29 जुलाई 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
चारागाह...
चक्रम के गलियारों में चर्चा है। उन सभी माननीय को लेकर। जिन्होंने चक्रम को अपनी चारागाह समझ लिया है। हर कोई 1 पेड़- मां के नाम पर चक्रम की जमीन का उपयोग कर रहा है। जिससे चक्रम के प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे है। बेचारे ... चक्रम के मुखिया बेबस-लाचार-दीनहीन सुदामा की तरह चुप है। किसको बोले-गरीब की सुनेगा कौन। ताजा मामला इसी महीने का है। जब अपने वजनदार जी ने जन्मदिन की खुशी में पौधारोपण करवाया। इसके लिए जो जमीन चुनी गई। वहां पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट बिल्डिंग का निर्माण होना था। जमीन चयनित हो गई थी। प्रस्ताव भेज दिया था। मगर चक्रम को चारागाह समझकर पौधारोपण करवा दिया गया। अब देखना यह है कि छात्रों के लिए फूड प्रोसेसिंग यूनिट किस जमीन पर स्थापित होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
अपने सब आ गये ...
सावन माह की प्रथम सवारी की घटना है। जिसमें पूजन करने माननीय मंत्री जी पधारे थे। बेचारे ... सोचकर यही आये थे। वीवीआईपी व्यवस्था होगी। कोई धक्का-मुक्की नहीं होगी। मगर उनका यह सपना मंदिर आकर टूट गया। जब उनको पहले तो गेट बंद होने पर रूकना पड़ा। जैसे-तैसे चाबी आई। दरवाजा खुला। तो भीड ने ऐसा धक्का दिया। जैसे मुम्बई की लोकल ट्रेन में धक्का लगता है। इस धक्के के सहारे ही वह, उनके परिजन व समर्थक अंदर प्रवेश कर पाये। जिसके बाद माननीय मंत्री ने अपने सभी लोगों को इक्कठा किया। फिर उनका सवाल था। अपने सब लोग अंदर आ गये। ऐसा यह नजारा देखने वाले हमारे भरोसेमंद सूत्र का कहना है। ताज्जुब की बात यह है कि धक्का-मुक्की के शिकार हुए, माननीय मंत्री इस व्यवस्था को लेकर चुप रहे। तो हम कौन होते है बोलने वाले। हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खड़े रहे ...
पहली सवारी में अव्यवस्था के शिकार केवल माननीय मंत्री ही नहीं हुए थे। अपनी जय-वीरू की जोड़ी भी इसका शिकार हुई। दोनों सपरिवार आये थे। उम्मीद थी कि पूजा के वक्त बैठने को तो जगह मिल ही जायेंगी। मगर अपने कमलप्रेमियों ने कब्जा कर लिया। पूजा के वक्त जगह ही नहीं मिली। जैसे-तैसे दूसरे माले के मुखिया को जगह मिली, जबकि कप्तान जी पूरे समय खड़े रहे। यह नजारा देखकर वहां मौजूद सभी आश्चर्य में थे। सवाल कर रहे थे। जब जय-वीरू की जोड़ी की यह हालत है। तो बाकी की व्यवस्था पर कहने को कुछ बचा नहीं है। इसलिए सब अव्यवस्था पर मंद-मंद मुस्कुराते हुए चुप रहे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
आगे बढ़ाओं ...
बाबा की सवार में जो भी शामिल होता है। वह भक्ति में लीन हो जाता है। कोई झांझ बजाता है तो कोई डमरू। अपने प्रथमसेवक भी डमरू बजाने में मगन हो गये थे। लेकिन यह बात अपने माननीय मंत्री जी को अखर गई। उन्होंने थोड़ी देर इंतजार किया। प्रथमसेवक शायद डमरू बजाना बंद कर दे और आगे सवारी बढ़े। मगर जब देखा कि प्रथमसेवक तो रील बनाने के चक्कर में डमरू बजा रहे है। तो उनका सब्र जवाब दे गया। उन्होंने पीछे से अपने हाथ से इशारा किया। इसको आगे बढ़ाओं। यह इशारा अपने लेटरबाज जी ने भी देखा। वीडियों में भी माननीय मंत्री का इशारा साफ नजर आ रहा है। ताज्जुब की बात यह है कि यह वीडियों खुद प्रथमसेवक ने अपलोड किया है। जिसको देखकर उनके करीबी बोल रहे है। आगे बढ़ाओं-आगे बढ़ाओं। करीबियों की बात सच है, मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चतुराई ...
तो अपने स्मार्ट पंडित ने साबित कर दिया। वह वाकई स्मार्ट है। वह भी इतने ज्यादा कि .... सांप मरे और लाठी ना टूटे... कहावत का सही पालन करना जानते है। तभी तो कार्यविभाजन में उन सभी की फाइल निपटा दी। जो कि पपेट की भूमिका निभा रहे थे। कम्पाउडिंग के नाम पर उगरानी करते थे। उनके लिए, जिनके वह पपेट थे। स्मार्ट पंडित ने ऐसे लोगों चिन्हित किया। जो कि उगरानी करने वाले मुखिया के घोर विरोधी है। इन सभी को नई जिम्मेदारी देकर दायित्व सौंप दिया। जिससे की उगरानी के खेल पर पूरी तरह से रोक लग गई है। यानि सांप मर गया और लाठी सलामत है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन वाले कर रहे है। बात सच है, मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
बैकफुट ...
पिछले सप्ताह की घटना है। एक बैठक हुई थी। रात में। जिसमें अपने चप्पलकांड नायक, अल्फा, डेल्टा, कप्तान जी, दूसरे माले के मुखिया सहित कई अधिकारी मौजूद थे। विषय सिंहस्थ 2028 की प्लानिंग से जुड़ा था। अपने इंदौरीलाल जी ने प्लान प्रस्तुत किया। 2028 की दृष्टि से कार्ययोजना बेहतर थी। सभी नियमों का पालन करते हुए। प्लानिंग देखने के बाद चप्पलकांड नायक ने बोलना शुरू किया। उसके बाद दूसरे माले के मुखिया ने। अपने इंदौरीलाल जी ने सभी जवाब दिये। किन्तु दूसरे माले के मुखिया, शायद उस दिन अपसेट थे। तो बिफर गये। उन्होंने इंदौरीलाल जी को आढ़े हाथों लिया। आधा दर्जन बार यह बोला। सिंहस्थ का लैंड यूज चेंज होगा। इसलिए यह प्लान बेकार है। उनकी बात सुनकर हर कोई आश्चर्य में था। सिंहस्थ लेंड यूज चेंज करना असंभव है। अपने इंदौरीलाल जी ने ऐसे मौके पर समझदारी दिखाई। जो आपका हुक्म कहकर बात खत्म कर दी। मगर अगले दिन ही दूसरे माले के मुखिया बैकफुट पर आ गये और लैंड यूज चेंज से इंकार कर दिया। ऐसी चर्चा वर्दी वाले कर रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
तलाश ...
वर्दी के तलाश है। एक ऐसे अपराधी की। जिसने हरा-पीला-लाल बत्ती दिखाने वाले सिगनल की केबल को काट दिया। करीब डेढ किलोमीटर लंबी केबल को चुरा लिया। जिससे की छुकछुक गाडी का यातायात प्रभावित हो गया था। करीब 10-15 दिन पहले। हड़कंप मच गया था। कई छुकछुक गाडी प्रभावित हुई थी। जिसके बाद छुकछुक गाडी की देखभाल करने वाली वर्दी सक्रिय हुई। खोजबीन में ग्राम ताजपुर निशाने पर आया। जहां पर पिछले 2 सप्ताह से वर्दी सुबह-दोपहर-शाम-रात को अचानक दबिश देती है। उसकी तलाश में। जिसने केबल काटी। मगर अभी तक सफलता नहीं मिली है। ऐसी चर्चा गांव वाले कर रहे है। देखना यह है कि छुकछुक गाडी वाली वर्दी को आखिर सफलता मिलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
विस्फोट ...
जल्दी ही विस्फोट होने वाला है। गलत अर्थ नहीं निकाले। हमारा आशय उस विस्फोट से नहीं है। जिससे जान-माल की हानि होती है। हम तो उस विस्फोट की तरफ इशारा कर रहे है। जिसमें बड़ी कार्रवाई होने वाली है। मामला कंपाउडिंग का है। जिसकी जांच अपनी जिज्जी को दी है। अपने स्मार्ट पंडित जी ने। जिज्जी को लेकर शायद किसी को पता नहीं हो। तो हम बता दे। अपने उत्तम जी की परम शिष्या, जिज्जी दबाव और प्रलोभन से दूर रहती है। जो कागजों पर सही होता है। उसी पर निर्णय लेती है। उनकी जांच में दूध का दूध- पानी का पानी वाली कहावत सही साबित होती है। इसीलिए यह पक्का है। जांच का परिणाम आने पर विस्फोट होगा। 1-2 विकेट चटक सकते है। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि विस्फोट कब होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दूरी ...
क्या वाकई अपने प्रथमसेवक ने दूरी बना ली है। अपने मंत्रिमंडल से। तभी तो बजट पुस्तिका और होटल में हुई छापामारी से वह दूर रहे। उनके मंत्रिमंडल ने ही हंगामा मचाया। मकसद, अपने स्मार्ट पंडित को घेरना था। लेकिन शिवाजी भवन की बीमारी और उनके सहयोगी यह नहीं जानते हैं। अपने स्मार्ट पंडित पहले वर्दीधारी रह चुके है। उनको हर दाव-पेंच का तोड़ आता है। इस बात को अपने प्रथमसेवक समझ गये। तभी तो कल तक साथ रहने वाले प्रथमसेवक ने मंत्रिमंडल से दूरी बना ली है। इतना ही नहीं। राजधानी जाकर प्रथमसेवक बाले-बाले अपने विकासपुरूष से मुलाकात भी कर आये है। इस मुलाकात के लिए वह चुपचाप गये थे। अपने खास दोस्त बीमारी को भी इसकी खबर नहीं दी। बस मुलाकात के बाद खुद खुलासा किया। आज विकासपुरूष से मुलाकात हुई। जिसके बाद से ही प्रथमसेवक अपने मंत्रिमंडल से दूरी बनाकर चल रहे है। ऐसा हम नहीं, बल्कि उनके करीबी बोल रहे है। बात सच है, लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।
तैयारी ...
बाबा महाकाल के नाम पर जिले में कई जगह जमीन है। जिसमें कस्बा उज्जैन, नीमनवासा, मंगरोला, चिंतामण जवासिया, बमोरा, नईखेड़ी, लेकोडा आंजना, पिपलोदा सगोतीमाता, जलोदिया जागीर ग्राम शामिल है। इन सभी ग्रामों में स्थित जमीन पर जल्दी ही कब्जा लिया जायेगा। प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। अपने कूल जी इस मामले को देख रहे है। देखना यह है कि कब्जाधारियों से यह जमीन मुक्त हो पाती है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
मैं चुप रहा तो मुझे मार देगा मेरा जमीर/ गवाही दी तो अदालत में मारा जाऊंगा।