किसी पर मेहरबान, तो किसी से नाराज  ...!

मंदिर में चर्चा ...

किसी पर मेहरबान, तो किसी से नाराज  ...!

उज्जैन। मंदिर प्रशासक की कार्यप्रणाली एक बार फिर चर्चा में है। 2 घटनाओं को जोड़कर मामले को हवा दी जा रही है। पहला मामला मई माह का है, तो दूसरा अगस्त माह का। जिसे जस का तस, चुप रहेंगे डॉट कॉम पाठकों के समक्ष रख रहा है। पाठक ही इस बात का फैसला करे कि ... प्रशासक के मेहरबान होने की वजह क्या है और नाराजगी का कारण क्या है?

मंदिर प्रशासक गणेश धाकड को लेकर यह चर्चा आम है। वह अपने मातहतों का पूरा ख्याल रखते है और जरूरत पडने पर मानवीयता भी दिखाते है। जैसे मई माह में हुई घटना में उन्होंने मानवीयता दिखाई। लेकिन अगस्त माह की घटना में उनका अलग व्यवहार नजर आया। तभी तो यह सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। एक तरफ जहां गरीब महिला की नौकरी बचाई, वहीं दूसरी तरफ सहायक सत्कार महिला अधिकारी के साथ हुई लडाई में प्रशासक की नाराजगी नजर आई। तभी तो यह चर्चा आम है कि ... किसी पर मेहरबान ... किसी पर नाराज ...।

प्रकरण नम्बर-1 ...

पहला मामला प्रोटोकॉल में पदस्थ कर्मचारी नीता कुरील से जुड़ा है। जो कि कम्प्यूटर ऑपरेटर है। उनका मई माह में विवाद हुआ था। जब वह मंदिर में सुरक्षाकर्मी थी। तब अपने ही वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी भिडंत हुई थी। नतीजा सुरक्षा कंपनी केएसएस ने उनको निकालने का मन बना लिया था। घटना से प्रशासक गणेश धाकड को भी अवगत करा दिया था। मगर फिर नीता कुरील ने माफीनामा लिखकर दिया। (देखे चित्र) जिसके बाद कंपनी ने इनको गार्ड पद से हटा दिया। अंदरखाने की खबर है कि प्रशासक की सिफारिश पर उनको माफी दी गई थी। जिसकी मंदिर में चर्चा आम है। मंदिर के सूत्रों का कहना है कि प्रशासक ने मानवीयता के आधार पर फैसला लेते हुए सिफारिश की थी। नौकरी बरकरार रखी। यहां यह लिखना जरूरी है कि जिस महिलाकर्मी पर प्रशासक ने मानवीयता (मेहरबानी) दिखाई। उन्होंने पट्टा प्राप्त करने के लिए नगर निगम झोन- 5 में आवेदन किया था। इस आवेदन के साथ लगे जाति प्रमाण पत्र की जांच के लिए एसडीएम नगर को पत्र भेजा गया। जहां से पत्र क्रं. एसडीएम नगर /2021/ 906 ... दिनांक 16 दिसम्बर 2021 को जारी हुआ। इसमें जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताया गया था।

प्रकरण नम्बर- 2 ...

दूसरा मामला 6 अगस्त का है। प्रशासक कार्यालय में सहायक सत्कार अधिकारी रजनी खेर के साथ अनिता शर्मा, चंद्रप्रकाश शर्मा और अभिषेक शर्मा का विवाद हुआ था। वीडियों भी बनाया गया। इस दूसरे मामले को लेकर ही प्रशासक की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हुआ है। स्मरणीय रहे कि सहायक सत्कार अधिकारी रजनी खेर के साथ हुई बदतमीजी पर प्रशासक ने कोई कठोर कदम नहीं उठाया था। उल्टे शिकायत करने पर उन्होंने फरियादी को यह बोल दिया था कि ... मेरे कर्मचारी को कुछ ना बोले ... आपको अधिकार नहीं। नतीजा कलेक्टर आशीषसिंह को शिकायत हुई। मामला 1 महीने तक दबा रहा। आखिरकार कलेक्टर ने मंदिर प्रशासक को ही जांच सौंप दी। जिसके चलते नया विवाद खड़ा हो गया। आरोपियों ने फरियादी को ही आरोपी साबित करने की तैयारी कर ली। प्रशासक की इस जांच पर सवालिया निशान खड़े हो गये। जिसके चलते कलेक्टर ने मामले की जांच संयुक्त कलेक्टर गरिमा रावत को सौंप दी। यह जांच जारी है। यही वजह है कि मंदिर के कर्मचारी इन दोनों मामलो को अलग-अलग ढंग से देखते हुए यह बोल रहे है। किसी पर मेहरबान... किसी पर नाराज ... आखिर क्या है इसके पीछे राज ... ?

जांच करवाता हूं ...

नीता कुरील के मामले को लेकर चुप रहेंगे डॉट कॉम ने मंदिर प्रशासक से सवाल किया। उनको लिखित में पूरे मामले की जानकारी दी। जिसके जवाब में श्री धाकड ने लिखा कि ... मंदिर में कम्प्यूटर ऑपरेटर केएसएस कंपनी के है। नीता कुरील उन्हीं की कर्मचारी है। मैं भी कंपनी को नोटिस देकर पूछ रहा हूं। विदित रहे कि यह सवाल प्रशासक से 12 सितम्बर को किया गया था। आज 18 सितम्बर है। लेकिन इस मामले में क्या कार्रवाई हुई। इसका जवाब मंदिर प्रशासक ने 17 सितम्बर की शाम तक चुप रहेंगे डॉट कॉम को नहीं दिया था ।