13 मार्च 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
वरदहस्त ...
अपने शहर में सोमरस का सेवन करने वाले एकमात्र देवता है। जिनके दरबार में भक्तों की आस्था से खिलवाड हो रहा है। खिलवाड करने वाले खुद मंदिर के कर्मचारी है। जो कि भक्तों द्वारा चढाये गये नारियल और तेल को बाजार में बेच रहे है। अब सवाल यह है कि इस कर्मचारी को आखिर किसका वरदहस्त है। तो मंदिर में सुगबुगाहट है। इस कर्मचारी पर अपने पिस्तौल कांड के नायक मेहरबान है। उन्हीं के माध्यम से इसकी मंदिर में इंट्री हुई थी। जिसके बाद तो कर्मचारी का प्रभुत्व दिनों-दिन बढता गया। बाहर इनकी खुद 4 दुकाने है। इसके बाद भी मंदिर में चढाई गई सामग्री को बेचते है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
चुनौती ...
जिले के मुखिया (नामकरण होना बाकी है) के लिए यह एक चुनौती है। एक घटना जो पिछले दिनों हुई। भात-पूजा के लिए मशहूर मंदिर में। मंदिर प्रशासक को अभद्रता का शिकार होना पडा। प्रशासक की गलती केवल यह थी। उसने नियम का पालन करवाना चाहा। 100 रूपये प्रति थाली अवैध वसूली पर रोक लगाई। नतीजा उनको धमकी दी गई। देने वाले मंदिर के मंहत और उनके सुपुत्र थे। प्रशासक ने लिखित में आवेदन दिया। अपनी जान को खतरा बताया। वर्दी के पास आवेदन जांच के नाम पर लंबित है। 1 सप्ताह होने वाला है। मगर, अभी तक प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है। कारण ... आरोपी पॉवरफुल है। जिनके खिलाफ प्रकरण दर्ज होना, असंभव है। तभी तो मुखिया के लिए यह चुनौती है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि ... अपने मुखिया जी इस चुनौती से कैसे निपटते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
इंतजार ...
अपने 7 जिलो के मुखिया इंतजार कर रहे है। अपने प्रमोशन होने का। जिसके चलते वह 2 साल से बिलकुल खामोश बैठे है। कभी सुर्खियों में नहीं आते है। बस ... पिछले दिनों आ गये। जब उन्होंने 6 प्लाटो का आवंटन निरस्त कर दिया। उनकी कार्यशैली चुप्पी वाली ही रही है। इसके पीछे कारण केवल प्रमोशन है। ऐसी चर्चा उनके कार्यालय के गलियारों में दबी जुबान से सुनाई दे रही है। यह चर्चा अब जोर पकड रही है। जल्दी ही 7 जिलो के मुखिया पदोन्नत होकर प्रमुख सचिव बनने वाले है। उसके बाद ही वह अपनी असली कार्यशैली उजागर करेंगे। देखना यह है कि ... 7 जिलो के मुखिया का इंतजार आखिर कब खत्म होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सर्वे ...
अपनी घमंडी मैडम ने पिछले दिनों एक सर्वे करवाया। अपने मामाजी की नई योजना को लेकर। मकसद था कि ... जिले में पात्र/अपात्र की सूची तैयार हो जाये। निर्देश मिलते ही सर्वे शुरू हो गया। घर-घर जाकर दस्तक दी गई। लेकिन यह सर्वे मात्र 3 दिन ही चल पाया। क्योंकि जिस सूची के लिए सर्वे हो रहा था। वह सूची राजधानी से भेज दी गई। सूची मिलते ही दमदमा के गलियारों में, घमंडी मैडम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे। दबी जुबान में सर्वे करने वाली महिलाएं बोल रही है। गजब करती है... अपनी घमंडी मैडम। बगैर सोचे- समझे निर्णय ले लेती है। महिला कर्मचारियों की बात सच है। मगर, हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चौधरी जी ...
अपने चाचा चौधरी जी तो हमारे पाठकों को याद होंगे। जिन्होंने सिहंस्थ संपन्न करवाया था। उनकी याद, इस तस्वीर को देखकर आ गई। तस्वीर किसकी है, यह हमें बताने की जरूरत नहीं है। रंगपंचमी पर्व पर अपने 2 नम्बरी नेताजी ने यह स्वांग रचाया। अपने चाचा चौधरी की याद आने के पीछे एक और कारण है। क्योंकि स्वांग रचाने वाले नेताजी ने कभी, अपने चाचा चौधरी जी को हेलीपेड पर यह बोल दिया था। विधानसभा का चयन कर लो... टिकिट मैं दिलवा दूंगा। जिसे सुनकर अपने चाचा चौधरी जी ने चुप्पी साध ली थी। वक्त का खेल देखिए। अपने 2 नम्बरी नेताजी ने 7 साल बाद उन्हीं चाचा चौधरी का रूप धारण कर लिया। ऐसा हम नहीं, बल्कि तस्वीर देखकर शहर के कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।
वाहियात ...
उर्दू का यह अल्फाज है। वाहियात। जिसका अर्थ होता है। सबसे खराब। अपने नये मुखिया ने इसका उपयोग किया। शनिवार को हुई बैठक में। समीक्षा हो रही थी। राजस्व कार्यो की। तब उन्होंने इस शब्द का उपयोग कर डाला। जिसके बाद बैठक खत्म हुई। तो कई राजस्व अधिकारी परेशान थे। इस शब्द के प्रयोग से। मगर मजबूरी में सुनकर सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बच जाते ...
पिछले सप्ताह रिश्वत लेते पकड़े गये कर्मचारी बच सकते थे। अगर, उनको पिछले साल ही पद से हटा दिया जाता। जिसके लिए राजधानी से चिट्ठी भी आई थी। तब शिवाजी भवन के मुखिया अपने पपेट जी थे। जिन्होंने इस चिट्ठी पर टीएल भी मार्क किया था। चिट्ठी में साफ निर्देश थे। शिवाजी भवन के इस कर्मचारी को तत्काल हटाया जाये। किन्तु, कर्मचारी नेता होने के कारण उनको किसी ने नहीं हटाया। उल्टे कमाऊ पद पर बैठा दिया। जिसका नतीजा यह है कि ... एक बार फिर ट्रेप हो गये। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। चर्चा 100 प्रतिशत सही है। अगर हटा देते... तो बच जाते। लेकिन ... लालच बुरी बलाय के चक्कर में फस गये। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।
गरज ...
उनकी गरज नहीं है। गरज अपनी है। उनके घर तक बैंक जाये। शासकीय कर्मचारी जाये। कोई कोताही नहीं होनी चाहिये। ऐसे निर्देश अपने मामाश्री ने दिये है। वीसी के माध्यम से। मामला ... लाडली बहन योजना का है। जिसमें 23 से 60 तक की उम्र निर्धारित की गई है। योजना का लाभ उठाने वाले परिवार को खुद की आय केवल ढाई लाख बतानी है। चौपहिया वाहन नहीं होना चाहिये। स्व-घोषित आवेदन को मान्य किया जाये। अभी कोई जांच या छानबीन नहीं होना चाहिये। रिजेक्ट के बदले एक्सेप्ट पर ज्यादा ध्यान देना है। इस नियम के चलते जिले में 6 लाख से ज्यादा महिलाओं को लाडली बहना योजना का लाभ मिलेगा। जबकि कुल महिला मतदाता साढ़े 7 लाख है। देखना यह है कि ... कितनों को इस योजना का लाभ मिलता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कहावत ...
एक कहावत हमारे पाठकों ने पढ़ी या सुनी होगी। मेंढकी को जुकाम हो गया। इन दिनों दमदमा क्षेत्र में यह कहावत सुनाई दे रही है। गांव-गांव वाले विभाग के गलियारों में इस कहावत को कर्मचारी खूब सुना रहे है। हंसते-मुस्कुराते हुए कर्मचारी दबी जुबान से ... मेंढकी को जुकाम-मेंढकी को जुकाम ... बोल रहे है। लेकिन उनका इशारा किस तरफ है। इसको लेकर सभी कर्मचारी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
हमें तो आखिर यह देखना है/ रहेगी लहजे में धार कब तक।
तुम्हारे लफ्जों की कैंचियो से / परिंदे होंगे शिकार कब तक।
ये वक्त दुनिया में जिंदगी भर / किसी का होकर नहीं रहा है।
रहेंगे हम बेवकूफ कब तक / बनोगे तुम होशियार कब तक।
शायर नदीम फार्रूख का यह अशआर इन दिनों संकुल के गलियारों में राजस्व अधिकारी गुनगुना रहे है। लेकिन इशारा किस तरफ है। इसको लेकर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।