11 सितम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
नाराजगी ...
अपने उत्तम जी शायद नाराज है। किससे नाराज है। तो इशारा अपने श्रीमान कूल जी की तरफ है। जिनके अधिकारों में लगातार कटौती हो रही है। एक के बाद एक उनके पॉवर कम किये जा रहे है। मुहावरे की भाषा में बोला जाये। तो अपने उत्तम जी ने पंख कतर दिये है। जबकि अपने कूल जी, मेहनत करने में सर्वोत्तम है। इसके बाद भी उनके पंख कतरे गये है। इसको लेकर संकुल के गलियारों में खूब चर्चा है। लेकिन कारण किसी को पता नहीं है। पूछने पर सब चुप हो जाते है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
भुगतान ...
सावन माह में एक अतिविशिष्ट हस्ती का आगमन हुआ था। करीब 3 दिन का दौरा था। महादेवों की परिक्रमा की थी। इस हस्ती को एक निजी होटल में रूकवाया गया था। प्रशासन दिन-रात सेवा में लगा रहा था। विशिष्ट हस्ती अपनी धार्मिक यात्रा करके वापस चली गई। अब बारी भुगतान की है। करीब 2 पेटी का भुगतान करना है। बिल भी आ चुका है। देखना यह है कि इस भुगतान की टोपी कौन पहनता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
समझौता ...
अकसर देखने या सुनने में आता है। सार्वजनिक स्थानों पर लडाई होते देख वर्दी सख्त कदम उठाती है। दोनों झगड़ा करने वालो को बंद कर देती है। लेकिन थाने के अंदर झगड़ा हो जाये। वर्दी ही बीच-बचाव करे। उसके बाद भी कोई कार्रवाई ना हो। ऐसा आज तक ना देखा और ना ही सुना। मगर ऐसा हुआ है। पुराने शहर के एक थाने में। टक्कर लगने का मामला था। दोनों पक्ष पहुंचे। फिर वर्दी के सामने हाथापाई कर डाली। इसके बाद भी वर्दी ने कुछ नहीं किया। उल्टे दोनों को छोड़ दिया। अब यह मामला पॉवर का था या सिस्टम का। इसको लेकर वर्दी ने चुप्पी साध रखी है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
उपाधि ...
अपने उत्तम जी की बैठकों में फटकर पडना सामान्य बात है। कोई ना कोई उनके निशाने पर आ ही जाता है। मगर कभी-कभार व्यंग्यबाण चलाकर भी अपने उत्तम जी प्रहार करते है। जैसे पिछले दिनों एक अधिकारी को बोल दिया। बिलकुल तैमूर की तरह हो। बिना वजह कहीं भी आक्रमण कर देते हो। जिन पर यह व्यंग्य किया। वह अधिकारी मावा छापामारी के लिए काफी चर्चित है। पिछले 2 महीने में खूब छापामारी की। सैकड़ो क्विंटल मावा पकड़ा। उनको उम्मीद थी कि तारीफ ही होगी। लेकिन अपने उत्तम जी ने उनको तैमूर की उपाधि से विभूषित कर दिया। जिसके बाद अधिकारी परेशान है। उनकी समझ नहीं आ रहा है। उन्होंने अच्छा काम किया या बुरा। इसलिए उपाधि मिलने के बाद चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मिजाज ...
हर इंसान का अपना मिजाज होता है। कोई शरारती- कोई मजाकिया- कोई मसखरा तो कोई आशिक मिजाज। पहले के 3 मिजाज तो हर इंसान के अंदर छुपे होते है। लेकिन आशिक मिजाज होना खतरे की निशानी होती है। ऐसी चर्चा इन दिनों वर्दी के बीच सुनाई दे रही है। इशारा एक 3 स्टारधारी की तरफ है। जो कि इन दिनों ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ है। पहले शहर में ही पदस्थ थे। उनके जाने के बाद आशिक मिजाज के किस्से वर्दी वाले दबी जुबान में सुना रहे है। एक पुरानी घटना भी याद दिला रहे हैं। जो कि माँ चामुंडा नगरी की है। जहां इनका सार्वजनिक अभिनंदन हो चुका है। इसी मिजाज के कारण। अब ग्रामीण क्षेत्र में भी यही हालात बनते नजर आ रहे है। ऐसा हम नहीं, बल्कि वर्दी वाले बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
मोहर ...
शिवाजी भवन के गलियारों में चर्चा है। जिसमें इशारा अपने अनफिट जी की तरफ है। दबी जुबान से अधिकारी/ कर्मचारी बोल रहे है। अपनी बहन जी ने मोहर लगा दी है। एक तल्ख टिप्पणी करके। साधारण सम्मेलन में। नामकरण वाले प्रस्ताव पर। जिसमें अपनी बहन जी ने साफ-साफ लफ्जों में कह दिया। जिम्मेदारी... अनफिट जी की बनती है। तभी तो मोहर लग गई- मोहर लग गई... सभी बोल रहे है। अधिकारी/ कर्मचारी की बात सही भी है। मगर, हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
जुर्माना ...
महाकाल लोक के ठेकेदार पर जुर्माना ठोका गया है। 5 पेटी का। कारण ... काम की गति धीमी है। लेकिन धीमी गति के पीछे असली जिम्मेदार कौन है। तो नाम अपने चुलबुल पांडे जी का सामने आ रहा है। जो कि अभी तक 2 दर्जन दफा ड्राइंग- डिजाइन बदल चुके है। ठेकेदार परेशान है। पत्र लिखकर पीडा जाहिर कर चुके है। किन्तु अपने चुलबुल पांडे जी को कोई फर्क नहीं पडा है। जब मन होता है... लगने वाली सामग्री को बदलने का फरमान सुना देते है। शनि-रवि गायब ही रहते है। नतीजा ... ठेकेदार अब उच्च स्तर पर शिकायत करने वाले है। देखना यह है कि ... शिकायत पर क्या कार्रवाई होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सीनियर- जूनियर...
संकुल के गलियारों में सीनियर-जूनियर राग सुनाई दे रहा है। यह राग इसलिए चर्चाओं में है। क्योंकि लडाई नम्बर-2 के पद को लेकर है। जिस पर वर्तमान में अपने श्रीमान कूल जी विराजमान है। इस पद पर अभी-अभी आये एक अधिकारी की निगाहें है। जो कि बेच के हिसाब से सीनियर है। इस पद के लिए सीनियर अधिकारी ने पदभार संभालने से पहले ही कोशिश शुरू कर दी थी। मगर दाल नहीं गली। लेकिन सीनियर अधिकारी ने हार नहीं मानी। कोशिश जारी रखी। किन्तु अपने उत्तम जी ने उनको मिशन-2023 की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके बाद भी सीनियर अफसर की कोशिश जारी है। चर्चा तो यह भी है कि ... अपने उत्तम जी को फोन भी लगवाये। फिर भी काम नहीं बना है, अभी तक। अब देखना यह है कि ... सीनियर-जूनियर की इस लडाई में जीत किसकी होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
202 ...
यह किसी होटल का रूम नम्बर नहीं है। बल्कि मंदिर की दर्शन रसीद का नम्बर है। क्योंकि इस 202 नम्बर की डमी रसीद निकलवाकर, दर्शन की कोशिश की गई। यह रसीद बेची गई थी। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में है। यह 202 नम्बर प्रोटोकॉल ग्रुप में डाला गया था। डालने वाले अपने सोमरस ठेकेदार हैं। जो कि अपने इंदौरीलाल जी के खास माने जाते हैं। तभी तो शिकायतों के बाद भी सोमरस ठेकेदार आज भी प्रोटोकॉल संभाल रहे है। कई मामले उनके सामने आ चुके है। ताजा मामला 202 नम्बर रसीद का है। हालांकि डमी रसीद निकालने वाला आपरेटर है। किन्तु मंदिर वाले दबी जुबान से बोल रहे है। आपरेटर पर सोमरस ठेकेदार मेहरबान है। इन्हीं की बदौलत रोजाना डमी रसीद से दर्शन का खेल चलता है। देखना यह है कि अब अपने इंदौरीलाल जी कोई सख्त कदम उठाते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
संकेत ...
क्या मंदिर में कोई परिवर्तन होने वाला है? इसकी चर्चा आज उस वक्त ज्यादा सुनाई दी। जब अचानक ही अपने नम्बर-1 का आगमन हुआ। हालांकि अपने नम्बर-1 दर्शन करने के लिए आये थे। बाबा के दरबार के बाद हरसिद्धि मंदिर गये। उसके बाद चुपचाप निकल गये। किसी को कोई खबर नहीं हुई। इसके चलते ही यह चर्चा सुनाई दे रही है। मंदिर में जल्दी ही कोई परिवर्तन हो सकता है। देखना यह है कि यह चर्चा कितनी सही निकलती है। वैसे मंदिर के गलियारों में यह सुगबुगाहट है। इस सप्ताह एक लिस्ट जारी होने वाली है। जिसमें अपने इंदौरीलाल जी का नाम शामिल होने के कयास मंदिर वाले लगा रहे है। फैसला बाबा महाकाल करेंगे। परिवर्तन होगा या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चलते-चलते...
रविवार की शाम आखिरकार रथयात्रा बाबा की नगरी पहुंच गई। निकास चौराहे पर रथ में अपने वजनदार जी सवार हो गये। फिर उन्होंने माईक तलाशा। माईक, किसान नेता के हाथ में था। अपने वजनदार जी ने उनसे माईक छीन लिया। जिस पर किसान नेता ने वापस माईक ले लिया। ऐसा 2 बार हुआ। आखिरकार अपने वजनदार जी ने कोशिश छोड़ दी। ऐसा घटना देखने वाले कमलप्रेमियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।