01 मई 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

01 मई 2023 (हम चुप रहेंगे)

सुशासन ...

अच्छा शासन ही सुशासन कहलाता है। जिसकी अपने कमलप्रेमी इस तरह व्याख्या करते हैहींग लगे ना फिटकरी- रंग भी चोखा आये। सुशासन का यही अर्थ है युवा कमलप्रेमियों की निगाह में। तभी तो इन दिनों राग-सुशासन अलाप रहे है। इसके पीछे कारण अभी-अभी आई एक यात्रा है। जिसमें 50 लोग शामिल थे। विभिन्न राज्यों के युवा थे। इसलिए आवभगत  भी अच्छी होनी थी। मगर खर्च कौन करता? होटल-खाना-पीना- मनोरंजन और वापसी के लिए एयरकंडीशन बस का। बेचारे... अपने स्वागत प्रेमी जी चिंता में थे। 3 पेटी खर्च कहां से एकत्रित करे। तभी राजधानी से एक फोन आया। आदेश मिला... संकुल में बैठे अधिकारी से जाकर मिलो। युवा कमलप्रेमियों की तिकड़ी गई। मुलाकात हुई। बस ... फिर हींग लगे ना फिटकरी की तर्ज पर सुशासन मन गया। जिसके बाद युवा कमलप्रेमी खुश है। तो हम भी उनकी खुशी में, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

40 पेटी ...

मिट्टी है अनमोल। तभी तो 40 पेटी में बेच दी गई। वह भी बाले-बाले। किसी को खबर नहीं हुई। ऐसी चर्चा इंदौर रोड पर स्थित ग्राम पंचायत के ग्रामवासी कर रहे है। इशारा ... अवैध उत्खन्न की तरफ है। जिसको लेकर अपने उत्तम जी एक अधिकारी को हटा चुके है। जांच भी हो गई।  जिस जगह की मिट्टी को 40 पेटी में बेचा गया है। उसको लेकर नोटिस भी जारी हो गया है। यह मामला सामने आता ही नहीं। अगर हिस्सेदारी  बराबरी से होती। कुछ लोगों को उनका हिस्सा नहीं मिला। तो उन्होंने भंडा फोड दिया। 40 पेटी में से कुछ वजन, दमदमा के गलियारों तक भी पहुंचा है। तभी तो जिम्मेदार चुप रहे। ग्रामवासी तो यही बोल रहे है। सच और झूठ का फैसला जांच में होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो  जाते है।

नोटिस ...

खबर अंदरखाने की है। राजधानी के भरोसेमंद सूत्रों से मिली है। जल्दी ही नोटिस जारी हो सकते है। इशारा ... महाकाल लोक को लेकर हुई शिकायतों की तरफ है। नोटिस जारी करने वाले माननीय के आगे हर अधिकारी ... शरणम् गच्छामि... रहता है। पहले भी कुछ मामलों को लेकर नोटिस जारी हुए थे। अब फिर होने वाले है। रंगे हाथों पकडऩे वाले  विभाग में तो यही चर्चा है। देखना यह है कि जारी होने वाले नोटिसों में किस-किस का नाम सामने आता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

पंच-परमेश्वर ...

अमर कहानीकार प्रेमचंद की कहानी पंच-परमेश्वर सभी ने पढ़ी होगी। मगर अब जमाना बदल गया है। अब पति- परमेश्वर का जमाना है। तभी तो दमदमा के गलियारों में चर्चा है। अध्यक्ष पति के दावों की। जो कि खुद को ही अध्यक्ष घोषित कर बैठे है। वह भी खुलेआम सोशल मीडिया पर। अगर हमारी बात झूठ लगे तो ऊपर लगा फोटो देख लीजिए। पति- परमेश्वर ने खुद को अध्यक्ष  घोषित कर दिया है। जबकि इस पद पर उनकी श्रीमती विराजमान है। मगर, सत्ता का नशा है। इसलिए सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  

इत्तफाक ...

इस तस्वीर को गौर से देखिए। जरा झूम करके देखिए। मन की बात - मंत्री जी के साथ... वाली यह तस्वीर है। जिसमें अध्यक्ष जी की आंखे बता रही है। या तो वह मन की बात को गहन- गंभीर- मुद्रा में सुन रहे है, या फिर इंसानी फितरत के चलते झोंका खा गये है। फैसला खुद मन की बात के शौकीन कमलप्रेमी करे। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

ध्यान दीजिए ...

अपने उत्तम जी की सर्वोच्च प्राथमिकता पर है नक्शा- शुद्धिकरण। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की एक नायब तहसीलदार लापरवाही कर रही है। वह इस पर ध्यान ही नहीं देती है। जिसके चलते पटवारियों की मेहनत पर पानी फिर गया है। बेचारे ... पटवारियों ने 200 से ज्यादा नक्शे उनको ऑनलाइन भेजे। पूरी मेहनत करके। मगर मैडम जी ने ध्यान नहीं दिया। नतीजा ... सभी नक्शे लेप्स हो गये। इधर एक नायब तहसीलदार  अपनी मैडम जी से ज्यादा आगे है। उनको सरकारी कामकाज से कोई मतलब नहीं है। वह अधिकारी से ज्यादा प्रापर्टी ब्रोकर बन गये है। आफिस में बैठते नहीं है। बस... जमीन खरीदने और बेचने की दलाली में लगे रहते है। तभी तो इस नायब तहसीलदार के खिलाफ वकील ज्ञापन भी दे चुके है।  मामला ग्रामीण क्षेत्र का है। देखना यह है कि अपने उत्तम जी, इन दोनों मामलों में कितना ध्यान देते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते  है।

करम ...  

एक गीत शायद हमारे पाठकों ने सुना होगागैरो पे करम... अपनो पे सितम...! फिल्म आंखे का यह गीत है। जो इन दिनों शिवाजी भवन के नगर सेवक व एमआईसी वाले गुनगुना रहे है। जिसके पीछे कारण हर की पौढी यात्रा है। अपने प्रथम सेवक अभी-अभी सरकारी खर्च पर घूमकर आये है। लेकिन अपने साथ प्रथम सेवक झोन अध्यक्षों को लेकर गये थे। जबकि उनके मंत्रिमंडल के सदस्य इंतजार ही करते रह गये। तभी तो मंत्रिमंडल के साथी बोल रहे हैआखिर गैरो पे करम की वजह क्या है। क्या कोई सेटिंग हुई है। जिसके चलते यह यात्रा हुई है। सवाल का जवाब अनुत्तरित है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

किसने पकड़ा ...

मंदिर में पिछले सप्ताह एक घटना हुई। 75 भक्तों को बगैर टिकिट लिए दर्शन करने जाते हुए पकड़ा गया। जिसको लेकर बयान भी आया। 4 दानदाता की आड में 75 भक्त घुस आये थे। काला गेट पर यह घटना हुई थी। दानदाताओं को मुफ्त दर्शन की अनुमति मंदिर के अधिकारी ने दी थी। मगर यह 4 दाता कौन है और कितना दान किया। इसका खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन 75 भक्तों को किसने पकड़ा था। इसका पता जरूर चल गया है। भले ही मीडिया में इसका श्रेय अपने इंदौरीलाल जी को मिल गया। किन्तु सच यह है कि ... उप प्रशासक मैडम ने इन भक्तों को पकड़ा था। जिसके लिए हम उप प्रशासक मैडम को बधाई देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

खुदाई एक तरफ ...

यह कहावत सभी ने सुनी होगी। सारी खुदाई एक तरफ... जोरू का भाई एक तरफ... ! मंदिर के गलियारों में यह कहावत सुनाई दे रही है। जोरू के भाई एक बैंक में कार्यरत है। जिसके चलते उनको भस्मार्ती अनुमति दिलाने का काम विशेष तौर पर बैंक ने दिया है। जिसके लिए वह प्रति अनुमति 1 हजारी राशि वसूलते है। जोरू के भाई के जीजाश्री इसमें मदद करते है। इसलिए अनुमति आसानी से बन जाती है। कोई परेशानी नहीं होती है। लंबे समय से धंधा चल रहा है। बैंक वालो की मजबूरी है। इसलिए सबकुछ चुपचाप चल रहा है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। लेकिन जीजाश्री आखिर कौन है। इसको लेकर बोलने वाले मौन है। इसलिए हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नगर की बात ...

शीर्षक पढ़कर हमारे पाठक यह नहीं सोचे। हमने गलत शीर्षक लिखा है। हमको ... मन की बात लिखना था। वैसे रविवार का दिन देश के लिए मन की बात का था। जिसके लिए हर स्तर पर प्रचार-प्रसार हुआ था। किन्तु हमारे शहर के प्रथम सेवक नगर की बात पर अटके रहे। तभी तो प्रचार-प्रसार के लिए शहर के चौराहों पर लगी एलईडी पर दिनभर नगर की बात का प्रचार होता रहा। कहीं पर भी मन की बात का प्रचार नजर नहीं आया। स्व-प्रचार  में माहिर अपने प्रथम सेवक ने भी ध्यान नहीं दिया। कम से कम रविवार को तो मन की बात का प्रचार-प्रसार करवा दे नतीजा दिलजलो ने संगठन तक सबूत भिजवा दिये। जिसको लेकर जल्दी ही प्रथम सेवक की क्लास लग सकती है। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। देखना यह है कि आगे जाकर, नगर की बात का क्या असर सामने आता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चैकिंग ..

अपने उत्तम जी इन दिनों ज्यादा एक्टिव है। खासकर मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर। तभी तो रविवार की दोपहर अचानक ही मंदिर पहुंच गये। सभामंडप में खड़े रहकर व्यवस्था देखी। एक-दो कर्मचारियों को चेक भी किया। जिसके बाद वह रवाना हो गये। उनके इस कदम से मंदिर के गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है। लेकिन हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

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महाकाल मंदिर ' थियेटर ' बन गया है  ...! संघ की बैठक में उठा सवाल

उज्जैन।  महाकाल मंदिर 'थियेटर ' बन गया है  ...! जहां पर दर्शन करने- जल चढ़ाने- आरती में शामिल होने। सभी के लिए जेब में हाथ डालना पडता है। मूल्य चुकाना पडता है। जबकि बाकी धार्मिक स्थलों पर दर्शन के लिए राशि नहीं देनी पड़ती है। यह आक्रोश आज संघ की बैठक में निकला। वह भी प्रांत प्रचारक के सामने। मुद्दा उठाने वाले विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत मंत्री थे।

मंगलनाथ मंदिर के समीप स्थित मौनी बाबा आश्रम में आज संघ का जमावड़ा था। प्रांत प्रचारक बलिराम पटेल, सह प्रांत प्रचारक राजमोहन, विभाग संघ चालक बलराज भट्ट, विभाग कार्यवाह पारस गेहलोत के अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा भी इस बैठक में शामिल थे।

इसलिए बैठक ...

मिशन-2023 का आगाज हो चुका है। लेकिन संघ को अंदर की खबर हैभाजपा के प्रति इन दिनों आमजनता में नाकारात्मकता का भाव ज्यादा है। इसके पीछे कारण क्या है। इसी को लेकर बैठक बुलाई थी। सुबह के सत्र में शाजापुर व देवास जिले की बैठक हुई। दोपहर बाद उज्जैन व आगर जिले को बुलाया था। इस बैठक में केवल भाजपा जिलाध्यक्ष ही अपेक्षित थे। सूत्र का कहना है कि ... नामांतरण- बटवारा सहित आम जनता से जुड़ी समस्या को लेकर दोनों जिलाध्यक्ष विवेक जोशी व बहादुरसिंह बोरमुंडला ने अपनी बात रखी। बैठक में सेवाभारती, किसानसंघ, एवीबीपी, विद्याभारती सहित कई अनुषांगिक संगठन के प्रमुख मौजूद थे।

दर्शन के पैसे ...

विहिप के प्रांत मंत्री महेश तिवारी ने सटीक सवाल उठाया। उनका कहना था कि ... दर्शन व पूजा के लिए रूपये लिए जा रहे है। जबकि अगर रूपया ही लेना है तो... महाकाल लोक देखने का लेना चाहिये लेकिन उल्टा हो रहा है। महाकाल लोक तो फ्री है, और दर्शन के नाम पर जेब ढीली करनी पड रही है। हमारे सूत्र का कहना है प्रांत प्रचारक ने आज की बैठक में सभी की बातों को सुना। उन्होंने किसी को भी कोई जवाब नहीं दिया। बैठक का समापन संघ की प्रार्थना ... नमस्ते सदा वत्सले... के साथ हुआ।

जमावड़ा ...

इधर संघ की बैठक ने विधायक टिकिट के दावेदारों को चौकन्ना कर दिया। पूरे दिन आश्रम के बाहर दावेदारों का जमावड़ा होटलों पर लगा रहा। ग्रामीण क्षेत्र के कई दावेदार नजर आये। सभी की कोशिश थी कि ... किसी भी तरीके से प्रांत प्रचारक से मुलाकात हो जाये या उनकी नजर पड जाये।