुजारी के बगैर अनुमति वाले यजमानों को पकड़ लिया था। जिसके बाद नोटिस थमा दिया। नतीजा साजिश रची गई। आडियों के माध्यम से। लेकिन सफलता नहीं मिली। उल्टे पुजारी और कर्मचारी पर अंकुश लगा दिया गया। अब गब्बर जी को इंतजार है। ऑडियों आये और एफआईआर करवाये। जिसके बाद ऑडियों गायब और सभी चुप है। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
तेरे कारण ...
सार्वजनिक अभिनंदन कांड के बाद की घटना है। अपने बडबोले नेताजी दु:खी थे। उनको सांत्वना देने के लिए सभी सरकारी विश्रामगृह पहुंचे। जिसमें अपने प्रभारी बाऊजी, वजनदार जी, लेटरबाज जी और बडबोले नेताजी शामिल थे। सभी का मकसद यही था। जो सार्वजनिक अभिनंदन हुआ है। तो दु:खी नेता को सांत्वना दी जाये। मगर दाव उल्टा पड गया। आक्रोश से भरे बैठे बडबोले नेताजी ने अपनी भडास, लेटरबाज जी पर निकाल दी। उन्होंने उन शब्दों का भी प्रयोग किया। जो हम लिखने में असमर्थ है। अंदरखाने की खबर है। बडबोले नेताजी ने रोते-रोते यह भी कहा। यह सब तेरे कारण हुआ है। जो पार्टी से निष्कासित है। उसको मंच लगाने की अनुमति क्यों दी। तुम्हारा ही मेरे विरोधियों को संरक्षण है। ऐसा हम नहीं, बल्कि विश्रामगृह पर मौजूद कमलप्रेमियों का कहना है। अब बात सच है या झूट। हमको पता नहीं। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
वीआरएस ...
शनिवार को एक बैठक हुई थी। जिसे लेने राजधानी से आलाधिकारी आये थे। नगरीय विकास की बैठक थी। इस बैठक में आलाधिकारी के निशाने पर एक अफसर आ गये। मंडल के अधिकारी। जिनसे सवाल पूछा गया। क्या योजनाएं है। अधिकारी एक कागज लेकर आये थे। यह देखकर आलाधिकारी का पारा चढ गया। उन्होंने सीधे कहा। 20 वीं सदी में जी रहे हो। वीआरएस ले लो। मप्र आपकी अभी तक की सेवाओं के लिए ऋणी है। आईएएस अधिकारी के तंज को सुनकर बैठक में मौजूद सभी अधिकारी के चेहरे पर हंसी थी। यह वही अधिकारी है, जिन्होंने अपना सरनेम बदलने के लिए विज्ञप्ति जारी करवाई थी। मंडल के मुखिया है। अब देखना यह है कि अधिकारी इस फटकार के बाद वीआरएस लेते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
आवाज नीची...
अपने कप्तान जी मीठी वाणी बोलते है। सम्मान देते है। तो सामने वालो को गलतफहमी हो जाती है। जैसे पंजाप्रेमी प्रदेश मुखिया को हो गई। जो कि शनिवार को आये थे। घेराव करने। मामला प्रायोजित था। कप्तान के आफिस में प्रदेश मुखिया सहित, चरणलाल जी, हवाई फायर, बुआ जी, भाभी जी, सूरज अस्त -हम मस्त आदि मौजूद थे। पंजाप्रेमी मुखिया की स्टाइल है। ऊंची आवाज में बात करने की। वह इसी तरीके से बात करने लगे। चेतावनी दे डाली। 25 हजार पंजाप्रेमी धरना देगें। वर्दी को सत्ता का एजेंट बता दिया। जिसके बाद मीठी वाणी बोलने वाले कप्तान जी का पारा चढ गया। उन्होंने साफ कहा। नीची आवाज में बात करें। हम भी ऊंची आवाज में बोल सकते है। जिसके बाद सभी बोलने लगे। इधर प्रदेश मुखिया ने यू-टर्न तत्काल लिया। मौके की नजाकत देखकर। सबको शांत करवाया। अपनी बात रखी। फिर सभी चुपचाप निकल गये। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
उल्टे या उडते ...
शनिवार की शाम को एक बैठक हुई। कमलप्रेमी मुख्यालय पर। इस बैठक में अपनी बहन जी, प्रथमसेवक, ढीला-मानुष, पहलवान सहित कमलप्रेमी पदाधिकारी, कमंडल मुखिया, नगरसेवकगण आदि मौजूद थे। बैठक का संचालन दाल वाले नेताजी कर रहे थे। जिन्होंने मंदिर में दाल चखी थी। उन्होंने रूपरेखा प्रस्तुत की। संगठन पर्व चल रहा है। उडते तीर भी आते है। जैसे रविवार को वीवीआईपी की यात्रा को उदाहरण में पेश किया। जैसे ही उन्होंने वीवीआईपी की यात्रा को उडता तीर कहा। तो अपने ढीला-मानुष ने तत्काल पूछा। उल्टे तीर या उडते तीर। दाल वाले नेताजी ने पलटकर कहा। उडते तीर। जिसे सुनकर वहां मौजूद सभी कमलप्रेमी आश्चर्य में पड गये। मगर चुप रहे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बवाल ...
इस महीने राजधानी में शीतकालीन सत्र शुरू होगा। जिसको लेकर एक सवाल पर बवाल मचने की पूरी संभावना है। यह सवाल गोयलाखुर्द की जमीन से जुड़ा है। सवाल लगाने वाले अपने पिस्तौल कांड नायक है। मामला दक्षिण विधानसभा का है। इस जमीन के नामांतरण को लेकर एक ग्रामदेवता शक के घेरे में है। संकुल के गलियारों में यह चर्चा आम है। जमीन को निजी करने के लिए 2 से 5 खोखे का खेल हुआ है। बहरहाल देखना यह है कि सवाल पर कितना बवाल मचता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खुशी ...
लंबे समय बाद आखिरकार रविवार की शाम को अधिकारियों के चेहरे पर खुशी नजर आई। वीवीआईपी की रवानगी के बाद। इसके पीछे कारण केवल यह है। इस दफा ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों को डबल कमांड से निर्देश नहीं मिले। इसके पहले यह होता रहा है। एक तरफ दूसरे माले से निर्देश मिलते थे, तो दूसरी तरफ अपनी चटक मैडम जी से। जिसके चलते बेचारे अधिकारी दु:खी रहते थे। किसका आदेश माने। मगर इस बार दूसरे माले के मुखिया ने कमांड अपने हाथ में रखी। जिसका सभी ने खुशी-खुशी पालन किया। नतीजा ... सभी अधिकारी खुश होकर अपने दूसरे माले के मुखिया को दिल से आभार व्यक्त कर रहे है। तो हम भी आगे यही सिंगल कमांड रहे के लिए अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
लाइन चालू करो ...
अपने विकासपुरूष हमेशा इस बात का ध्यान रखते है। उनके या अतिविशिष्टजन के आगमन पर मंदिर के भक्तगण परेशान ना हो। रविवार को भी ऐसा हुआ। जब कमलप्रेमी राष्ट्रीय मुखिया के साथ गर्भगृह में विकासपुरूष मौजूद थे। उनकी निगाह सामने की तरफ गई। सन्नाटा था। बेरिकेड्स खाली थे। विकासपुरूष ने तत्काल संज्ञान लिया। संदेश भिजवाया। दूसरे माले के मुखिया तक। दर्शनार्थी को आने दो, रोको मत। जिसके बाद तत्काल निर्देश का पालन हुआ। श्रद्धालु दर्शन करते रहे और वीआईपी पूजा करते रहे। ऐसा यह नजारा देखने वालो का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चलते-चलते ...
संकुल के गलियारों में चर्चा है। इस सप्ताह मंदिर के पास गिरी दीवार कांड पर अंतिम रिपोर्ट पेश हो सकती है। अपने दूसरे माले के मुखिया के समक्ष। देखना यह है कि दीवार कांड के लिए आखिर दोषी कौन निकलता है? शिवाजी भवन, विकास भवन या फिर पर्यटन। फैसला रिपोर्ट आने पर होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।