01 अप्रैल 2024 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

01 अप्रैल 2024 (हम चुप रहेंगे)

डायरी ...

संकुल के गलियारों में चर्चा है। एक डायरी की। जो कि रंगे हाथों पकडऩे वालो के पास है। इस डायरी में राजस्व विभाग के कई अधिकारियों के नाम शामिल हैयह नाम शिकायत मिलने के बाद हुई खोजबीन का परिणाम है। अब वाकई ऐसी कोई डायरी है या नहीं? इसका पता तो उन्हीं को होगा। जिन्होंने इसे बनाया है। जिससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है। इसीलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

बदल गये ... 

अपने कमलप्रेमी इन दिनों यह बोल रहे है। बदल गये-बदल गये- बदल गये। इशारा उत्तर-हाइनेस की तरफ है। जो आजकल पूरी तरह बदल गये है। ताज्जुब की बात यह है। कई मीडियाकर्मी भी कमलप्रेमी की बात पर मोहर लगा रहे है। लेकिन हाइनेस के बदलाव के पीछे आखिर कारण क्या है। इसको लेकर सब चुप है। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

 पिटाई ... 

मंदिर के गलियारों से निकलकर खबर आ रही है। मगर बाबा महाकाल के मंदिर से नहीं। बल्कि प्रथम आराध्यदेव के मंदिर से। जहां पर पिछले सप्ताह कुछ इंदौरी आये थे। काफी गुस्से में थे। विवाह प्रमाण-पत्र का कुछ मामला था। 4-5 की संख्या में थे इंदौरी। जिन्होंने आते ही मंदिर से जुड़े युवा को पकड़ा। अंदर लेकर गये। थप्पड रसीद किये और तत्काल रवाना हो गये। ऐसा मंदिर के कर्मचारी दबी जुबान से बोल रहे है। मगर हमको चुप ही रहना है।

 गवाह ....

आगजनी कांड के एक प्रमुख गवाह है। बल्कि चश्मदीद गवाह। वरिष्ठ अधिकारी है। वर्दीवाले विभाग से ताल्लुक रखते है। आरती में वह भी मौजूद थे। बकायदा वर्दी की तरफ से प्रोटोकॉल भी लगा था। उनके सामने ही पूरी घटना हुई। घटना होते ही वह तत्काल नंदीहॉल से निकल गये। ऐसा हम नहीं, बल्कि वर्दीवाले दबी जुबान से बोल रहे है। वरिष्ठ आलाधिकारी का नाम पूछने पर सब चुप हो जाते है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

गायब ... 

शासन-प्रशासन में हर काम के लिए आदेश निकाला जाता है। किसी की ड्यूटी लगानी हो या फिर हटाना हो। बगैर आदेश निकले कुछ भी नहीं होता है। आदेश निकलते ही सोशल मीडिया ग्रुप पर डाल दिया जाता है। जिससे सभी को पता चल जाता है। किन्तु पहली दफा ऐसा हुआ है। अपने इंदौरीलाल जी को हटाया गया। दमदमा वाले आईएएस साहब को प्रभारी बना दिया। लेकिन इसको लेकर निकला आदेश गायब है। कहावत की भाषा में गधे के सिर पर सिंग जैसा। केवल सरकारी भोपू ने 4 लाइन की सूचना दी है। लेकिन लिखित आदेश का सभी को इंतजार है। तभी तो संकुल के गलियारों में गायब-गायब सुनाई दे रहा है। बात सच भी है। मगर हमको चुप ही रहना है।

फरमान ...

अपने कुलगुरू ने फरमान निकाला है। चक्रम के आवासों को लेकर। सीधा फरमान है। जिनके निजी मकान है वह खाली करे। वरना बाजार दर से किराया वसूला जायेंगा। धारा 45 बी का उल्लेख किया है। देखना यह है कि इस धारा के तहत क्या अपने चिंटू जी से किराया वसूला जायेंगा? उनके सुरक्षाकर्मी भी चक्रम के आवास में रहते है। देखना यह है कि अपने कुलगुरू का फरमान असर लाता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

जूता ...

आमआदमी के आक्रोश का प्रतीक है जूता। जब वह लाचार-हताश होता है। तो जूता निकालकर फेकता है। सिंहस्थ 2016 की घटना हमारे पाठकों को याद होगी। अपने चाचा चौधरी के सामने टेबल पर जूता रख दिया था। अपने रहस्यमय मुस्कान ने। जो आज एक जिले के मुखिया है। ताजा घटना पड़ोसी संभागीय मुख्यालय की है। गेर खत्म हो चुकी थी। नम्बर-1 शहर के प्रथमसेवक कुर्सी पर बैठे थे। तभी उनकी टेबल पर किसी का फेका गया जूता गिरा। यह किसका आक्रोश था। यह तो पता नहीं। मगर प्रथमसेवक ने यही बोला। आपका स्वागत किया है। जिसे सुनकर वहां मौजूद बाकी सभी चुप रहे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

सीधी बात ...

अपने कप्तान जी सीधी बात कहने का दम रखते है। सामने हो या सेट पर। पिछले दिनों सेट पर निर्देश दिये। 1 घंटे के अंदर रिपोर्ट मेरी टेबल पर होना चाहिये। वरना खुद सोच लें। यह आदेश 3 स्टारधारियों के लिए था। कप्तान की सीधी बात ने उन लोगों को परेशान कर रखा है। जो कि हरे रंग की तलाश में ज्यादा रहते है। बजाय रिपोर्ट तैयार करने के। मगर कप्तान की इस कार्यशैली से ईमानदार वर्दीवाले खुश है। तो हम भी उनकी खुशी में शामिल होकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  जांच ... 

शीर्षक पढ़कर यह अंदाजा नहीं लगाये। हम आगजनी कांड जांच की बात कर रहे है। वह तो हो गई है। हम तो किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी वाली जांच की बात कर रहे है। जिसमें एक बैंक की भूमिका है। दक्षिण भारत के एक राज्य के नाम वाली यह बैंक है। इसमें पहले भी जांच हुई थी। अब एक बार फिर हो रही है। जांच अपने कूल जी करने वाले है। देखना यह है कि इस बार जांच में क्या नया निकलता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

धंधा बंद ... 

मंदिर में वर्षो से धंधा चल रहा है। भस्मार्ती और दर्शन करवाने का। जिसमें मंदिर के कई अधिकारी/कर्मचारी शामिल है। सुरक्षाकर्मी भी पीछे नहीं है। आगजनी कांड के बाद यह धंधा पूरी तरह से बंद हो गया है। जिसके लिए दमदमा वाले आईएएस साहब को बधाई। मगर उनको कुछ बदलाव और करना चाहिये। खासकर, वर्षो से एक ही पद पर जमे लोगों को हटाना जरूरी है। जब तक यह फेरबदल नहीं होगा। अंकुश ज्यादा दिन तक काम नहीं करेंगा। अधिकतम 30 दिनों में धंधा वापस चालू हो जायेंगा। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

सूची ...

 अपने विकासपुरूष इन दिनों मिशन-2024 की तैयारी में लगे है। जिसमें एक बात गौर करने लायक है। वह जिस-जिस जिले में जा रहे है। वहां के पंजाप्रेमी थोकबंद तादाद में कमलप्रेमी बन रहे है। बाबा की नगरी में भी जल्दी ही वह दिन आने वाला है। जिस दिन भी विकासपुरूष का कोई बड़ा कार्यक्रम होगा। उस दिन कई बडे पंजाप्रेमी मंच पर कमलप्रेमी अंगवस्त्र धारण करेंगे। सूची तैयार हो चुकी है। ऐसा अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। उनकी बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

25 बनाम 8 ... 

आगजनी कांड में 25 पेज पर 8 पेज भारी पड गये। अपने इंदौरीलाल जी ने 25 पेज की रिपोर्ट तैयार की थी। पूरी घटना को लेकर। मगर जांच समिति के 8 पेज भारी पड़ गये। तभी तो अंतरिम रिपोर्ट मिलते ही दूसरे माले के मुखिया ने तत्काल निर्णय ले लिया। हालांकि इसके पहले उन्होंने तीसरे माले के मुखिया से 45 मिनिट गोपनीय चर्चा की। जिसके बाद मीडिया को साफ कहां। दोषियों के नाम नहीं बताऊंगा। फिर बाइट दी। इसी दौरान सरकारी भोपू को भी तलब कर लिया था। नतीजा ... मीडिया से चर्चा के बाद 1 घंटे के अंदर इंदौरीलाल जी को रवानगी दे दी गई। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 
पिचकारी ...

 ऐसी मारी पिचकारी - चोटिल हुई अंखिया। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। घटना नगर गेर की है। जहां पर प्रथमसेवक जोश में होश खो बैठे। उन्होंने प्रेशर पिचकारी का मुंह अपने उत्तर हाइनेस के चेहरे पर कर दिया। प्रेशर पिचकारी से उनकी आंख चोटिल हो गई। इससे अपने हाइनेस तिलमिला गये। उन्होंने भी तत्काल उत्तर दिया। प्रेशर पिचकारी प्रथमसेवक के चेहरे पर लगा दी। प्रथमसेवक भी इस प्रेशर से प्रभावित हुए। मुंह पर सूजन आ गई। ऐसा यह घटना देखने वालो का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

 प्रतिबंध ...

वैसे तो नरवाई जलाने पर प्रतिबंध है। मगर केवल कागजों पर। तभी तो किसान बेफ्रिक होकर नरवाई जला रहे है। जिनको कार्रवाई करना है। वह देखकर भी चुप है। तो हम भी प्रशासन को केवल वीडियों दिखाकर,अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।