15 जुलाई 2024 (हम चुप रहेंगे)

15 जुलाई 2024 (हम चुप रहेंगे)

बधाई ....

हम चुप रहेंगे डाटकॉम की तरफ से लख-लख बधाई। इसके साथ अनगिनत सेल्यूट। क्योंकि काम ही बधाई और सेल्यूट वाला किया है। हमारे पाठक सोच रहे होंगे? आखिर किसकी तारीफ में हम कसीदे पढ रहे है। तो उनकी यह जिज्ञासा खत्म कर देते है। हमारी बधाई और सेल्यूट दूसरे माले के मुखिया को है। जिन्होंने साबित कर दिया। पुष्पा फिल्म के डायलॉग को। झुकेगा नहीं। इस दौरान बहुत प्रेशर में रहे। हर रोज देवी अहिल्यानगरी गये। जमीन का इतिहास खंगाला। सन् 1911 तक के दस्तावेज खोजे गये। इस दौरान उन्होंने धैर्य बरकरार रखा। बिलकुल नहीं बिफरे। शायद इस भरोसे पर। सच की आखिर जीत होती है। उनका यह धैर्य आखिर काम आया। जीत हासिल हुई। इसलिए हम फिर एक बार बधाई देकर और सेल्यूट करके अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नोटिस ....

अंदरखाने की खबर है। अपने दूसरे माले के मुखिया सातवें लेबल के आक्रोश में है। उनकी प्रतिष्ठा को दाव पर लगाने वाली खबर से। जो कि देवी अहिल्यानगरी से  प्रकाशित हुई थी। इस खबर से वह बहुत ज्यादा विचलित हो गये थे। मगर उस वक्त चुप रहे। अब जंग जीतने के बाद उन्होंने ठान लिया है। भ्रामक खबर लिखने वाले खबरची के खिलाफ एक्शन लेंगे। इसीलिए तो नोटिस देने की तैयारी अंदर ही अंदर चल रही है। संकुल के गलियारों में तो यही सुगबुगाहट है। देखना यह है कि नोटिस जारी होता है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

विभीषण ...

शीर्षक पढ़कर शायद वह कहावत याद आ जाये। घर का भेदी लंका ढाये। संकुल के गलियारों में आखिरकार विभीषण की पहचान हो गई है। यह एक ग्राम देवता है। जिन्होंने दूसरे माले के मुखिया को मुसीबत में डाल दिया। इस ग्राम देवता के कारण ही सीलिंग मुक्त जमीन कांड में इतनी मुसीबत खड़ी हुई। भरोसेमंद सूत्र पुष्टि कर रहे है। इस ग्राम देवता ने न्याय-मंदिर के आदेश को ही फाइल से गायब कर दिया था। कारण ...ग्राम देवता का अल्पसंख्यक बिल्डर के सुपुत्र से याराना है। जिन्होंने आदेश को ही गायब करवा दिया। नतीजा ... दूसरे माले के मुखिया को देवीअहिल्या नगरी में पेश होना पडा। वह भी दो जगह।  प्रताडना सहनी पड़ी। जिसके बाद खोजबीन हुई। तो पता चल गया।। इस स्टेज पर लाने वाला विभीषण कौन है? अब इस ग्राम देवता के बुरे दिन शुरू हो चुके है। फिलहाल हल्का बदला गया है। जल्दी ही बड़ी कार्रवाई होगी। भविष्य अंधकारमय होगा। चर्चा तो यही सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

उधारी खुश ..

अपने उधारीलाल जी खुश हैखुशी, उधारी चुकाने से नहीं जुड़ी है। बल्कि निजी समस्या का निराकरण होने से जुड़ी है। आगर रोड पर उनका मकान है। जिसके बगल में नाला है। जो कि 3 साल से खुला पडा था। उन्होंने जब पंजाप्रेमी थे। तब भी गुहार लगाई थी। राघौगढ़ दरबार में। मगर सुनवाई नहीं हुई थी। मिशन-2023 के बाद वह कमलप्रेमी बन गये।  तो अपने विकासपुरूष से गुहार लगाई। तत्काल आदेश हो गये। नाले पर निर्माण शुरू हो गया। वैसे एक काम भुगतान से भी जुडा है। उनके रिश्तेदार का। करीब 2 पेटी का। जिसके लिए भी उन्होंने गुहार लगाई है। भुगतान का तो पता नहीं। किन्तु नाले निर्माण से अपने उधारीलाल जी से खुश है। तो हम भी उनकी खुशी को देखकर,अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

भय ...

राजा का भय ऐसा और इतना होना चाहिये। कोई भी विरोध में नारेबाजी  करने से पहले सोचे। करीब 10 दिन पहले नीट- परीक्षा को लेकर पंजाप्रेमी ज्ञापन देने गये थे। संकुल के द्वार पर। जहां पंजाप्रेमी शहर मुखिया ने  विकासपुरूष के खिलाफ नारा लगाया। यह देखकर खनिज का काम करने वाले पंजाप्रेमी नेता ने उनको तत्काल रोक दिया। गुहार लगाई। विकासपुरूष के खिलाफ नारेबाजी नहीं करनी है। कारण ... विकासपुरूष के स्वजातीय पंजाप्रेमी नेता भुक्त भोगी है । उनके डम्पर जब्त हो चुके थे। इसलिए उन्होंने पंजाप्रेमियों को विरोध में नारेबाजी करने से रोक लिया। ऐसा हम नहीं, बल्कि प्रदर्शन में शामिल पंजाप्रेमी बोल रहे है। बात सच है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

चाल ...

राजनीति और शतरंज की बिसात पर हमेशा चाल चली जाती है। अपने विरोधियों को पटकनी देने के लिए। मगर कभी-कभी यह चाल उल्टी पड जाती है। अपने पिस्तौलकांड नायक के साथ यही हुआ। उन्होंने अपनी विधानसभा के कट्टर दुश्मन जलवा- नरेश को निपटाने की तैयारी की थी। चाल चली, उनकी दुकाने तुडवाने के लिए। दबाव बनाया। 5 दुकाने तोडी जाये। मगर यह चाल उल्टी पड गई। जलवा नरेश ने वजनदार जी का सहारा लिया। नतीजा ... तहसील कार्यालय में स्थापित सभी 2 दर्जन दुकानों पर बुलडोजर चल गया। ऐसा ही हाल कुछ टप्पा कार्यालय की दुकानों का हुआ। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

डूबकी ...

भ्रष्टाचार की गंगोत्री में हर कोई डूबकी लगाने को तैयार रहता है। बशर्त मौका मिले। सीलिंग मुक्त जमीन की यही कहानी है। तत्कालीन आईएएस ने जमकर डूबकी लगाई। जमीन मुक्त करी। बकायदा आदेश निकालकर। जिसके बाद सन् 2018 माह जनवरी में एक आदेश निकला। जिसमें पुराने आदेश को निरस्त किया गया। मगर नये आदेश पर किसी ने अमल नहीं किया। बल्कि 2018 के आदेश को दबा लिया गया। पुराने आदेश पर ही अमल करते हुए, हर किसी ने भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डूबकी लगाई। जिसमें अपने चुगलखोर जी भी शामिल है। जिन्होंने ताज नाम के ग्राम जमीन मुक्त करके डूबकी लगाई। अपनी जेब गर्म की। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। जल्दी ही इस मामले की जांच हो सकती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चुप ...

 अभी-अभी एक बैठक हुई थी। कमलप्रेमी भवन में। जिले के कमलप्रेमियों की। जिसमें तीनों माननीय मौजूद थे। इसके अलावा अपने बडबोले नेताजी भी मौजूद थे। जिन्होंने अपनी आदत के अनुसार बैठक में बडबोलापन दिखाया। 15 मिनिट तक खूब बोला। उनकी बातों का लब्बों- लुवाब यही था। बकौल शायर डॉ. नवाज देवबंदी। मैं ही मैं है तुम्हारी बातों में/ क्या खुदाई का शौक रखते हो....। जिसके बाद बैठक प्रभारी का उद्बोधन था। जिन्होंने अपने बडबोले नेताजी को शानदार सबक सिखाया। उन्होंने बगैर नाम लिए कहां कि ... आप कुछ भी बन जाओं। कितने ही बड़े माननीय हो जाओं। मगर संगठन के लिए अगर 5 नये कार्यकर्ता पैदा नहीं कर सकते हो? तो कोई फायदा नहीं। बैठक प्रभारी की नसीहत सुनकर सबकी निगाहें अपने बडबोले नेताजी पर थी और नेताजी इशारा समझ गये। तो वह चुप रहे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

डिमांड ...

वर्दी वालो में चर्चा है। एक डिमांड की। यह डिमांड एक अति पॉवरफूल कमलप्रेमी नेताजी के नाम पर की गई थी। एक अधिकारी से। 50 हजारी डिमांड थी। जिसे सुनकर अधिकारी चौक गये। वह सीधे पॉवरफूल नेताजी के पास पहुंच गये। उनको पूरी घटना बताई। फोन पर डिमांड की गई थी। नेताजी ने तत्काल वर्दी को सूचना दी। इसलिए उस फोन नंबर की खोजबीन हुई। फोन करने वाला कमलप्रेमी ही था। जिसके रिश्तेदार दूध व्यवसाय से जुड़े संघ के मुखिया रह चुके है। नतीजा ... वर्दी वालों ने डिमांड करने वाले को उठाया। अच्छी-खासी खातिरदारी की गई। फिर श्रीकृष्ण की जन्मस्थली भिजवा दिया गया। वर्दी वालों में तो यही सुगबुगाहट है। सच और झूठ का फैसला पाठकगण अपने विवेक से कर लें? क्योंकि हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

दबाव ... 

वैसे तो अपने दूसरे माले के मुखिया दबाव सहन नहीं करते हैं। वह यह साबित कर चुके है। मगर अभी-अभी हुए कार्यविभाजन में दबाव की महक आ रही है। एक ऐसे नायब राजस्व अधिकारी को ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ किया गया। जिनको उन्होंने खुद हटाया था। कारण ...नायब स्तर के अधिकारी ने अपने लिए 2 दलाल नियुक्त कर लिए थे। जो कि जेब गर्म होने के बाद इशारा देते थे। यह काम करना है। चुप रहेंगे डॉटकॉम ने इसका खुलासा किया था। जांच में सही साबित हुआ। नतीजा नायब स्तर के अधिकारी के हटा दिया था। लेकिन अब पुन: नई जगह बैठा दिया है। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। अब देखना यह है कि नायब स्तर के अधिकारी ग्रामीण में किन नये दलालों की नियुक्ति करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

रोग ...

मनुष्य में कई प्रकार के रोग होते है। शारीरिक रोग तो डॉक्टर ठीक कर देता है। मगर छपास रोग ... मानसिक होता है। तभी तो अपने प्रथमसेवक इस रोग के शिकार हो गये है। हर रोज 3-4 बैठक कर रहे है। सामाजिक व संगठन स्तर पर। जिसके प्रेसनोट भेजते है। मगर सबकुछ नहीं छपता है। छपता कोई एक ही है। उनके इस छपास रोग से, उनके करीबी परेशान है। मगर प्रथमसेवक को कोई समझा नहीं सकता। इसलिए सब चुप रहते है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कल देखता हूं ...

रविवार को अपने वजनदार जी के लिए खुशी का दिन था। हर कोई शुभकामनाएं दे रहा था। हमारी तरफ से भी शुभकामनाएं पौधारोपण कार्यक्रम की घटना है। फोन लगातार बज रहा था। वजनदार जी के निज सहायक के पास उनका फोन था। जो सबकी बधाई स्वीकार रहे थे। विनम्रता के साथ सभी को उत्तर दे रहे थे। वजनदार जी की तरफ से धन्यवाद। इसी दौरान एक ठसबुद्धि पहलवान का फोन आया। उन्होंने बधाई दी। निज सहायक ने विनम्रता से जवाब दिया। जिसे सुनकर ठसबुद्धि पहलवान उखड गये। उन्होंने निज सहायक को चेतावनी दे डाली। तुम कौन होते हो? उनकी तरफ से आभार प्रकट करने वाले। मेरी वजनदार जी से बात कराओं। निज सहायक ने आपा नहीं खोया। नतीजा .... ठसबुद्धि पहलवान ने धमकी दे डाली। कल देखता हूं। ऐसी चर्चा अपने कमलप्रेमी कर रहे है। जो उस वक्त मौजूद थे। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

मेरी पसंद ...

सच बात मान लीजिए चेहरे पर धूल है/ इल्जाम आईनों पर लगाना फिजूल है।