जिस पर नहीं था बिलकुल भरोसा, उसी निगम ने लाज बचाई ...!

जिस पर नहीं था बिलकुल भरोसा, उसी निगम ने लाज बचाई ...!

उज्जैन। आखिरकार 11 अक्टूबर की शाम को प्रधानमंत्री के हाथों महाकाल लोक आम जनता के लिए समर्पित हो गया। सबकुछ बगैर किसी विवाद या दाग के निपट गया। हालांकि प्रधानमंत्री के उज्जैन आते ही एक घटना हुई। क्षिप्रा नदी के बड़े पुल पर। लेकिन नगर निगम उज्जैन ने अपनी कार्यकुशलता से इस घटना को ऐसे दबा दिया। जैसे कुछ भी नहीं हुआ। तभी तो निगम के गलियारों में बुधवार को चर्चा रही जिस पर नहीं था बिलकुल भरोसा: उसी निगम ने लाज बचाई ...!

ऊपर लगी तस्वीर को झूम करके  देखे। प्रधानमंत्री के सभा स्थल से मात्र 100 मीटर दूरी की यह तस्वीर है। बड़े पुल पर भव्यता दर्शाने के लिए श्री महाकाल लोक बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा गया था। जिसके लिए एक एजेंसी को काम दिया था। मकसद यह था कि ... हर किसी को दूर से ही नजर आये श्री महाकाल लोक। जल्दबाजी में इसको बनाकर लगाया गया। जिसके चलते सही तरीके से नहीं लग पाया। इसके आसपास प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के होर्डिंग्स भी लगाये गये। नदी किनारे लगा यह श्री महाकाल लोक देखने में बहुत सुंदर लग रहा था।

आने से पहले ही ...

नगर निगम में चर्चा है। जिस वक्त माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उज्जैन की धरती पर कदम रखा। उनका काफिला मंदिर के लिए रवाना  हुआ। उसी दौरान बड़े पुल पर लगा यह होर्डिंग्स अचानक ही गिर गया। जिसकी खबर तत्काल कलेक्टर आशीषसिंह व आयुक्त नगर निगम राकेश सिंह को दी गई समय लगभग साढ़े 5 से 6 के बीच का है। खबर मिलते ही हड़कंप मच गया। कारण ... थोडी देर बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी का आगमन होना था। नतीजा ... तत्काल निर्देश मिले... तत्काल सुधारो। इधर आमसभा स्थल के लिए भीड का आगमन शुरू हो चुका था। कहीं से भी क्रेन आदि लाने का रास्ता ही नहीं था। उधर उच्च स्तर से लगातार दबाव रहा था। जल्दी सुधारो-जल्दी सुधारो...

तत्काल निर्णय ...

निगम सूत्रों का कहना है कि इस दबाव के चलते कुछ समझ नहीं आ रहा था। आखिर क्या किया जाये। ऐसे में एक ही रास्ता नजर आया। ना रहे बांस ... ना बजे बांसुरी। अपर आयुक्त आदित्य नागर ने इसी कहावत पर अमल किया। उन्होंने  नगर निगम की टीम बुलवाई। निर्देश दिये कि ... इसको पूरा ही गिरा दिया जाये। टीम ने आदेश पर अमल किया। नतीजा ... जब तक प्रधानमंत्री सभा स्थल के लिए रवाना होते, उसके पहले ही श्री महाकाल लोक .... क्षिप्रा नदी के अंदर समाहित  कर दिया गया। इस घटना की कानो-कान किसी को भनक नहीं लगी। कलेक्टर  व आयुक्त भी निगम की इस कार्यवाही से खुश नजर आये। ऐसी निगम में चर्चा है। तभी तो निगम के कर्मचारी खुलकर  बोल रहे है। जिस पर नहीं था बिलकुल भरोसा... उसी ने निगम ने लाज बचाई