गैंगमैन को कार्यालय अधीक्षक बनाया...!

आयुक्त के निर्देश पर...

गैंगमैन को कार्यालय अधीक्षक बनाया...!

उज्जैन। अंधेर नगरी चौपट राजा..की कहानी शायद पढ़ी होगी।नगर पालिका निगम में उसी कहानी की तर्ज पर कामकाज चल रहा हैं।जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण 14 सितंबर को निकला एक आदेश है।जो आयुक्त नगर निगम के निर्देश पर निकाला गया। इस आदेश में गैंगमैन को कार्यालय अधीक्षक बना दिया गया।तभी तो निगम के गलियारों में चर्चा है कि..अंधेर नगरी चौपट राजा.. टके सेर भाजी.. टके सेर खाजा...

कार्यालय नगर पालिका निगम उज्जैन के आदेश क्रमांक 1162 को लेकर आयुक्त अंशुल गुप्ता की  कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।यह आदेश 14 सितंबर को निकाला गया था।जिसमे प्रभारी लिपिक तजिंदर सिंग भल्ला को ,शिल्पज्ञ विभाग का अधीक्षक बनाया गया।ऑर्डर जारी होते ही कर्मचारी संघ के साथियों ने फूलमाला के साथ स्वागत कर दिया।बधाई दे डाली।(देखे फोटो) मगर ऑर्डर जारी करते वक्त इस बात का ध्यान नही रखा गया कि..नियमानुसार गैंगमैन को अधीक्षक नही बनाया जा सकता हैं।क्योंकि गैंगमैन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी होता है।श्री भल्ला भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है।मगर आयुक्त का आदेश था।तो अपर आयुक्त वित्त आदित्य नागर ने आदेश जारी कर दिया।


2 दिन बाद...
14 सितंबर को भले ही आदेश 1162 में श्री भल्ला को अधीक्षक शिल्पज्ञ बना दिया गया।मगर 2 दिन बाद यह आदेश निरस्त कर दिया गया।जिसमे उल्लेखित किया गया कि 1162 आदेश में त्रुटि परिलक्षित हुई हैं।इसलिए आदेश निरस्त किया जाता हैं।जो कर्मचारी जहां पूर्व में कार्यरत थे,वही कार्य करते रहेंगे। यह आदेश जारी होने के बाद से ही निगम में अंधेर नगरी वाली कहानी सुनाई दे रही हैं। यहां एक पुराने ऑर्डर का भी उल्लेख करना जरूरी है।जो कि उद्यान विभाग से जुड़ा है।यह आदेश भी आयुक्त के निर्देश पर जारी हुआ था।जिसमे संतोष शर्मा को उद्यान विभाग का अधीक्षक बनाया गया था।जबकि श्री शर्मा का मूलपद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का है।निगम के सूत्रों का कहना है कि..पुराना ऑर्डर भी नियमानुसार गलत है।लेकिन जब निगम में अंधेर नगरी वाला राज है,तो सभी टके सेर भाजी.. टके सेर खाजा..के मजे ले रहे है।