20 जून 2022 (हम चुप रहेंगे )

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

20 जून 2022 (हम चुप रहेंगे )

बोली ...

हमारे पाठक बोली का अर्थ समझते होंगे। मगर यहां बोली से मतलब भाषा से नहीं है। बल्कि कमाऊ पद के लिए लगाई गई बोली से है। जिससे जेब गर्म होती है। शिवाजी भवन में आजकल ऐसा ही हो रहा है। मामला झोन प्रभारी से जुड़ा है। जिसके लिए व्यक्ति ने 50 हजारी भुगतान किया। नतीजा प्रभारी का आर्डर निकल गया। फिर इसी प्रभारी को एक अन्य झोन का भी अतिरिक्त चार्ज दे दिया गया। जिसकी एवज में भी सौदा हुआ। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन में सुनाई दे रही है। जिसमें इशारा अपने खंजाची जी की तरफ है। इसके पहले भी प्रतिमाह बंदी का खुलासा किया जा चुका है। बहरहाल शिवाजी भवन में चल रही पदों की बोली को लेकर हम कुछ नहीं कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

आदत ...

भले ही शायर नदीम शाद ने बेहतरीन शेर लिखा है। उसको भुलाकर मुझको यह एहसास हुआ/ आदत कैसी भी हो छोड़ी जा सकती है। मगर कुछ आदते मरते दम तक नहीं जाती है। फिर भले ही उसकी पोल खुलने से बचने के लिए 3 पेटी का भुगतान करना पड़े। हमारे पाठक सोच रहे होंगे? कौनसी आदत और किसको किया भुगतान? तो हम एक बार फिर शिवाजी भवन चलते है। जहां के शौकीन मिजाज  उपयंत्री का यह मामला है। स्पा (मसाज) के शौकीन ने करीब 7-8 महीने पहले 3 पेटी का भुगतान किया था। जिसकी वजह यही थी कि रंगे हाथों पकडऩे वालो ने, उपयंत्री के शौकीन मिजाज को लेकर सबूत जुटा लिये थे। सबूत ... क्रेडिट कार्ड से भुगतान का था। इसी वजह से फस गये थे। मगर आज भी आदत नहीं बदली है। इसीलिए शिवाजी भवन वाले शायर नदीम शाद को याद कर रहे है। तो करते रहे... हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

इश्क ...

बहुत पुरानी चर्चित गजल है। जो हमारे पाठकों ने कई दफा सुनी होगी। इश्क नचाये जिसको यार/ वो फिर नाचे बीच बाजार...! यह गजल इन दिनों चक्रम के गलियारों में सुनाई दे रही है। सुगबुगाहट है कि कानून का ज्ञान कराने वाले विभाग के मुखिया इश्क के जाल में फस गये। वह अपनी शिष्या पर ही मोहित हो गये। जिसकी शिकायत हुई। चक्रम के मुखिया ने बदनामी के डर से शिकायत दबा ली। मगर, कानून के मुखिया पद से हटा दिया। सोचा .. इस नुकसान से इश्क का भूत उतर जायेगा। यह भी चर्चा है कि इश्क के मारे प्रोफेसर ने होस्टल में भी यह खेल शुरू कर दिया था। नतीजा छात्रों ने भी शिकायत करी। इतना कुछ होने के बाद भी इश्क  अपने प्रोफेसर को बीच बाजार में नचा रहा है। जिसके चलते यह गजल सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

अहसान बनाम वसूली ...

कमलप्रेमियों की आखिरकार सूची जारी हो गई। जिसके बाद हंगामा मचना कोई नई बात नहीं है। हर बार की तरह विरोध हो रहा है। मगर कमलप्रेमियों में अपने पहलवान को लेकर 2 कहानियां सुनाई दे रही है। जिसका अर्थ अहसान बनाम वसूली है। पहली कहानी कर्ज वसूली से जुड़ी है। सटोरिये पुत्र पर 45 पेटी उधार थी। जो कि देने में आना-कानी कर रहा था। पिछले सप्ताह एक बैठक हुई। जिसमें यह तय हुआ कि ... 20 पेटी अभी दे देते है। बाकी 20 पेटी टिकिट तय होने के बाद मिल जायेगी। पहलवान ने अपना वादा निभा दिया। टिकिट दिलवा दिया। दूसरी कहानी यह है कि ... कर्जदार ने बगैर मांगे ही राशि वापस कर दी थी। जबकि कोई लिखा पढ़ी भी नहीं थी। इससे अपने पहलवान अहसान के तले दब गये। उन्होंने अपना यह अहसान उतार दिया। अब पाठकगण अपनी समझदारी से जिस कहानी पर यकीन करना हो, कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

फटकार ...

भगवान महाकाल किसी को भी यह दिन नहीं दिखाये। मगर अपने पपेट जी को यह दिन देखना पड़ा। वह भी राजधानी स्थित शिवाजी नगर बस स्टाप से लगे मुख्यालय पर। मंगलवार की घटना है। अंदरखाने की खबर है कि टॉप बॉस ने तलब किया था। जहां पर एक गुजराती ठेकेदार मौजूद था। ठेकेदार और पपेट जी के बीच 36 का आंकड़ा है। नतीजा ठेकेदार ने राजधानी बुलवाकर, टॉप बॉस के सामने अपनी भड़ास निकाली। जिसे सुनकर अपने पपेट जी चुप रहे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  

007...

आज की युवा पीढी भले ही 007 का अर्थ नहीं समझती है। मगर जासूसी नावेल पढऩे के शौकीन पाठक 007 का अर्थ समझते है। हमारे पाठक सोच रहे होंगे। हम चुप रहेंगे से ... 007 का क्या लेना देना। तो हम बताते है। दरअसल अपने चुगलीराम जी पर इन दिनों जेम्स बांड 007 बनने का भूत सवार है। तभी तो वह अपने मातहतों का फोन चेक कर रहे है। नतीजा एक कर्मचारी उनके मत्थे आ गया। उसने फोन देते हुए कह दिया कि ... इसमें वह भी रिकार्डिंग है। जिसमें आपने दूसरो पर निगाह रखने की बात कही थी। इसके अलावा मेरी निजी रिकार्डिंग है। अगर किसी ने निजी रिकार्डिंग सुनी। तो वर्दी में आवेदन दे दूंगा। यह सुनते ही जासूसी का भूत उतर गया। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

सात जन्म ...

विकास पुरूष जैसा सफल राजनीतिज्ञ अगर बनना है। तो शहर के कमलप्रेमियों को 7 जन्म लेना होंगे। ऐसा खुद कमलप्रेमी बोल रहे है। इशारा टिकिट वितरण को लेकर है। अपने वजनदार जी के समर्थकों के नाम 24 घंटे में काट दिये गये। इसमें सहमति जरूर अपने विकास पुरूष की थी। लेकिन दबाव केसरिया झंडे वाले भवन का था। इधर वाहे-गुरू के अनुयायी में भी 2 गुट हो गये। जिसको लेकर चर्चा है कि तीसरी शादी करने वाले प्रत्याशी ने 20 पेटी का  मूल्य देकर टिकिट लिया है। इस भुगतान से भी अपने विकास पुरूष का दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। इसके अलावा दमदमा वार्ड का टिकिट इसलिए कटा, क्योंकि प्रत्याशी अल्पसंख्यक था। जिस पर केसरिया झंडे वाले भवन को आपत्ति थी। कमलप्रेमी यह भी बोल रहे है कि अपने विकास पुरूष ने सहमति से पहले साफ कह दिया कि ... हार-जीत आपकी जिम्मेदारी है। इतना ही नहीं 2018 के चुनाव में जिन 7 कमलप्रेमी नगर सेवकों ने विकास पुरूष के विरोध में काम किया था। उनको भी विकास पुरूष ने इस बार घर बैठा दिया है। अब अगर कमलप्रेमी 7 जन्मों की बात कर रहे है। तो उनकी बात में दम है। बाकी  हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

सियासत ...

राजनीति करने के लिए बहुत हिम्मत होनी चाहिये। विरोध और मुर्दाबाद तक तो ठीक है। खुद अपना ही पुतला दहन करवा देने की सलाह देना। हर किसी के बूते की बात नहीं होती है। यह बात हम नहीं, बल्कि अपने पंजाप्रेमी बोल रहे है। इशारा पंजाप्रेमी मुख्यालय पर दहन हुए पुतलो की तरफ है। जिसमें अपने बिरयानी नेताजी का भी पुतला शामिल था। अब सवाल यह है कि इसके लिए सलाह किसने दी। तो अंदरखाने की खबर है कि अपने बिरयानी नेताजी ने ही, अपने खास के जरिए यह सलाह दिलवाई थी। पुतला दहन कर दो। ताकि पंजाप्रेमियों का आक्रोश बाहर निकल जाये। फिर बाद में बातचीत से मामला सुलटा लेंगे। इसे कहते है सियासत। जिस पर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

शुभचिंतक ...

चुप रहेंगे कालम के कई शुभचिंतक है। जिसमें अफसर से लेकर राजनीतिज्ञ भी शामिल है।  एक शुभचिंतक हमको अतिप्रिय है। तभी तो उन्होंने हमको शनिवार को एक मैसेज किया। जिसमें हमको अलर्ट किया। शुभचिंतक ने लिखा कि ... आपकी एक रिकार्डिंग मार्केट में चल रही है। सावधान रहे। ताज्जुब की बात यह है कि हमारे प्रिय शुभचिंतक ने हमको रिकार्डिंग नहीं भेजी। इसलिए हमको नहीं पता है कि ... रिकार्डिंग कैसी है और किसने बनाई है। असली है या नकली। बहरहाल हम अपने इस शुभचिंतक को साधूवाद देते हुए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।