25 सितम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
इज्जत ...
तो आखिर अपने स्वागतप्रेमी जी की इज्जत बच गई। वर्दीधारी को हटवाकर चार चांद लग गये। लेकिन इसके लिए उनको गुहार लगानी पड़ी। कारण ... अपने पहलवान नाराज थे। थाने के घेराव से। फिर वर्दीधारी को हटाने की मांग से। ऐसे में 3 दिन तक मामला लटक गया। इधर स्वागतप्रेमी की किरकिरी हो रही थी। इसलिए उन्होंने ढीला-मानुष से गुहार लगाई। माफी मांगी- वादा किया। आगे से ऐसा नहीं होगा। इस दफा इज्जत बचा लो। जिसके बाद अपने ढीला-मानुष को दया आ गई। उन्होंने अपने कप्तान के पास स्वागतप्रेमी को भेजा। तब कही जाकर, बैक डेट में 22 को आदेश निकला। ऐसा वर्दीधारी के हटने पर अपने युवा कमलप्रेमी बोल रहे है। युवा कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
अप- डाउन ...
भले ही अपने उत्तम जी ने रोक लगा रखी है। अप-डाउन करने पर। लेकिन चुनावी अधिकारी इस रोक को नहीं मानते है। हर रोज मां चामुंडा नगरी रात में निकल जाते है। अपने सरकारी वाहन से। इससे उनका ड्रायवर दु:खी है । कारण चुनावी अधिकारी का फरमान है। मुझे छोड़कर वापस बस से जाओं... और फिर सुबह बस में बैठकर लेने आओं। बेचारा ड्रायवर दु:खी है। हर रोज के इस 1 घंटे के बस के सफर से। तभी तो शिकायत करने की तैयारी में है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
दक्षिणा ...
बहुत साधारण बात है। अगर किसी पूजा के आप मुख्य यजमान है। तो आपको दक्षिणा जेब से ही देनी होगी। पूजा कराने वाला पंडित भी जोर-जोर बोलता है। दक्षिणाय: नम:। मगर कुछ यह सुनकर अनसुना कर देते है। जैसे अपने अल्फा जी व उत्तम जी। मगर अपने डेल्टा जी ने तत्काल 500 दिये। जबकि विकास पुरूष ने 100-100 की दक्षिणा दी। ऐसी चर्चा खबरचियों की संस्था में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
आंकड़ा ...
शीर्षक पढ़कर हमारे पाठक सही अंदाजा नहीं लगा पाये शायद। किन्तु अगर 36 का आंकड़ा पढ़ेंगे। तो तत्काल समझ जायेंगे। हम क्या कहना चाह रहे है। दरअसल 36 का आंकड़ा इन दिनों अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें इशारा अपने मामाजी और विकास पुरूष की तरफ है। जो कि शुक्रवार को नजर भी आया। अपने मामाजी के कार्यक्रम में। कमलप्रेमी दबी जुबान से बोल रहे है। विकास पुरूष को देखकर अपने मामाजी के चेहरे की भाव-भंगिमा हर दफा अलग-अलग नजर आई। सीधी भाषा में कहें तो ... नाराजगी- झल्लाहट नजर आई। कुछ तस्वीरे भी कमलप्रेमी दिखा रहे है। जो कि 36 का आंकड़ा साबित कर रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
पार्टनर ...
पिछले सप्ताह पंजाप्रेमी देश की राजधानी में थे। आधा दर्जन पंजाप्रेमी। सभी टिकिट के दावेदार। उत्तर-दक्षिण से। अब एकत्रित होंगे। तो शिकायत भी होगी। एक-दूसरे की पोल खोलेंगे। प्रदेश प्रभारी के समक्ष यही किया। किसी पंजाप्रेमी ने सबूत रख दिये। पंजाप्रेमी छोटा-बटला जी और कमलप्रेमी प्रदेश खजांची आपस में पार्टनर है। बिल्डरशिप के धंधे में। यह भी बोल दिया। अगर कमलप्रेमी प्रदेश खजांची को टिकिट मिला। तो छोटा बटला जी निर्दलीय चुनाव लडेंगे। ऐसा अपने पंजाप्रेमी बोल रहे है। देखना यह है कि पंजाप्रेमियों की भविष्यवाणी कितनी सही साबित होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
धमकी ..
मिशन-2023 का आगाज हो चुका है। ऐसे में सत्तादल से उम्मीद रहती है। वह विन्रमता से पेश आये। खासकर सार्वजनिक मंच से। मगर कमलप्रेमियों के सिर पर सत्ता का नशा चढा है। तभी तो अपने लेटरबाज जी उखड गये। वह भी मंच से। जब उनके हाथ में माइक था। उन्होंने कार्यक्रम संचालक को धमकी दे डाली। ट्रांसफर करवा दूंगा... 300 किलोमीटर दूर। बेचारा संचालक सकपका गया। बगैर गलती के मिली इस धमकी पर। इसलिए चुप हो गया। लेकिन कमलप्रेमी इस धमकी की खूब चर्चा कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
पार्टी ...
चुनावी माहौल चल रहा है। इसलिए शीर्षक पढ़कर यह नहीं सोचे। हम किसी कमल या पंजा पार्टी की बात कर रहे है। हम तो यहां उस पार्टी की बात कर रहे है। जो 2 सप्ताह पहले इतवार के दिन हुई थी। लेट-नाइट पार्टी। जिसने बालीवुड की पार्टी को भी पीछे छोड़ दिया। देवास रोड वाली होटल में पार्टी हुई। यह होटल अपने अल्फा जी के ऑफिस से ज्यादा दूर नहीं है। पार्टी एक बिल्डर ने दी थी। अपने जन्मदिन की खुशी में। जिसमें समाज के प्रतिष्ठित भद्रजन शामिल थे। पार्टी में जो कुछ देर रात तक हुआ। वह हम लिख नहीं सकते है। समाज के भद्रजनों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। क्योंकि इनकी जेब में पॉवर और पैसा दोनों है। इसलिए वर्दी ने भी चुप्पी साधे रखी। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सेटिंग ...
हरित क्षेत्र में बनी एक होटल को लेकर पहले ही प्रशासन परेशान है। निर्देश है कि कार्रवाई करो। ऐसे में एक ओर होटल की शिकायत हुई है। अपने उत्तम जी को। हरिफाटक ब्रिज रोड पर यह होटल है। शिकायत को अपने उत्तम जी ने टीएल में शामिल कर लिया। जांच हुई। नपती की गई। यहीं पर सेटिंग हो गई। नपती करने वाले ने हरे-गुलाबी कागज से अपनी जेब भर ली। क्लीन चिट दे दी है। 200 मीटर की परिधि से बाहर बता दिया। जबकि सभी को पता है। नदी किनारे निर्माण हुआ है। नियमों के विपरीत। देखना यह है कि रिपोर्ट मिलने पर अपने उत्तम जी क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
व्यापार ...
महाकाल लोक के निर्माण से शहर में व्यापार बढ़ा है। इसमें कोई शक नहीं है। इस चक्कर में सफेदवर्दी का भी धंधा खूब फल-फूल रहा है। एक घटना सुनाई जा रही है। पिकअप वाहन पकड लिया था। जिस पर लिखा था। मुनिया की परी। इसमें 17 दर्शनार्थी सवार थे। सफेदवर्दी ने जैसे ही इसे देखा। अपना व्यापार चमका लिया। वाहन अंदर और दर्शनार्थी बाहर बैठा दिये, वाहन नं. 6050 के। फिर व्यापार बढ़ाने की चर्चा हुई। 10 हजारी डिमांड थी। इसके बाद आगे क्या हुआ। हमको पता नहीं है। मगर व्यापार वृद्धि की शुभकामनाएं देते हुए, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
लालच ...
राजधानी में आज मिनी महाकुंभ होने जा रहा है। अपने कमलप्रेमियों का। जिसके लिए कार्यकर्ता चाहिये। जो राजधानी चले। व्यवस्था भी की गई है। मगर कार्यकर्ता घर से निकलने को तैयार नहीं है। तो महिला कार्यकर्ताओं को पुचकारा जा रहा है। लालच दिया गया है। कुबरेश्वर धाम के दर्शन का। इसी के चलते कई भजनमंडली भी कार्यकर्ता बनकर तैयार की गई है। खासकर महिलाओं को तैयार किया गया है। ऐसा अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। धर्म-आस्था और दर्शन के नाम पर भीड भी जुट गई है। मगर हमको यह देखना है। लालच देकर ले जाई जा रही महिलाओं को दर्शन होते है या सीधे राजधानी से वापस लाया जाता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नियम ...
नगरीय प्रशासन विभाग का नियम है। कोई भी संकल्प अगर एमआईसी या परिषद से पारित होता है। तो उसे 7 दिन में कार्यपालन हेतु भेज देना चाहिये। किन्तु इसके उलट होता है। 6-6 महीने निहित- निज- हितार्थ के कारण संकल्प अटकाये जाते है। एक ऐसा ही मामला अभी-अभी अटकाया है। अपने प्रथमसेवक जी ने। जिन्होंने अभियोजन की स्वीकृति तो दे दी। लेकिन संकल्प पत्र पर आज तक दस्तखत नहीं किये है। जबकि बैठक संपन्न हुए आज 10 वां दिन है, और नियम 7 दिन का है। अब हस्ताक्षर क्यों नहीं हुए है। तो ऊपर आप पढ़ चुके है। निहित- निज- हितार्थ। जिसमें हम आखिर क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
आमने-सामने ...
एक जनप्रतिनिधि और आईएएस आमने-सामने हो गये है। महाकाल की नगरी में नहीं, बल्कि होलकर नगरी में। जिसे देश में नम्बर-1 का खिताब हासिल है। जहां के प्रथमसेवक और मैडम खुलकर मैदान में आ गये है। बयानबाजी हो रही है। पलटवार किया जा रहा है। मामला एक संकल्प पारित होने से जुड़ा है। जिसके चलते यह लडाई शुरू हुई है। देखना यह है कि बयानों की इस प्रतिस्पर्धा में जीत किसकी होती है। आईएएस अफसर की या नम्बर-1 शहर के प्रथमसेवक की। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।