विक्रमोत्सव का मतलब:ग्वालियर से बड़ा व्यापार मेला...!
उज्जैन। इस बार होने वाला विक्रमोत्सव, सबसे अनूठा और आसाधारण होगा। अभी तक केवल शिप्रा नदी के किनारे और कालिदास अकादमी में यह समारोह सिमटा रहता था। मगर अब मुख्यमंत्री इसे अखिल भारतीय स्तर का स्वरूप देने के मूड में है। तभी तो प्रशासन 100 एकड़ जमीन की खोज कर रहा है। ताकि 1 महीने तक चलने वाले विक्रमोत्सव को ग्वालियर मेले की तर्ज पर मनाया जा सके।
उविप्रा अध्यक्ष रहते हुए डॉ. मोहन यादव ने विक्रमोत्सव की शुरूआत की थी। जिसके बाद विक्रमोत्सव शहर की नहीं, प्रदेश की पहचान धीरे-धीरे बन गया। जैसे-जैसे विक्रमोत्सव ने अपना दायरा फैलाया, वैसे-वैसे डॉ. मोहन यादव भी उविप्रा अध्यक्ष से विधायक- मंत्री और अब मुख्यमंत्री के पद पर पहुंच गये है। तभी तो उन्होंने इस बार विक्रमोत्सव को ग्वालियर मेले की तर्ज पर मनाने का फैसला लिया है।
100 एकड़ ...
विदित रहे कि 8 मार्च से 9 अप्रैल तक विक्रमोत्सव मनाया जायेगा। जिसको लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल पहुंचकर वीसी ली थी। सोमवार की दोपहर 2 बजे तक वह उज्जैन में थे। भोपाल पहुंचकर उन्होंने 4 बजे बाद वीसी ली और उज्जैन को फिर एक सौगात दी। सौगात यह कि ... पहली बार विक्रमोत्सव में ग्वालियर मेले की तर्ज पर व्यापार मेला लगेगा। अर्थात ... वाहन खरीदी पर जबरदस्त टैक्स की छूट होगी। ग्वालियर मेला इसीलिए देश सहित एशिया में प्रसिद्ध है। उसके बाद उज्जैन ऐसा शहर होगा। जहां पर ग्वालियर से बड़ा मेला लगेगा। जिसके लिए 100 एकड़ जमीन की तलाश में प्रशासन जुट गया है।
20 हेक्टयर मिली ...
शहर से ज्यादा दूर मेला लग नहीं सकता है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिये है। आसपास जमीन की तलाश की जाये। जिसके बाद जिला प्रशासन हाईअलर्ट पर है। जमीन की खोजबीन शुरू हो गई। सूत्रों का कहना है कि ... सॉची दुग्ध संघ और तारामंडल के पास जमीन चिन्हित की गई है। कुल 20 हेक्टयर जमीन चिन्हित हुई है। फैसला मुख्यमंत्री करेंगे। कहां पर व्यापार मेला लगेगा।