18 सितम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

18 सितम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)

आर्शीवाद ...

अपने विकास पुरूष का अंदाज निराला है। वह अपने विरोधी को भी आर्शीवाद देते है। बस ... स्टाइल कुछ अलग होता है। जैसे जनआर्शीवाद यात्रा में हुआ। घटनास्थल टॉवर चौराहा है। जहां पर एक नारियल पहलवान की दुकान है। नारियल पहलवान ने पिछले दिनों बयान दिया था। एक सर्वे टीम को। जिसमें अपने विकास पुरूष की बुराई कर दी थी। यह बात अपने विकास पुरूष को कुछ ज्यादा पसंद आ गई। आर्शीवाद यात्रा के दौरान विकास पुरूष टॉवर पर मौजूद थे। नारियल पहलवान को देखकर घटना याद आ गई। बस फिर क्या थाविकास पुरूष ने अपनी चिर-परिचित शैली में आर्शीवाद प्रदान कर दिया। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

उच्चाटन ...

अपने उत्तम जी इन दिनों उच्चाटन में है। मतलब ... उनका जिले से मोह भंग हो गया है? ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। दबी जुबान से मातहत बोल रहे है। अब साहब का मन नहीं लग रहा है। इधर शाही सवारी के दिन एक घटना हुई। जो इस उच्चाटन पर मोहर लगा रही है। एक कमलप्रेमी अंदर जाने के लिए विवाद कर रहे थे। उत्तम जी ने पूछ लिया। किस बात की गर्मी है। जवाब मिला... कमलप्रेमी होने की। जिसे सुनकर उत्तम जी चुप रहे। अगर वह उच्चाटन में नहीं होते, तो उत्तम जी पलटकर जरूर जवाब देते। बहरहाल देखना यह है कि उच्चाटन की भूमिका से अपने उत्तम जी कब बाहर आते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मोह ...

इंसान का सबसे ज्यादा मोह अपनी औलाद से होता है। फिर भले ही इस मोह के कारण अपने साथी को पीछे धकेलना पड़े। एक घटना को लेकर कमलप्रेमी यही बोल रहे है। घटना शाही सवारी की है। सभामंडप में जाने से रोका जा रहा था। प्रथमसेवक अपने साथी नगरसेवक के साथ पहुंचे थे। नगरसेवक के साथ प्रथमसेवक के पुत्र भी थे। यही पर मोह नजर आयाप्रथमसेवक ने अपने साहबजादे को तो अंदर ले लिया, मगर नगरसेवक की तरफ देखा भी नहीं। बेचारे नगरसेवक ...यह नजारा देखकर चुप रह गये। किन्तु घटना को देखने वाले कमलप्रेमी चुप नहीं है। वह प्रथमसेवक के मोह की चर्चा कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है।  बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

याराना ...

अपने इंदौरीलाल जी से कभी मुलाकात कीजिए। उनकी बाते मीठी-मीठी होती है। सामने वाले को गुमान हो जाता है। इंदौरीलाल जी तो यारबाज है। लेकिन जब मौका आता है, याराना निभाने का। तो इंदौरीलाल जी पीछे हट जाते है। शाही सवारी के दिन ऐसा ही हुआ। एक महामंत्री को गुमान था। अपने इंदौरीलाल जी के याराना पर। लेकिन इंदौरीलाल जी ने महामंत्री को रोक दिया। हर्ष-फायर वाले महामंत्री ने खूब कोशिश की। अंदर जाने की। मगर इंदौरीलाल जी ने याराना ताक में रख दिया। यह देखकर महामंत्री आगबबूला हो गये। ऐसा घटना देखने वाले कमलप्रेमी बोल रहे है। अब देखना यह है कि हर्ष-फायर महामंत्री अपनी इस बेईज्जती का बदला कैसे लेते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  

लात ...

घोड़े ने लात मारी... गिर गये हम। यह पैरोडी अकसर हमने बचपन में सुनी होगी। लेकिन क्या कभी यह सुना है। घोड़े की लात मारना भी शुभ होता है। अपने प्रथमसेवक तो यही मानते है। उस घटना के बाद। जो उनके साथ शाही सवारी में घटी। प्रथमसेवक पैदल चल रहे थे। घुडसवार दल के पास से गुजरे। तभी घोड़े ने लात मार दी। घुटने पर चोट आई। जिसको अपने प्रथमसेवक बाबा महाकाल का आर्शीवाद मान रहे है। तभी तो उन्होंने निर्देश दिये। खबर फैला दो। घोड़े ने लात मारी... मिशन-2024 में टिकिट पक्का है। ऐसा हम नहीं, बल्कि उनके करीबी बोल रहे है। देखना यह है कि घोड़े की लात शुभ साबित होती है या अशुभ। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

टोपी ...

एक आईएएस अफसर का पिछले दिनों तबादला हुआ था। उनकी शानदार विदाई पार्टी दी गर्ई। एक निजी होटल में। जिसका भुगतान होना अभी बाकी है। मगर पार्टी के बाद अफसर को होटल ज्यादा पसंद आ गया। नतीजा... वह 4 दिन इस होटल में रूक गये। जिसका भुगतान अब संकुल में बैठने वाले अधिकारी को करना है। यह वही अधिकारी है, जो अपनी पदस्थी के दौरान ड्रांइग टीचर के लिए भी भुगतान दूसरे से करवाते थे। ऐसी चर्चा स्मार्ट भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। बोला जा रहा है कि ... जब तक पदस्थ थे, कंबल ओढकर घी पिया... अब जाते-जाते भी 40 हजारी की टोपी पहना गये है। देखना यह है कि यह भुगतान कैसे होता है। तब तक अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

प्रहार ...

अपने पहलवान पर प्रहार आखिरकार कर ही दिया। वह भी अपने प्रथम सेवक ने। अभियोजन स्वीकृति की आड में प्रहार किया है। बेचारे ... पहलवान को बिलकुल उम्मीद नहीं थी। प्रथमसेवक इस तरीके से बदला लेंगे। पहलवान ने तो बस नसीहत दी थी। सभी कमलप्रेमियों के सामनेफोटो- खिचवाने से नेता नहीं बनते है। जो अपने प्रथमसेवक को चुभ गई। नतीजा ... जो स्वीकृति 1 साल से अटकी थी। उस पर मोहर लगा दी। ऐसा अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। देखना यह है कि अपने पहलवान कब और कैसे इस प्रहार का पलटवार करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

 ऑनलाइन ...

वैसे तो वर्दी कभी भी 2 नम्बरी कमाई को ऑनलाइन नहीं लेती है। मगर जब मामला दूरदराज का हो। तो ऑनलाइन कमाई स्वीकार कर लेती है। ताजा मामला बस स्टैंड इलाके का है। यहां पर राजधानी से आये कुछ विद्यार्थी एक होटल में रूके थे। होटल वाले ने बगैर आईडी के रूम दे दिये। जिसके बाद विद्यार्थी  ग्रुप में विवाद हो गया। तो वर्दी पहुंच गई। बस फिर क्या था। सबको थाने ले आई। जहां पर एक वर्दीधारी ने इनको छोडऩे के बदले 30 हजारी ऑनलाइन कमाई कर डाली। इसके अलावा होटल वाले व दूसरे ग्रुप से 50-50 हजारी नगदी छीन ली। ऐसी चर्चा वर्दीवालो के बीच सुनाई दे रही है। सच- झूठ का फैसला हमारे पाठक व खुद वर्दी कर ले। क्योंकि हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

पलटा ...

अन्नदाताओं के साथ हुए गबन कांड में एक अधिकारी भी शामिल है। यह गबन कांड 4 खोखे का है। जिसमें अपने उत्तम जी ने जांच करवा ली है। लेकिन सारा खेल राशि पलटने का है। यह काम कांड का मुख्य आरोपी एक-दो हजार लेकर करता रहा है। काफी लंबे समय से। कुछ राशि अधिकारी को भी देता था। इस दफा अधिकारी ने 5 पेटी की डिमांड कर ली थी। जिसे देने से आरोपी ने इंकार कर दिया। नतीजा ... पलटा नहीं हुआ और 4 खोखे का गबन कांड उजागर हो गया। यह वही अधिकारी है। जिसको जुलाई माह के अंतिम दिन अपने उत्तम जी ने रात में फोन किया था। किसानों को समझाने के लिए। क्योंकि अन्नदाता रात में धरने पर बैठ गये थे। अब देखना यह है कि आरोपी के पकडाने पर किस-किस के नाम उजागर होते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

साजिश ...

संकुल के गलियारों में चर्चा है। एक साजिश की। जिसके शिकार अपने कूल जी हो गये थे। कार्यविभाजन आदेश में। पिछले महीने का मामला है। इस आदेश में अपने कूल जी से 2 पेटी के वित्तीय अधिकार छीन लिये गये थे। आदेश देखकर अपने कूल जी चुप रहे। इधर साजिश करने वाले सफल हो गये। खुशी मनाई गई। मगर यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी। 18 से 20 दिन के अंदर ही अपने उत्तम जी को खुलासा हो गया। आर्डर गलत हुआ है। उन्होंने तत्काल आदेश बदल दिया। अब कूल जी को वापस वित्तीय अधिकार मिल गये है। लेकिन इस साजिश में शामिल टीम का खुलासा होना बाकी है। जो जल्दी ही होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

तारीफ ...

स्मार्ट भवन से लेकर संकुल के गलियारों में इन दिनों तारीफ हो रही है। अपने 7 जिलो के मुखिया की। जिनके व्यवहार ने सभी का दिल जीत लिया है। खासकर, नायब तहसीलदार स्तर से लेकर तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी खुलकर तारीफ कर रहे है। उदाहरण भी दिये जा रहे है। मातहत बोल रहे है कि आज तक ऐसा अधिकारी नहीं देखा। जो अपने मातहतो के भोजन का भी ख्याल रखे। घूमने निकले तो मातहतों को देखकर बोले। आप लोग बैठे रहो। मैं केवल घूमने निकला हूं। फिर भी मातहत परेशान दिखे। तो विवि परिसर में घूमने निकल जाये। यही वजह है कि सभी अपने 7 जिलों के मुखियां की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे है। देखना यह है कि व्यवहार में कुशल अपने 7 जिलो के मुखियां की कार्यप्रणाली कैसी है। जो जल्दी ही उजागर होगी। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चलते-चलते ...

छतरी पड़ेगी- टी-शर्ट पर भारी हो गई बगावत की तैयारी/ बडबोले नेताजी को घर बैठाना है/ महिदपुर को मुक्त कराना है... ऐसी चर्चा कमलप्रेमी कर रहे है। देखना यह है कि मिशन-2023 में अपने बडबोले नेताजी के साथ कमलप्रेमी क्या न्याय करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।